लाखों कमाने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट्स बदल रहे हैं एक गांव की तस्वीर
यहां पढ़ें नौकरी करने के साथ-साथ गांव के बच्चों को पढ़ाने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट दोस्तों के बारे में...
हैदराबाद के कुछ नौजवानों को लगा, कि वे जो कर रहे हैं उससे उन्हें पैसे तो मिल रहे हैं, लेकिन समाज के बाकी लोगों के लिए सीधे तौर पर कुछ न कर पाने की कसक बहुत कुछ सोचने को मजबूर कर रही है। ऐसे ही किसी दिन उन सब ने जब एक-दूसरे से अपने-अपने बारे में बताना शुरू किया तो पता चला, कि सभी कुछ और करना चाहते हैं। सभी इस समाज को कुछ देना चाहते हैं और फिर क्या था, उन सब ने मिलकर कर डाला ऐसा कुछ जिसे करने से पहले लाखों कमाने वाले सौ बार सोचते हैं...
फोटो साभार: thebetterindiaa12bc34de56fgmedium"/>
अश्विनी लावण्य, श्वेता शर्मा, जॉयसन गुंटूरी, आयुष शर्मा और फनी किरन ने अपनी रिसर्च में पाया, कि किसानों की आमदनी चाहे कितनी भी बढ़ जाये, उन्हें अच्छा खाने पहनने को भले ही मिल जाये, लेकिन उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पा रही है और बेहतर शिक्षा के आभाव में वे आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। पांच दोस्तों की इस सोचन ने 'किसान सेवक फाउंडेशन' की नींव डाली। ये पांचों दोस्त हैदराबाद में चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और लाखों के पैकेज पर नौकरी करते हैं।
हैदराबाद में कुछ चार्टर्ड अकाउंटेंट दोस्त अच्छा खासा पैसा कमा रहे थे। अपनी व्यस्त लाइफस्टाइल में जी रहे थे। रोज सुबह उठना और ऑफिस के लिए निकल लेना। क्लाइंट्स से मिलना और फिर काम करके थके हारे वापस घर आ जाना। हफ्ते में जिस दिन छुट्टी होती, थोड़ा आराम करते या फिर सभी इकट्ठे मिलकर पार्टी करते या फिर कहीं घूमने का प्लान बनाकर निकल लेते। लेकिन इन सभी के भीतर कुछ न कुछ चल रहा होता। उन्हें लगता कि वे जो कर रहे हैं उससे उन्हें पैसे तो मिल रहे हैं, लेकिन समाज के बाकी लोगों के लिए सीधे तौर पर कुछ न कर पाने की कसक कुछ सोचने पर मजबूर कर रही थी। ऐसे ही एक दिन सभी ने अपने-अपने बारे में बताना शुरू किया, तो पता चला कि सभी समाज के लिए कुछ और करना चाहते हैं। कुछ देना चाहते हैं। सबके मन में ये ख्याल आया कि अगर ऐसा है तो चलो फिर कुछ सोचते हैं, कुछ ऐसा जो उन्हें सुकून और शांति दे।
सबकी मंशा तो थी कुछ करने की लेकिन किसी के पास कोई ठोस आइडिया नहीं था। फिर सबने सोचना शुरू किया और तय हुआ कि गांव के किसानों की आमदनी भले बढ़ जाये, उन्हें अच्छा खाने पहनने को मिल जाए, लेकिन अभी भी उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पा रही है और इसके आभाव में वे आगे नहीं पा रहे हैं। अश्विनी लावण्य, श्वेता शर्मा, जॉयसन गुंटूरी, आयुष शर्मा और फनी किरन जैसे चार्टर्ड अकाउंटेंट ने मिलकर एक ग्रुप बनाया, जिसे नाम दिया किसान सेवक फाउंडेशन। उन्होंने तय किया सभी पढ़े लिखे बैकग्राउंड से हैं और इसलिए वे हफ्ते के एक दिन की छुट्टी में गांव में जाकर पढ़ाएंगे। ठीक उसी वक्त ये पांच दोस्त अपने एक सीए फैकल्टी सत्य रघु के संपर्क में आये, जिसने आयुष के साथ गांव के किसानों को मार्केटिंग का प्लेटफॉर्म कॉस्मॉस ग्रीन बनाने में मदद की थी।
