Brands
YS TV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

पब्लिक ट्रांसपोर्ट को महिलाओं के 'योग्य' बनाने के लिए शुरू हुआ यह ख़ास प्रोग्राम

पब्लिक ट्रांसपोर्ट को महिलाओं के 'योग्य' बनाने के लिए शुरू हुआ यह ख़ास प्रोग्राम

Thursday November 29, 2018 , 4 min Read

 2014 में नीता भल्ला और नैशनल क्राइम रेकॉर्ड्स ब्यूरो द्वारा किए गए एक सर्वे के मुताबिक़, शहरों में रहकर भी काम पर न जाने वाली महिलाओं का कहना है कि सुरक्षा के अभाव के चलते वे काम पर जाने से गुरेज़ करती हैं।

चेन्नई मेट्रो रेल के प्रतिनिधि

चेन्नई मेट्रो रेल के प्रतिनिधि


बिक्सी एक बाइक टैक्सी सर्विस है, जिसके अंतर्गत महिलाएं भी बाइक टैक्सी चलाती हैं। वहीं विमिन कैब्स स्टार्टअप एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है, जो महिलाओं को महिला कैब ड्राइवर वाली कैब्स बुक करने की सहूलियत देता है।

हमारे देश में प्रोफ़ेशनल करियर बनाने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए महिलाओं को हर कदम पर तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। घर-परिवार की बंदिशों से जीतकर जब वे बाहर कदम रखती हैं तो वहां पर भी उन्हें हमेशा अपनी सुरक्षा की चिंता सताती रहती है। इस चर्चा के दौरान इस बात पर गौर करना भी बेहद महत्वपूर्ण है कि अगर वर्कफ़ोर्स में महिलाओं की प्रतिभागिता को बरकरार रखना है तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट के साधनों को महिलाओं के लिए पूरी तरह से महफ़ूज बनाना होगा।

वर्ल्ड रिसोर्सेज़ इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई), इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, 2004 से 2013 के बीच विमिन वर्कफ़ोर्स में 10 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली। इसके अतिरिक्त, इंटरनैशनल लेबर ऑर्गनाइज़ेशन की एक रिपोर्ट का कहना है कि महिलाओं के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट की उचित और सुरक्षित व्यवस्था न होने की वजह से विमिन लेबर फ़ोर्स में 16.5 तक की गिरावट दर्ज हुई। 2011 की जनगणना के अनुसार, शहरी इलाकों में घर से बाहर यात्रा करके काम पर जाने वाली आबादी का सिर्फ़ 17 प्रतिशत हिस्सा महिलाओं का है।

इतना ही नहीं, विमिन वर्कफ़ोर्स में 30 प्रतिशत महिलाएं काम पर जाने के लिए न के बराबर यात्रा करती हैं और 39 प्रतिशत महिलाएं घर से 5 किमी. की दूरी के अंदर ही काम पर जाती हैं। 2014 में नीता भल्ला और नैशनल क्राइम रेकॉर्ड्स ब्यूरो द्वारा किए गए एक सर्वे के मुताबिक़, शहरों में रहकर भी काम पर न जाने वाली महिलाओं का कहना है कि सुरक्षा के अभाव के चलते वे काम पर जाने से गुरेज़ करती हैं।

WRI के आयोजन में स्टार्टअप्स

WRI के आयोजन में स्टार्टअप्स


डब्ल्यूआरआई, इंडिया के सुदीप्त मैती ने का कहना है कि भारत में 83 प्रतिशत कामगार महिलाएं काम पर जाने के लिए या तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करती हैं या फिर पैदल ही काम पर जाती हैं और इसलिए ही मोबिलिटी सेक्टर को महिलाओं के लिए महफ़ूज़ और अनुकूल बनाने की ज़रूरत है। इस उद्देश्य के साथ ही, डब्ल्यूआरआई, इंडिया ने शेल फ़ाउंडेसन के साथ मिलकर हाल ही में 'जेंडर इनक्लूज़न इन मोबिलिटी' पर एक ऐक्सीलरेटर प्रोग्राम लॉन्च किया है। इस मुहिम का आग़ाज़ चेन्नै से किया गया है।

सुरक्षित ट्रांसपोर्ट के साथ-साथ यह प्रोग्राम महिला वर्ग में रोज़गार और ऑन्त्रप्रन्योरशिप को बढ़ावा देने पर भी ज़ोर देगा। इस प्रोग्राम के अंतर्गत मोबिलिटी सेक्टर में काम करने वाले चार स्टार्टअप्स- दिल्ली आधारित बिक्सी (Bikxie),बेंगलुरु आधारित विमिन कैब्स, पुणे आधारित एस राइड और चेन्नै आधारित एम ऑटो को शामिल किया गया है। इन स्टार्टअप्स ने योर स्टोरी को बताया कि ये महिलाओं के लिए ट्रांसपोर्ट के बेहतर और सुरक्षित विकल्प तैयार करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

बिक्सी एक बाइक टैक्सी सर्विस है, जिसके अंतर्गत महिलाएं भी बाइक टैक्सी चलाती हैं। वहीं विमिन कैब्स स्टार्टअप एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है, जो महिलाओं को महिला कैब ड्राइवर वाली कैब्स बुक करने की सहूलियत देता है। एस राइड स्टार्टअप शहर के अंदर और शहर के बाहर, दोनों ही तरह की यात्राओं के लिए शेयरिंग का विकल्प देता है। एम-ऑटो स्टार्टअप 300 महिला ऑटो-रिक्शॉ ड्राइवरों की मदद से अपनी सर्विसेज़ मुहैया करा रहा है।

सीड फ़ंड की एग्ज़िक्यूटिव डायरेक्टर पाउला मारिवाला का कहना है कि निवेशकों को रिझाने के लिए इस सेक्टर में काम करने वाले स्टार्टअप्स को अच्छी रिसर्च की ज़रूरत है ताकि वे अपने आइडिया और वास्तविकता के करीब रख सकें। भारत इनोवेशन फ़ंड के रोहन छाउकर कहते हैं कि कई बड़े निवेशक मोबिलिटी सेक्टर में निवेश के प्रति सकारात्मक रवैया रखते हैं। दो दिन तक चले ऐक्सीलरेटर प्रोग्राम में चेन्नै स्मार्ट सिटी लि. के सीईओ राज चेरुबल भी शामिल रहे।

यह भी पढ़ें: आतंक का रास्ता छोड़ हुए थे सेना में भर्ती: शहीद नजीर अहमद की दास्तां