एक ऐसा स्टार्टअप जो कार पूलिंग के जरिये कराता है बचत ही बचत
सोमवार की सुबह जब सड़क पर ट्रैफिक का काफी दबाव होता है, तब लंबी दूरी की यात्रा करने वाले के मन में सिर्फ एक ही ख्याल आता है कि घर से सुबह जल्द से जल्द निकला जाये...और अगर आप बेंगलुरू जैसे शहर में रहते हैं तो इस बात की काफी संभावना है कि आप शहर में कई जगहों पर ट्रैफिक जाम में फंस सकते हैं। शहर की ट्रैफिक रिपोर्ट बताती है कि यहां पर 56 लाख से ज्यादा वाहन रजिस्टर्ड हैं। ऐसे में ट्रैफिक पुलिस का भी मानना है कि हालात दिन ब दिन और खराब होते जा रहे हैं। खासतौर से व्हाइटफील्ड, बीटीएम लेआउट, सिल्कबोर्ड, बेलंदुर जैसे इलाकों में।
‘जिप गो’ बस एग्रीगेटर्स की तरह जिफी, लिफ्टो, ब्ला ब्ला कार, ओला, उबेर शहर की जरूरत बन गये हैं। बावजूद योर स्टोरी ने जब साल 2014 में ‘पूल सर्कल’ के संस्थापक रघु रामानुजम से बात की थी तो उन्होने कहा कि उनका लक्ष्य एक कार में एक नहीं चार लोगों को सवारी कराने का है। कारपूलिंग एक ऐसा विचार है जो तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्राइस वॉटरहाउस कूपर की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में ये बाजार करीब 15 बिलियन डॉलर का है जबकि साल 2035 में इसके 335 बिलियन डॉलर पहुंचने का अनुमान है।
2015 की सवारी
रघु का कहना है कि "2015 के दौरान हमारा आधार आठ गुणा बढ़ा है। इसमें जो हमारे ग्राहक हैं उनमें से 80 प्रतिशत बी2सी से आते हैं जबकि केवल 20 प्रतिशत ग्राहक ही कॉरपोरेट जगत के होते हैं। हम हर रोज 20 हजार से ज्यादा लोगों को यात्राएं कराते हैं और हर कोई औसतन 17 किलोमीटर की दूरी हमारे जरिये तय करता है।" आज 'पूल सर्कल' की टीम अर्न्स्ट एंड यंग के साथ थर्ड पार्टी के लिए कॉर्बन फूटप्रिंट सार्टिफिकेशन पाने के लिए काम कर रही है। इससे ये सुनिश्चित हो सकेगा कि कारपूलिंग से पर्यावरण को कितना फायदा होता है बल्कि सड़क पर कारों के कम उतरने से प्रदूषण पर कितना असर होता है। अक्टूबर, 2015 में बेंगलुरू ट्रैफिक पुलिस के साथ कारपूलिंग के प्रमोशन के बाद 'पूल सर्कल' ने इलेक्ट्रॉनिक सिटी की गवर्निंग बॉडी ईएलसीआईए यानी इलेक्ट्रानिक्स सिटी इंडस्ट्रिज एसोशिएशन के साथ काम करना शुरू किया। इसमें 70 कंपनियां और दूसरे संस्थान इसके सदस्य हैं और इनमें करीब 1लाख 40 हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं। जिसके बाद ईएलसीआईए के लिए 'पूल सर्कल' ने एक नेटवर्क तैयार किया और लोगों को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया कि वो आने जाने के लिए कारपूलिंग का इस्तेमाल करें। इस तरह ईएलसीआईए का कोई भी सदस्य अपनी कॉरपोरेट ईमेल आईडी को रजिस्टर्ड कर इस कारपूलिंग की सुविधा हासिल कर सकता है।
'पूल सर्कल' के साथ अपनी साझेदारी के बारे में ईएलसीआईए के सीईओ एनएस रामा का कहना है कि उन्होने एक बड़े कारपूलिंग समुदाय की शुरूआत की जहां पर सुरक्षा और भागीदारी का सबसे ज्यादा ख्याल रखा गया। उनका कहना है कि उनकी ये भागीदारी जारी है ताकि इलेक्ट्रॉनिक सिटी को काम करने लायक ऐसी जगह बनाई जाए जो स्मॉर्ट और हरीभरी हो। आमतौर पर 'पूल सर्कल' का इस्तेमाल करने वाले 75 प्रतिशत वो लोग होते हैं जो अपने मानदंड खोज कर इनके पास आते हैं। इनकी टीम का दावा है कि ये करीब साढ़े चार हजार कारपूल जोड़ चुके हैं। रघु का मानना है कि मिलकर यात्रा करने से काफी फायदे हैं वहीं ये लंबे वक्त के लिए टैक्सी एग्रीगेटर मॉडल से एकदम उलट है।
