बेडरूम से बनाया ग्लोबल प्रोडक्ट, 'Happy fox'
HappyFox के संस्थापक शालीन जैन का सफर
बीते कुछ सालों में भारत के आन्ट्रेप्रेन्योरशिप का क्रेज काफी बढ़ा है। मल्टीनेशनल कंपनियों में करियर बनाने के बजाय कम उम्र में ही युवा उद्यम का रास्ता अख्तियार कर रहे हैं।
पिछले पांच सालों में बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर, मेंटरशिप, पीआर/मीडिया जैसी सकारात्मक वजहों से स्टार्टअप के लिए समूचा ईकोसिस्टम में जबर्दस्त सुधार आया है। मगर शालीन जैन (@Shalin10) ने तो गजब ही किया उन्होंने साल 2000 में चेन्नई में टेनमाइल्स (अब Happyfox) नाम से कस्टमर सपोर्ट और हेल्प डेस्ट सॉफ्टवेयर का वेंचर शुरू किया, वो भी तब जब वो अभी कॉलेज में ही थे।
18 साल की उम्र में ही शालीन ने अपने पैशन की बदौलत ऐसा प्रोडक्ट लॉन्च किया जो दुनिया भर में पसंद किया जा रहा है। 1999 में जब वो सिर्फ 17 साल के थे तो उन्होंने एक टेक्नोलॉजी स्टार्टअप में जॉब भी किया जहां 100 से ज्यादा कर्मचारी काम करते थे। शालीन कहते हैं, “मैं कंपनी में सबसे कम उम्र का था और वाकई काफी मेहनत कर रहा था। जितना ज्यादा मुमकिन हो सकता था मैं क्लास बंक करने लगा क्योंकि मुझे कॉलेज में कोई इंट्रेस्ट नहीं था।” लेकिन जल्द ही कॉलेज में अटेंडेंस कम होने लगा जिस वजह से उन्हें अपनी पार्ट टाइम जॉब छोड़नी पड़ी।
एक सप्ताह के भीतर शाली ने एक दूसरी कंपनी से ऑफर लेटर मिला मगर घर से काफी दूर होने की वजह से उन्होंने उसे मंजूर नहीं किया। शालीन कहते हैं, “उस समय मेरे सामने स्टार्टअप शुरू करने का ही इकलौता रास्ता था और 2001 में मैंने टेनमाइल्स लॉन्च किया। ऑफिस तक नहीं था, मेरा बेडरूम ही ऑफिस था।” बाद में टेनमाइल्स हैप्पीफॉक्स में तब्दील हो गया जो कस्टमर सर्विस सेगमेंट में सबसे तेजी से विकास करने वाला प्रोडक्ट था।
शालीन के उद्यमी जीवन के बारे में विस्तार से समझने के लिए हमने उनसे ईमेल और स्काइप के जरिये बात की। उन्होंने चुनौतियों, बेस को अमेरिका में शिफ्ट करने, अपनी व्यक्तिगत रूचियों जैसे तमाम पहलुओं के बारे में विस्तार से बताया।
YS- आपने बहुत कम उम्र में स्टार्टअप शुरू किया वो भी तब जब भारत में स्टार्टअप का ट्रेंड अभी लोकप्रिय नहीं था। आपको आखिर किस चीज ने प्रेरणा दी?
शालीन जैन- मेरे पड़ोस में ही चेन्नई के सबसे अच्छे प्रोग्रामर में से एक रहते थे। मैंने उन्हें अपने लिए एक ऐप को कोड करने के लिए मनाया। उन्होंने मेरे साथ सिर्फ वीकेंड्स पर काम किया और मेरे पहले आइडिया को प्रोडक्ट में तब्दील करने में मदद की। उन्होंने भी अपने कॉलेज टाइम में ही एक कंपनी खोली और मैं भी उनके जैसा कुछ करना चाहता था।
YS- बतौर टेकी और आन्ट्रिप्रेन्योर हमें अपने सफर के बारे में बताएं।
शालीन जैन- मैं एक ऐसा प्रोडक्ट डिजाइन करना चाहता था जो बड़े बाजारों को अपील कर सके। हमारे हालिया रिलीज HappyFox से लेकर 2001 में हमारे पहले प्रोडक्ट स्क्रीनस्विफ्ट तक हमने ऐसे कामयाब प्रोडक्ट बनाया जिसे लोगों में प्यार दिया।
अपने बनाए और रिलीज किए गए हर प्रोडक्ट के साथ मैं आगे बढ़ता गया। जिस भी प्रोडक्ट को हमने लॉन्च किया वो पहले से बेहतर होता गया। हमारी शुरुआती कामयाबी से बहुत सारे टैलेंटेड लोग हम जुड़ने में रूचि लेने लगे।
अपने बेडरूम से कंपनी शुरू करने और उसे ग्लोबल बनाना मेरे लिए वाकई एक यादगार अनुभव है। लेकिन हर दिन यहीं महसूस किया जैसे अभी शुरूआत ही की है। यहां बहुत कुछ सीखने और करने की चीजें हैं।
एक एन्ट्रप्रेन्योर के रूप में मैंन सीखा कि किसी कंपनी की सबसे महत्वपूर्ण पूंजी उसके लोग और कल्चर है। इसे ठीक किये बगैर आप कामयाब नहीं हो सकते।
YS- अपने शुरुआती संघर्ष और चुनौतियों के बारे में बताएं?
