सेविंग्स के 6 लाख खर्च कर पक्षियों को पानी पिलाने के लिए बांटे 10,000 मिट्टी के बर्तन
गर्मियों का महीना शुरू हो गया है और देश के लगभग सभी हिस्सों में धूप से लोगों की हालत खराब होने लगी है। लेकिन इंसानों को इतनी सुविधाएं हासिल हैं कि हम इस गर्मी का मुकाबला कर सकते हैं। सोचिए उन बेजुबान पक्षियों और जानवरों का क्या होता होगा जो पानी तक के लिए हम पर निर्भर होते हैं, खासकर शहरी इलाकों में। गर्मी में पक्षियों को परेशानी न हो इसलिए कुछ भले लोग अपनी छतों और बालकनी में पानी के बर्तन रख देते हैं। लेकिन कुछ ही लोग सिर्फ ऐसा करते हैं।
इससे निपटने के लिए केरल के एर्णाकुलम में रहने वाले 70 वर्षीय श्रीमन नारायन ने एक अनोखा तरीका खोज निदाला है। पेशे से लेखक और पर्यावरणकर्मी नारायण ने पूरे शहर में 10,000 से ज्यादा मिट्टी के बर्तन बांटने का फैसला किया जिससे के लोग उसमें पानी भरकर अपनी छतों पर रख सकें। इस प्रॉजेक्ट का नाम 'जीव जलाथियु मानपत्रम' है जिसका मतलब होता है जिंदगी बचाने वाले पात्र। इसकी शुरुआत 2018 में हुई थी तब इसे काफी सफलता मिली। सफलता को देखते हुए नारायण ने इसे इस साल भी जारी रखने का फैसला कर लिया।
इस प्रॉजेक्ट को कोच्चि नगर निगम से पुरस्कार और समर्थन भी मिला है। द न्यूज मिनट से बात करते हुए नारायण ने कहा, 'गर्मियों के बढ़ने के साथ ही पक्षियों को पानी मुहैया कराने वाले अधिकांश स्रोत सूख गए हैं। अधिक तापमान से सिर्फ मनुष्य ही नहीं बल्कि जानवर भी प्रभावित होते हैं। इस बर्तन से कम से कम 100 पक्षी पानी पी सकते हैं। नारायण ने इस पहल को शुरू करने के लिए अपनी सेविंग्स के 6 लाख रुपये खर्च कर दिए। वे इस अकेले इस साल 12,000 से 15,000 मिट्टी के बर्तन दान करने की योजना बना रहे हैं।
वे कहते हैं, 'मेरे तीन बच्चे हैं जिनकी जिम्मेदारी अब मैं निभा चुका हूं। अब वे आराम से अपनी जिंदगी जी रहे हैं। मुझे सेविंग्स के पैसों की जरूरत नहीं है। इसलिए मैंने इन पैसों से धरती बचाने का संकल्प लिया।' नारायण अपने गांव में ही एक छोटा सा रेस्टोरेंट चलाते हैं और लॉटरी का बिजनेस भी करते हैं। वे समय-समय पर पर्यावर से जुड़े कई अच्छे काम करते रहते हैं। उन्होंने अभी हाल ही में फलों के 50,000 पौधे वितरित किए थे। इसमें उन्होंने लगभग 15 लाख रुपये खर्च किए थे।
मुप्पाथाम इलाके में मैंने व्यक्तिगत रूप से 10,000 से अधिक आम और कटहल के पेड़ लगवाए थे। मैंने अपनी टीम के साथ मिलकर हर एक परिवार का दौरा किया और उन्हें पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया।
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