पूल सर्कल की टीम इनटेलीराइड प्रौद्योगिकी के विकास में जुड़े हैं। इस तकनीक के जरिये किसी एक व्यक्ति का रूट जानकर उसे विभिन्न तरह के विकल्प दिये जाते हैं। रघु कहते हैं कि यात्रा की मैचिंग करने का मकसद सिर्फ ये नहीं है कि जहां से आप यात्रा शुरू कर रहे हैं और जहां पर आप खत्म कर रहे हैं बल्कि ये काफी अहम है कि आप कितनी दूर एक साथ मिलकर यात्रा करते हैं।
‘पूल सर्कल’ के लिये ये यात्रा इतनी भी सरल नहीं थी। साल 2014 के अंत में कई दौर की बातचीत के बाद पहले दौर का निवेश फिसल गया। रघु के मुताबिक “ये हमारे लिये नये साल की बुरी शुरूआत थी, बावजूद टीम को खुद पर विश्वास था और ग्राहकों का स्नेह था कि हम निरंतर आगे बढ़ते रहे।” टीम को जल्द ही इस बात का अहसास हो गया कि उनको दो स्तर पर बाजार में दखल देने की जरूरत है। टीम के सदस्य जान गये थे कि लोगों के आचरण में बदलाव लाकर ही कारपूलिंग को सफल बनाया जा सकता है। इसलिए इन लोगों ने ऐसा आसान रास्ता चुना ताकि लोग एक दूसरे को देख इस ओर आकर्षित हों। टीम ने अपने साथ दूसरे लोगों को जोड़ने के लिए मौजूदा ग्राहकों से उनके जानकारों का नाम देने को कहा जो इस सुविधा का लाभ उठाना चाहते थे। इस तरह इनके ग्राहक तो बढ़ने लगे। बावजूद टीम को इस बात का एहसास था कि उन्होने वित्तीय प्रोत्साहन के महत्व को कम करके आंका है। रघु का कहना है कि जब हम बात कारपूलिंग की करते हैं तो हम सामाजिक और पर्यावरणीय पहलुओं पर ज्यादा बात करते हैं और आर्थिक बचत की बात को नजरअंदाज कर जाते हैं जबकि इसके बारे में ज्यादा बात करने की जरूरत होती है।
रघु का कहना है कि “निश्चित तौर पर हम तेजी से विकास करते अगर हमने इस ओर पहले ही ध्यान दिया होता। अब हम एक ऐसी योजना पर काम कर रहे हैं जो मोबाइल वॉलेट के साथ जुड़ी होगी और कोई भी व्यक्ति बिना नकद भुगतान की सुविधा हासिल कर सकेगा।”
ग्राहकों को समझना
बी2सी ग्राहकों के लिए ये उत्पाद फिलहाल मुफ्त है। लेकिन अगली कुछ तिमाहियों में ‘पूल सर्कल’ यात्रा करने वाले और यात्रा करवाने वाले से कमीशन के तौर पर कुछ शुल्क वसूलेगा। पूल सर्कल का ये ऐप एनरोइड और आईओएस दोनों में मौजूद है। उद्यमियों या बी2बी ग्राहकों के लिए शुरूआत में एक फीस वसूली जाती है और उसके बाद ये मासिक सदस्यता शुल्क लेते हैं। शुल्क का निर्धारण स्लैब के अधार पर होता है। इसके अलावा ये संगठन पर निर्भर करता है कि वो कमीशन के अधार पर या सदस्यता शुल्क के अधार पर सेवाएं चाहता है।
रघु का कहना है कि “हमारा खास ध्यान ग्राहक की संतुष्टि पर रहता है। इसलिए हम ग्राहक की पसंद और उसकी जरूरत को समझने की कोशिश करते हैं ताकि अपने उत्पाद को सही दिशा में ले जा सकें।” ‘पूल सर्कल’ में कोई अजनबी नहीं होता भले ही आप यात्रा करने वाले इंसान को नहीं जानते हों लेकिन आपको पता होता है कि उसकी कॉरपोरेट ईमेल आईडी क्या है। आप दूसरे के फेसबुक दोस्त को गिन सकते हो इसके अलावा और कई तरह का डाटा होता है जिनके अधार पर कारपूल का फैसला कर सकते हैं। दरअसल ये एक विश्वास आधारित रेटिंग सिस्टम है जो उपयोगकर्ता की पहचान सत्यापित करने में मदद करता है और इसमें किसी की व्यक्तिगत या नीजि जानकारी का खुलाशा भी नहीं होता।