2015 शुरुआत की बात है, किसान सेवक फाउंडेशन टीम ने हैदराबाद से 80 किलोमीटर दूर तेलंगाना के एक गांव देपाली को चुना, जहां उन्होंने किसानों के बच्चों को हर रविवार पढ़ाने का फैसला किया। उस वक्त इस ग्रुप में सिर्फ 5 वॉलेन्टियर थे, जो हैदराबाद से हर हफ्ते इस गांव में सिर्फ पढ़ाने आते थे।
अश्विनी कहते हैं, कि 'शुरू में हर कोई थोड़ा आशंकित था। यहां तक कि गांव के लोगों को भी नहीं पता था कि हम उन्हें क्यों पढ़ाने आ रहे हैं। शुरुआती दिनों में तो किसान अपने बच्चों के साथ आते थे, लेकिन जब उन्हें हम पर भरोसा हो गया तो बच्चों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगी।'
आज इस संगठन में तकरीबन 100 के आसपास वॉलेन्टियर हैं और संडे क्लास में पढ़ने वालों की उम्र 3 से लेकर 73 साल तक है। अगस्त 2015 में इस संगठन का रजिस्ट्रेशन भी करा लिया गया। पढ़ाने के अलावा अब गांव में अच्छे प्रतिभाशाली बच्चों को स्कॉलरशिप दी जाती है और अगर किसी की पढ़ाई में किन्हीं कारणों से कोई कमी रह जाती है तो उसे सप्लीमेंट्री एजुकेशन दिलाने के लिए मदद की जाती है।
एक साल से KSF (किसान सेवक फाउंडेशन) की फुल टाइमर श्वेता बताती हैं, कि 'प्रोजेक्ट उड़ान के तहत गांव के 5 बच्चों का एडमिश अंग्रेजी मीडियम स्कूल में कराया गया। इसके अलावा गांव के सरकारी स्कूल में अब इवनिंग क्लास भी चलने लगी हैं।'
देश में लगभग सभी गांवों में शिक्षा व्यवस्था का एक ही हाल है। देपाली भी उससे अलग नहीं है। हैदराबाद से कुछ ही घंटे की दूरी पर बसा ये गांव सभी आधुनिक सुविधाओं से वंचित है। गांव के सरकारी स्कूल में सिर्फ एक ही अध्यापक के भरोसे पूरा स्कूल चल रहा है। उस पर ही सारी जिम्मेदारी रहती है। शिक्षा व्यस्था में सुधार के लिए KSF की टीम ने कई तरह के प्रयास किये हैं, जैसे बच्चों को खेल-खेल में कोई नई बात सिखा देना, किसी बच्चे को समझ न आने पर उसे पर्सनली समझाना। अश्विनी बताते हैं, कि 'एक बच्चे का पढ़ने में कम मन लगता था इसलिए उसका ध्यान पढ़ाई की ओर खींचने के लिए उसे टॉफी दी जाने लगी। गांव में लड़कियां कम उम्र में ही पढ़ाई छोड़ देती थीं। हमारी टीम ने उस पर भी काम किया है।'
जानकारी के आभाव में अक्सर किसानों के साथ धोखाधड़ी हो जाती है। KSF ने किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने और देश दुनिया में घट रही चीजों के बारे में जानकारी देने के लिए उन्हें कंप्यूटर और फोन पर काम करना सिखाया जा रहा है। अब KSF में कई इंजीनियर, टीचर्स और डॉक्टर्स भी शामिल हो गए हैं। टीम के बढ़ जाने के बाद देपाली के अलावा और कुछ गांवों में भी ये पहल करने की योजना बनाई जा रही है।
-मन्शेष