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दिल्ली के ये दो युवा कहते हैं शादियों की कहानी

जाननी हों दिलचस्प शादियों की कहानियां, तो आयें इस पोर्टल पर

दिल्ली के ये दो युवा कहते हैं शादियों की कहानी

Tuesday August 21, 2018 , 5 min Read

इस पोर्टल की सबसे ख़ास बात ये है की इनकी लिखी कहानियों में सभी कहानियां बिल्कुल सच और जिंदगी के उन पहलुओं के बारे में हैं जिससे लोग प्रेरणा ले सकें। पोर्टल उन लोगो की कहानी लिखता है जो लोग अपनी रियल लाइफ के हीरो हीरोइन हैं।

अपने ऑफिस में मनीष  और अमृता (दाएं)

अपने ऑफिस में मनीष  और अमृता (दाएं)


हिंदुस्तान में जहाँ शादी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण और ख़ूबसूरत हिस्सा है, लेकिन बावजूद इसके खूबसूरत हिस्से को समाज में मौजूद कुरीतियों ने इतना पेचीदा बना दिया है कि लोग इस खूबसूरत हिस्से का लुत्फ़ उठाने की बजाय इसको एक औपचारिकता ज्यादा समझने लगे हैं।

मनीष एक मध्यमवर्गीय परिवार से सम्बन्ध रखते हैं। उनके पिताजी का दिल्ली में पिछले 48 सालों से अख़बार का व्यवसाय है जिसमें मनीष बचपन से ही अपने पिताजी को सपॉर्ट करते थे और सुबह 4 बजे अखबार के काम से लौट कर आने के बाद दिन में स्कूल जाया करते थे लेकिन बचपन से ही मनीष ने अपनी आँखों में कुछ अलग और बड़ा काम करने का सपना बसा रखा था और अपने सपने को पूरा करने के लिए मनीष 12वीं की परीक्षा देने के अगले ही दिन एक निजी बैंक के लोन विभाग में बतौर एग्जीक्यूटिव की जॉब ज्वाइन कर ली।

लगभग एक साल से अधिक जॉब करने के बाद मनीष ने महसूस किया कि उनको ये नौकरी नहीं करनी, बल्कि कुछ और करना है। उन्होंने बैंक की जॉब को बाय-बाय कह दिया और दिल्ली यूनिवर्सिटी के बी.कॉम कोर्स में एडमिशन ले लिया। बी.कॉम करने के बाद उन्होंने नोएडा के एक कॉलेज से मास कम्यूनिकेशन का कोर्स किया। इस कोर्स के दौरान मनीष ने बहुत कुछ सीखा और उनके अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें एक नामी चैनल में जॉब भी मिल गयी। न्यूज चैनल की नौकरी में मनीष को लगा कि उन्हें वो काम करने की आजादी नहीं मिल रही है जो उन्हें चाहिए और उन्होंने इस नौकरी को भी अलविदा कर दिया।

इन सबके बीच अपनी पढ़ाई के साथ कोई समझौता नहीं किया और साल 2012 में जर्नलिज्म में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। चैनल की जॉब छोड़ने से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक मनीष ने कई जगहों पर जॉब की लेकिन उनका कहीं भी मन नहीं लगा। यह उस वक्त की बात है जब देश भर में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चल रहा था। उस आंदोलन ने मनीष को काफी प्रभावित किया। उन्होंने सक्रिय रूप से आंदोलन में हिस्सा लिया और दिल्ली की सरकार बनाने में अहम योगदान दिया।

इसी दौरान उनकी मुलाकात अमृता से हुई। अमृता असम की रहने वाली हैं और उन दिनों वहां के चुनावों में आईटी सेल से जुड़कर काम कर रही थीं। चुनाव खत्म होने के बाद मनीष राजनीति से बाहर आ गए। उनका मकसद सिर्फ बदलाव लाने का था। राजनीति में उनका मन नहीं लगा। वे वापस लौटकर अपना बिजनेस शुरू करने में लग गए। उन्होंने एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी की शुरुआत की। लेकिन इसके लिए उन्हें किसी के साथ की जरूरत थी। मनीष ने अमृता से संपर्क किया तो पता चला कि वह एक आईटी कंपनी में नौकरी कर रही हैं, लेकिन उनका वहां मन नहीं लग रहा है।

