दिव्यांगों के प्रति समर्पण की नई मिसाल क़ायम कर रहा छत्तीसगढ़ का यह ज़िला
यह लेख छत्तीसगढ़ स्टोरी सीरीज़ का हिस्सा है...
छत्तीसगढ़ में ज़िला प्रशासन, राज्य सरकार की मदद से शारीरिक रूप से अक्षम आबादी के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम चला रहा है और यही वजह है जिसके वजह से ये प्रदेश देश के अन्य ज़िलों और प्रदेश के सामने एक उदाहरण पेश कर रहा है...
दिव्यांगों के कौशल विकास और उन्हें आत्मनिर्भर करने के उद्देश्य के साथ ज़िले में कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जशपुर में लाइवलीहुड कॉलेज में दिव्यांगजनों को एलईडी बल्ब तैयार करने से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
शारीरिक अक्षमता की बाधा को पीछे छोड़ते हुए दिव्यांगजनों ने अपने हौसलों से अनेक कीर्तिमान स्थापित किए हैं। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां पर उन्होंने अपनी असाधारण योग्यता और क्षमता की मिसाल न क़ायम की हो। ऐसे में सरकार की भी जिम्मेदारी बनती है कि दिव्यांगजनों को मुख्यधारा से जोड़ने का हर संभव प्रयास करे और छत्तीसगढ़ की प्रदेश सरकार अपने इस दायित्व का पूरी तरह से निर्वाहन कर रही है। प्रदेश के समाज कल्याण विभाग ने कुछ महीनों पहले ही राज्य-स्तरीय दिव्यांगजन सम्मान समारोह का आयोजन कराया गया, जिसमें ज़िले के उत्तर-पूर्वी ज़िले जशपुर को दिव्यांगजनों के लिए सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाले ज़िले के रूप में सम्मानित किया गया।
ज़िला प्रशासन, राज्य सरकार की मदद से शारीरिक रूप से अक्षम आबादी के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम चला रहा है और प्रदेश एवं देश के अन्य ज़िलों के सामने एक उदाहरण पेश कर रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार का मानना है कि जिस प्रकार पोलियो जैसी बीमारी को जड़ से उखाड़ फेंका गया, ठीक उसी तरह से एक विस्तृत अभियान के माध्यम से पोषण आधारित निःशक्तता को दूर करना होगा। छत्तीसगढ़ में इस लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में जशपुर ज़िला अव्वल है।
दिव्यांगों के कौशल विकास और उन्हें आत्मनिर्भर करने के उद्देश्य के साथ ज़िले में कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जशपुर में लाइवलीहुड कॉलेज में दिव्यांगजनों को एलईडी बल्ब तैयार करने से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। दीनदयाल पुनर्वास कार्यक्रम के अन्तर्गत ज़िले के चुनिंदा 604 दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग/ सहायक उपकरण प्रदान किए जा चुके हैं। शारीरिक रूप से अक्षम और आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों को छत्तीसगढ़ निःशक्तजन वित्त एवं विकास निगम द्वारा व्यवसाय इत्यादि शुरू करने के लिए आर्थिक सहायता भी दी जा रही है।
सामाजिक पुनर्वास के उद्देश्य के साथ निःशक्त विवाह प्रोस्ताहन योजना के अंतर्गत जशपुर ज़िले में 96 दिव्यांग दंपतियों को लाभान्वित किया गया। दिव्यांगों के पुनर्वास, कौशल विकास और सशक्तिकरण के लिए 'हम होंगे क़ामयाब' अभियान भी चलाया गया। निःशक्त पुनर्वास केंद्र में दिव्यांगजनों को उनके लिए चलाई जा रहीं सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के संबंध में अवगत कराया जाता है और मेडिकल बोर्ड के समन्वय से 15416 दिव्यांगजनों को निःशक्तता प्रमाण पत्र प्रदान किया जा चुका है।
ज़िला प्रशासन दिव्यांग लोगों की हर सहूलियत का ख़्याल रख रहा है। दिव्यांगों को तीर्थ दर्शन की भी विशेष सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। दिव्यांग छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति का वितरण भी किया जा रहा है। स्वालंबन स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत ज़िले के 2000 दिव्यांग परिवारों को लाभान्वित किया जा रहा है और प्रशासन की पूरी कोशिश है कि आर्थिक रूप से कमज़ोर दिव्यांगों को बेहतर से बेहतर इलाज निःशुल्क उपलब्ध कराया जाए। ज़िले में कुल 2809 दिव्यांगजनों को शासकीय सेवा में नियोजित किया जा चुका है।
ज़िले में 50 सीटों की क्षमता वाले शासकीय दृष्टिबाधित विशेष विद्यालय का संचालन भी किया जा रहा है। परिवहन विभाग के सौजन्य से योग्यता अनुसार दिव्यांगजनों को बस पास तक बांटे गए हैं। दिव्यांगजनों के लिए 2293 शासकीय भवनों को भी बाधारहित किया जा चुका है। समाज कल्याण विभाग द्वारा दिव्यांगजनों को मुख्यधारा में लाने के लिए अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। दिव्यांगों को सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों का अधिक से अधिक लाभ दिलाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
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