‘पूल सर्कल’ इस बात की आजादी देता है कि उपयोगकर्ता अपनी पसंद के मुताबिक कार पूल कर सकें। इसमें कोई अपने दोस्तों के साथ, पडौसियों के साथ या सामाजिक और व्यावसायिक संबंधों के अधार पर कार पूल कर सकता है। इतना ही नहीं अगर कोई चाहे तो जेंडर मुताबिक अपनी पसंद से कार पूल कर सकता है।
बेंगलुरू में रहने वाले विनय कुमार जो नियमित तौर पर ‘पूल सर्कल’ का इस्तेमाल करते हैं इनका कहना है कि अब तक का उनका सफर काफी अच्छा रहा है और ये प्लेटफॉर्म उनकी हर जरूरत को पूरी करता है। यहां तक की ओला भी मिलकर यात्रा करने के मूल्य और विश्वास के महत्व को समझने लगा है। तभी तो ओला के मार्केटिंग निदेशक आनंद सुब्रह्मण्यम का कहना है कि ‘सामाजिक साझेदारी के जरिये यात्रा करना वो विचार है जो मौका देता है उसके साथ यात्रा करने का जिसके साथ आप आनंद महूसस कर सकें।’
‘पूल सर्कल’ की योजना अब विभिन्न अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों को अपने इस प्लेटफॉर्म के साथ जोड़ने की है। रघु का कहना है कि कई अपार्टमेंट में रहने वाले लोग वॉट्सअप के जरिये एक साथ जुड़े रहते हैं और उनके अपने कार पूल ग्रुप हैं। बावजूद इनकी कोशिश है कि कारपूल को ज्यादा कुशलता से और अलग अलग अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों के बीच विश्वास पैदा करने में ये मददगार साबित हो सकते हैं। ‘पूल सर्कल’ की टीम अब बड़ी यात्रा प्लेटफार्मों के साथ बातचीत कर रही है ताकि टिकटिंग सेवा को एक दूसरे के साथ जोड़ा जा सके ताकि उपयोगकर्ता की यात्रा के खर्च को कम किया जा सके।
योर स्टोरी का मानना है कि पिछले कुछ सालों के दौरान ये देखा गया है कि राइडिंग ओ, मीबड्डी, कारपूल और अड्डा इस क्षेत्र में उतरे हैं लेकिन गैम चेंजर के तौर पर वैश्विक खिलाड़ी जैसे ब्राजील का त्रिपदा या फ्रांस का ब्ला ब्ला कार ही हैं। जबकि मिलजुल कर यात्रा करना हो या टैक्सी सेवा का विचार हो तेजी से बढ़ रहा है। जिप गो और दूसरी शटल बस सेवाएं भी इस क्षेत्र में उतर रही हैं ऐसे में क्या ये प्लेटफॉर्म अपना वजूद बनाये रखेगा। ‘पूल सर्कल’ ने बेंगलुरू ट्रैफिक पुलिस और ‘लिफ्ट ओ’ के संस्थापक विकेश अग्रवाल के साथ टाई अप किया हुआ है। विकेश का कहना है कि मोटर व्हिकल एक्ट 1988 में कहीं भी कारपूलिंग, साझेदारी से यात्रा करना या फिर लिफ्ट लेकर यात्रा करने का जिक्र नहीं है। इसलिए ये एक्ट कहीं भी साफ साफ नहीं है कि इन सेवाओं को जारी नहीं रखा जा सकता। हालांकि इस क्षेत्र में कई ऐसे प्लेटफॉर्म काम कर रहे हैं और जरूरत है इस बाजार में निवेश की। ‘पूल सर्कल’ ने इस मामले में अपने समकक्ष कई खिलाड़ियों का मुकाबला किया है बावजूद कई लोगों का मानना है कि बाजार पर कब्जा करने के लिए उनको वित्त पोषित करने की जरूरत नहीं है। ‘पूल सर्कल’ भले ही ठीक ठाक परिणाम हासिल कर रहा हो लेकिन कई ऐसे प्लेटफॉर्म हैं जिनमें आगे बढ़ने की भरपूर संभावनाएं हैं। ऐसे में वक्त ही तय करेगा कि बाजार में बदलाव आता है कि नहीं।