काफी बातचीत के बाद अमृता मनीष के साथ काम करने को राजी हो गईं। दोनों ने कंपनी की अच्छी शुरुआत की और कई सारे प्रॉजेक्ट्स के लिए काम किया। हालांकि अमृता के पेरेंट्स उनके जॉब छोड़ने से खासे नाराज़ थे क्योंकि अमृता के पिताजी गुवाहाटी कॉलेज के प्रोफेसर थे जिस वजह से वो भी अमृता को ऐसी जॉब में देखना चाहते थे जोकि टीचिंग से जुड़ी हो या फिर उनकी पढाई से लेकिन अमृता को दोनों ही प्रोफेशन में कोई ख़ासी रुचि नहीं थी। वही दूसरी तरफ मनीष के परिजन का भी काफी दबाव था कि दोनों एक साथ काम न करें, लेकिन इन सबके बावजूद दोनों ने एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ा। मनीष को अमृता का साथ मिलते ही अपने बिसनेस में काफी मदद मिली। दोनों ने मिल कर काफी शादियाँ और कॉर्पोरेट फंक्शन आयोजित किये।

शादियों के फंक्शन आयोजित करने के दौरान इन दोनों का मिलना दूल्हा दुल्हन से काफी रहता जिसमे की लोग कई बार अपनी निजी जिंदगी की बाते भी उनको बताया करते थे काफी लोगो की कहानी सुनने के बाद मनीष और अमृता ने महसूस किया कि हिंदुस्तान की चकाचौंध शादियों के पीछे भी कुछ ऐसी कहानियां है जो कि लोगो की ज़िंदगी में काफी मायने रखती है। हिंदुस्तान में जहाँ शादी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण और ख़ूबसूरत हिस्सा है परन्तु बावजूद इसके खूबसूरत हिस्से को समाज में मौजूद कुरीतियों ने इतना पेचीदा बना दिया कि लोग इस खूबसूरत हिस्से का लुत्फ़ उठाने की बजाय इसको एक औपचारिकता ज्यादा समझने लगे हैं। हर कोई शादियों को लेकर कुछ न कुछ कहना चाहता है वो अपने अच्छे और ख़राब अनुभव को लोगो को बताना चाहता है, लेकिन उनके पास कोई ऐसी जगह ही नहीं जहा वो अपनी बाते कह सके।

ऐसे में दोनों ने अपने शौक और समाज की जरुरत को देखते हुए इस स्टार्टअप की शुरुआत की जिसका नाम है "पूरी शादी की कहानी आपकी ज़ुबानी। दोनों अब तक 150 से ऊपर कहानी लिख चुके हैं जिसमे समाज के हर वर्ग चाहे वो एक नामी हस्ती हो या फिर बुजुर्ग या नया शादीशुदा जोड़ा और या फिर कोई लव स्टोरी। इस पोर्टल की सबसे ख़ास बात यह है कि इनकी लिखी कहानियों में सभी कहानियां बिल्कुल सच और जिंदगी के उन पहलुओं के बारे में है जिससे लोग प्रेरणा ले सकें। पोर्टल उन लोगों की कहानी लिखता है जो लोग अपनी रियल लाइफ के हीरो हीरोइन हैं। साथ ही इस पोर्टल के फाउंडर का कहना है कि वो आने वाले समय में अपने पोर्टल के माध्यम से लोगों की शादी से जुड़ी हुई समस्याओं के लिए लीगल काउन्सलिंग दिया करेंगे और आने वाले समय में सोशल मुद्दों पर वर्कशॉप और इवेंट ऑर्गनाइस करेंगे।

फिलहाल पूरी शादी की कहानी टीम दिल्ली में 28 अक्टूबर 2018 को एक कपल मैराथॉन का आयोजन कर रही है जिसका मकसद लोगों के रिलेशन को मज़बूत बनाना है।

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