शालीन जैन- मुझे अपने पार्ट टाइम जॉब को छोड़ना पड़ा ताकि कॉलेज में मिनिमम अटेंडेंस पूरा हो सके और किसी अच्छे बिजनेस स्कूल में एंट्री लायक अच्छी ग्रेड पा सकूं। जॉब छोड़ने के कुछ ही दिनों बाद मेरे पास फ्लेक्सिबल वर्क टाइमिंग वाला एक और ऑफर आय़ा। मगर ऑफिस की घर से दूरी 10 मील की थी और मैं कॉलेज टाइम में जॉब के लिए मैं इतनी यात्रा नहीं करना चाहता था। मुझे पता है कि ये सुनने में कुछ अजीब लग सकता है मगर इससे मुझे Tenmiles नाम से अपनी पसंद का काम शुरू करने का मौका मिला।
मेरे सामने जो सबसे बड़ी चुनौती थी कि आईटी सर्विस बिजनेस के बूम वाले दौर में अपने प्रोडक्ट स्टार्टअप के लिए लोगों को कैसे हायर किया जाए। इसलिए टैलेंटेड लोगों को हायर करने में काफी मेहनत करनी पड़ी।
YS- हमने सुना है कि आप म्यूजिक को बहुत पसंद करते हैं और पियानो भी बजा सकते हैं। आपके काम में ये कैसे मदद करते हैं?
शालीन- मुझे म्यूजिक और पियानो बजाना बेहद पसंद था। इसने मुझे फोकस्ड रहने और खुद को अपने तरीके से एक्सप्रेस करने में काफी मदद की। मैं कुछ बेहद शानदार लोगों से मिला और उनके साथ अलबम बनाया। ऐसे ही एक शख्स के साथ मिलकर मैंने एक अलबम भी प्रोड्यूस किया मगर वो कभी रिलीज नहीं हो पाया। हम म्यूजिक कंपनियों के यहां चक्कर लगाए (काश 98-99 में हमारे पास iTune होता) मगर हम सिर्फ कुछ एड्स के लिए जिंगल्स और एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म के लिए बैकग्राउंड स्कोर भी बेच पाए। इससे हमें स्टार्टअप चलाने के बारे में सीखने को मिला। मुझे खुशी है कि मैंने ये हाईस्कूल के दौरान ही सीख लिया।
YS- पिछले साल HappyFox अमेरिका शिफ्ट हो गया। चेन्नई से वहां शिफ्ट होने पर आप ऑर्गनाइजेशन में किस तरह का बदलाव देख रहे हैं?
शालीन जैन- HappyFox एक कस्टमर सपोर्ट और हेल्पडेस्क सॉफ्टवेयर है जो स्टार्टअप और बिजनेस के लिए पूरी तरह मुफीद है। ये हमारा फ्लैगशिप प्रोडक्ट है और Tenmiles से निकले प्रोडक्ट्स में सबसे तेजी से ग्रो करने वाला प्रोडक्ट है। हमारे बहुत सारे कस्टमर अमेरिका के हैं इसलिए वहां शिफ्ट होना स्वाभाविक है। अपने कस्टमर्स को और अच्छी सर्विस देने के लिए एक साल पहले हम अमेरिका शिफ्ट हो गए।
अब हम अक्सर अपने कस्टमर्स से फेस-टू-फेस मिलते हैं और इसका हमारे प्रोडक्ट और मार्केंटिंग स्ट्रेट्जी पर काफी इम्पैक्ट पड़ा है।
YS- बीते पांच सालों में इंडियन स्टार्टअप ईकोसिस्टम ने कैसे विकास किया है?
शालीन जैन- वास्तव में भारत में स्टार्टअप ईकोसिस्टम पिछले पांच सालों में ही तेजी से उभरा है। मीट अप्स, ब्लॉग एंड रिसोर्सेज, को शेयरिंग वर्कस्पेस, अवॉर्ड्स, मीडिया अटेंशन, वेंचर फंडिंग, बहुत सारे इवेंट्स की वजह से आज स्टार्टअप शुरू करने को प्रोत्साहन मिल रहा है। तेजी से विकास कर रहे ईकोसिस्टम ने उद्यमियों के लिए सही तरह का सपोर्ट, कुछ बड़ा सोचने और हासिल करने में मदद कर रहा है।
YS- नए उद्यमियों के लिए आप क्या सलाह देना चाहेंगे?
शालीन जैन- अपना स्टार्टअप शुरू करने से बिल्कुल ना डरें।
जितना जल्दी हो सके सेलिंग शुरू कर दें। प्रोडक्ट लॉन्च होने से पहले ही सेलिंग पर काम करना शुरू कर देना चाहिए। इससे आपको तेजी से बढ़ने में बहुत मदद मिलती है।
अगर आपके विचार इजाजत दें तो ग्लोबल मार्केट के लिए बनाइए। थिंक ग्लोबल एंड एक्ट लोकल। अपने स्टार्टअप में हर किसी को कस्टमर सपोर्ट में भागीदार बनाइए।