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10 हजार लोगों को मंजिल तक पहुंचाने में मददगार FolksVagn

कारपूलिंग कर पैसा कमाएं, वक्त और पर्यावरण बचायेंलोगों की सुरक्षा पर खास ध्यानदिल्ली के बाद अब दूसरे शहरों में भी FolksVagn जल्द

10 हजार लोगों को मंजिल तक पहुंचाने में मददगार FolksVagn

Sunday June 21, 2015 , 4 min Read

अगर आप ट्रैफिक जाम में फंसकर अपनी मंजिल से दूर हैं तो आपके वक्त पर पहुंचने की संभावना ना के बराबर होती है। आज के आधुनिक दौर में ये समस्या किसी एक शहर की नहीं बल्कि ज्यादातर शहरों का यही हाल है जहां पर सड़कें छोटी और गाड़ियां उससे कहीं ज्यादा हो गई हैं। इस समस्या का तोड़ निकाला दिल्ली के रहने वाले समीर खन्ना ने। जिन्होने FolksVagn सेवा में 10 हजार लोगों को अपने साथ जोड़ा जो दिल्ली की ट्रैफिक समस्या को सुधारने में मददगार तो साबित हो ही रहा है साथ ही लोगों को भी इसमें मजा आ रहा है।

समीर खन्ना, संस्थापक, FolksVagn

समीर खन्ना, संस्थापक, FolksVagn


ट्रैफिक जाम की समस्या को दूर करने के लिए अक्सर हम कारपूलिंग पर जोर देते हैं, लेकिन ये ज्यादा कारगार साबित नहीं हुई है। ऐसे में समीर चुपचाप बैठकर इस समस्या का सामना नहीं कर सकते थे। उन्होने इसके लिए लोगों से बात की और ये समझने की कोशिश की कि कारपूलिंग सफल क्यों नहीं हो सकी। तब उन्होने पाया कि इसमें पैसों का कोई लेनदेन नहीं होता था इससे लोगों को काफी अटपटा लगता था। अपने विचारों को हकीकत में बदलने के लिए उन्होने FolksVagn कारपूलिंग सेवा शुरू की। जिसमें ना सिर्फ पैसे का लेन देन होता है बल्कि ये सुनिश्चित भी करता है कि आपको इस सेवा को पाने के लिए ज्यादा इंतजार भी ना करना पड़े। समीर FolksVagn शुरू करने से पहले सिस्को और एरिक्सन जैसी कंपनियों में तकनीकी विशेषज्ञ के तौर पर काम कर चुके हैं। समीर को इसका विचार तब आया जब उन्होने देखा की सड़क पर कारों की लंबी कतार होती है और उनमें से ज्यादातर कारों में एक ही व्यक्ति होता है।

दिल्ली में चल रही FolksVagn सेवा का इस्तेमाल करने के लिए किसी भी व्यक्ति को इनकी वेबसाइट पर जाकर खुद को रजिस्टर्ड करना होता है। जिसमें अपने घर के साथ ऑफिस की जानकारी देनी होती है। साथ ही वक्त भी बताना पड़ता है कि वो कब कहां से कहां तक आना जाना करते हैं। इस दौरान कोई भी दूसरा व्यक्ति ऐप के माध्यम से जान जाता है कि वो जिस मार्ग पर निकलना चाहता है उस मार्ग पर कब और कौन सा दूसरा व्यक्ति गाड़ी लेकर जा रहा है ताकि वो भी अपनी मंजिल तक पहुंच सके। FolksVagn इसके लिए हर किलोमीटर पर साढ़े तीन रुपये वसूलता है जिसमें से 3 रुपये कार चालक को और 50 पैसे कमीशन के तौर पर FolksVagn को मिलते हैं। FolksVagn की सदस्यता लेने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता। पैसों का लेन देन ऑनलाइन पर्स के माध्यम से होता है।

FolksVagn की इस सेवा में सुरक्षा का भी खास ध्यान रखा गया है। अगर आप किसी के खराब व्यवहार के कारण यात्रा नहीं करना चाहते तो उसके लिए आपको यात्रा पूरी करने के बाद एक फीडबैक फॉर्म भरना होता है जिसमें आप अपनी बात रख सकते हैं। साथ ही वेबसाइट में दिये झंडों का इस्तेमाल कर सकते हैं जिसे FolksVagn से जुड़ा कोई भी व्यक्ति देख सकता है और किसी को भी पांच झंड़े मिल जाते हैं तो उस यूजर को बैन कर दिया जाता है। इस ग्रुप में 20 से ज्यादा महिलाएं भी हैं।

समीर का कहना है कि लोगों की आदतों को बदलना काफी बड़ी चुनौती है। लोगों की एक तय मानसिकता है। लोग कहते हैं कि बड़ा अच्छा विचार है लेकिन इसके इस्तेमाल से कतराते हैं। इस कारण शुरूआत के छह महिनों के दौरान इन लोगों के साथ सिर्फ 200 लोग ही जुड़े। हालांकि धीरे धीरे इस संख्या में बढ़ोतरी होती गई और आज ये संख्या 10 हजार तक पहुंच गई है। खास बात ये है कि हर रोज 100 से ज्यादा लोग FolksVagn के साथ जुड़ रहे हैं। FolksVagn के पास 12 लोगों की एक टीम है और अब ये लोग निवेश की संभावनाएं टटोल रहे हैं। दिल्ली में काफी अच्छा काम करने के बाद अब इनकी योजना मुंबई, चैन्नई, हैदराबाद, बेंगलौर और पुणें में भी अपने काम को विस्तार देने की है। समीर का कहना है कि किसी भी काम को जब भी करें तो उसे पूरी दृढ़ता से करें और किसी काम के प्रति आपका जुनून बड़ी भूमिका निभाता है।