मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ प्रियंका ने शुरू किया कंस्ट्रक्शन को आसान बना देने वाला स्टार्टअप
मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी करने के बाद क्यों इस लड़की ने शुरू कर दिया ये काम?
बायोइन्फॉर्मैटिक्स में बीटेक करने के बाद जेवियर इंस्टीट्यूट भुवनेश्वर जैसे संस्थान से एमबीए और फिर एचडीएफसी और इन्फोसिस जैसी कंपनियों में नौकरी करने के बाद जब कोई लड़की कंस्ट्रक्शन के बिजनेस में कॉन्ट्रैक्टर जैसा काम करने की सोचे, तो पूरी गुंजाइश है कि दुनिया उसे बेवकूफ ही कहेगी। लेकिन जिनके इरादे पक्के होते हैं उन्हें किसी के कहने की नहीं, बल्कि अपने करने की परवाह होती है और ऐसी ही एक लड़की है प्रियंका गुप्ता।
प्रियंका के पिता भी बिजनेसमैन हैं। पिता ने प्रियंका को पूरा समर्थन दिया। प्रियंका ने अपने पिता के ऑफिस के एक कोने में ही अपना ऑफिस बनाया और 'ब्रिक एंड मोर्टार कंस्ट्रक्शन' नाम से अपनी कंपनी शुरू कर दी।
बायोइन्फॉर्मैटिक्स में बीटेक करने के बाद जेवियर इंस्टीट्यूट भुवनेश्वर जैसे संस्थान से एमबीए और फिर एचडीएफसी और इन्फोसिस जैसी कंपनियों में नौकरी। सुनने में लगता है कि बस अब तो लाइफ सेट है, लेकिन अगर आपको पता चले कि ये सब छोड़कर एक लड़की कंस्ट्रक्शन के बिजनेस में कॉन्ट्रैक्टर जैसा काम करने की सोच रही है तो पूरी गुंजाइश है कि दुनिया उसे बेवकूफ ही कहेगी। लेकिन जिनके इरादे पक्के होते हैं उन्हें किसी की परवाह नहीं होती। ये कहानी है भोपाल की रहने वाली प्रियंका गुप्ता की जिन्होंने सब कुछ छोड़कर स्टार्टअप के क्षेत्र में कदम रखा है।
प्रियंका बताती हैं कि बीटेक और एमबीए करने के बाद उन्हें एचडीएफसी लाइफ में पहली नौकरी मिली थी। वह मध्य प्रदेश की दस ब्रांचों को संभालती थीं। यहां तकरीबन एक साल तक काम करने के बाद उन्हें इन्फोसिस में परफॉर्मेंस मैनेजमेंट सिस्टम को संभालने की जॉब मिली। जॉब करते हुए प्रियंका को लगता था कि उन्होंने अब तक जो कुछ भी पढ़ा है वह अभी काम नहीं आ रहा है। वह कहती हैं, 'मुझे लगता था कि मैं जो कर रही हूं वो पूरी तरह से क्लर्कल एक्टिवटी जैसा है। इतने साल तक जो मैंने पढ़ाई की उसमें से कुछ भी काम नहीं आ रहा है।'
उन्हें लगा कि इसे तो किसी भी रोबोट से भी कराया जा सकता है और आज का दौर ऐसा है जहां कुछ भी हो सकता है। इसी दौरान उनके भीतर आंत्रेप्रेन्योरशिप की इच्छा जगी। लेकिन प्रियंका ने सोचा कि आजकल हर स्टार्टअप में क्रिएटिविटी का दबदबा है। जो इंसान क्रिएटिव है वही स्टार्टअप के बारे में सोचता है। चाहे फोटोग्राफी हो या वेडिंग प्लानर या फिर फैशन की दुनिया हो। इस क्षेत्र में काम करने वाले लोग अपने कुछ न कुछ तो जानते ही रहते हैं। और मुश्किल ये थी कि प्रियंका खुद को बिल्कुल भी क्रिएटिव नहीं समझतीं। वह कहती हैं, 'अगर मैं इनमें से कोई भी स्टार्टअप शुरू करने के लिए चुनती तो मुझे पक्का विश्वास है कि मैं फेल हो जाती। फिर मैंने सोचा कि मुझे क्या नहीं करना चाहिए।'
प्रियंका किसी वर्चुएल सर्विस वाले फील्ड पर नहीं काम करना चाहती थीं। वह कुछ ऐसा भी नहीं करना चाहती थीं जो सॉफ्ट हो। वह किसी प्रॉडक्ट पर काम करना चाहती थीं जिससे लोगों को प्रत्यक्ष रूप से फायदा हो। उनके दिमाग में कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में काम करने का विचार आया। वह बताती हैं कि कंस्ट्रक्शन की इंडस्ट्री असंगठित है और यहां अशिक्षित, अस्थाई रूप से काम करने वाले लेबर के सहारे सारा काम किया जाता है। इससे कई तरह की समस्याएं आती हैं। बड़े कंस्ट्रक्शन में तो मशीनों का इस्तेमाल होता है, लेकिन छोटे कंस्ट्रक्शन कामों में सारा काम लेबर के सहारे होता है। इससे प्रॉब्लम होती है। वह कहती हैं, 'हमने सोचा कि हम मशीन से काम करेंगे लेबरों पर निर्भरता को कम करेंगे। इससे पैसे और वक्त की बचत होगी।'
प्रियंका के पापा भी बिजनेसमैन हैं। उन्होंने प्रियंका को पूरा समर्थन दिया। प्रियंका ने पापा के ऑफिस के एक कोने में ही अपना ऑफिस बनाया और 'ब्रिक एंड मोर्टार कंस्ट्रक्शन' नाम से अपनी कंपनी शुरू कर दी। प्रियंका के पास फ्लोरिंग, प्लास्टरिंग, पेंटिंग, एक्सटीरियर फिनिश जैसे काम करने के लिए हर तरह की मशीनें हैं। उन्हें भोपाल में ही कुछ छोटे-छोटे प्रॉजेक्ट मिले। लेकिन वह कहती हैं कि लोगों में अभी उतनी जागरूकता नहीं है और वे परंपरागत तरीके से ही सारा काम करवाते हैं। वह पूरे विश्वास के साथ कहती हैं कि 'ठेकेदारी' वाले इस काम में उन्हें मजा आ रहा है और उम्मीद है कि आगे वह बेहतर करेंगी।
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