महंगाई बढ़ने की आशंकाएँ खारिज, अगले साल से जीएसटी लागू करना चुनौतीपूर्णः राजन
राजन ने रिज़र्व बैंक का गवर्नर का पद छोड़ने से पहले आज जारी अपनी आखिरी समीक्षा के बाद राजन ने बहुत सारे मुद्दों पर अपने विचार खुल कर रखे। बहुत सारी चिंताएँ, जताईं और कई सारे सुझाव भी दिये।
रिजर्व बैंक ने आज कहा है कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को एक अप्रैल, 2017 से लागू करना चुनौतीपूर्ण होगा। हालांकि, केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि इस अप्रत्यक्ष कर के लागू होने का मूल्य वृद्धि पर ‘‘सीमित’’ असर ही होगा, क्योंकि खुदरा सूचकांक समूह की आधे से ज्यादा वस्तुएँ जीएसटी के दायरे से बाहर होंगी।
चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में रिजर्व बैंक ने जीएसटी विधेयक के पारित होने को आर्थिक सुधारों के मामले में बढ़ती राजनीतिक आम सहमति के लिहाज से बेहतर बताया और कहा कि इससे कारोबारी धारणा को बढ़ावा मिलेगा और अंतत: निवेश बढ़ेगा। रिज़र्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने जीएसटी लागू होने से महंगाई बढ़ने की आशंकाओं को खारिज करते हुये कहा कि इसके वास्तविक प्रभाव के बारे में तभी आकलन लग सकेगा जब जीएसटी की दर तय होगी। हालांकि, कई देशों में यह देखा गया है कि इस व्यवस्था के लागू होने के बाद मुद्रास्फीति का असर ज्यादा समय नहीं रह पाया।
रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में शामिल वस्तुओं में से करीब 55 प्रतिशत पर जीएसटी का कोई असर नहीं होगा। इसके साथ ही कर-पर-कर लगने का असर भी नई व्यवस्था में जाता रहेगा। कुल मिलाकर कई वस्तुओं और सेवाओं पर इसका प्रभावी असर कम होगा। पटेल ने कहा, ‘‘आधार व्यापक होने पर आपको उंची दर की जरूरत नहीं होती है। पहली बात कि मुद्रास्फीति का असर एकबारगी होगा। दूसरा, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में शामिल वस्तुओं का बड़ा हिस्सा जीएसटी के दायरे से बाहर होगा और जो दीर्घकालिक प्रभाव होगा वह काफी सीमित होगा।’’ जीएसटी का जो पूरा प्रभाव दिखेगा वह अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में ही दिखेगा।
राजन ने रिज़र्व बैंक का गवर्नर का पद छोड़ने से पहले आज जारी अपनी आखिरी समीक्षा में कहा, ‘‘जीएसटी से आखिर में कारोबारी धारणा और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।’’ राजन का रिज़र्व बैंक गवर्नर के तौर पर मौजूदा कार्यकाल चार सितंबर को समाप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि जीएसटी विधेयक का पारित होना आर्थिक सुधारों के मामले में राजनीतिक आमसहमति बढ़ने का बेहतर संकेत देता है। जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक कल लोकसभा में पारित होने के साथ ही इस पर संसद की मुहर लग गई है। इसके पारित होने के साथ ही सरकार अब इसे एक अप्रैल, 2017 की तय समयसीमा के भीतर लागू करने पर जोर दे रही है। मौद्रिक समीक्षा पेश करने के बाद संवाददाताओं के साथ बातचीत में राजन ने कहा की जीएसटी का मुद्रास्फीति पर असर इसकी दर से तय होगा। इसके अलावा जीएसटी व्यवस्था के तहत दी जाने वाली छूट भी इसकी दिशा तय करेगी।
राजन ने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति के मामले में इस बात पर काफी कुछ निर्भर करेगा कि किस वस्तु का दाम कम होता है और किसके दाम बढ़ते हैं। कुछ वस्तुओं के दाम कम होंगे। रिजर्व बैंक का ध्यान इस समय मार्च, 2017 तक 5 प्रतिशत मुद्रास्फीति लक्ष्य को हासिल करने पर है। हमें नहीं लगता कि जीएसटी 2017 से पहले ही लागू हो जायेगा।’’ जीएसटी में केन्द्रीय स्तर पर लगने वाला उत्पाद शुल्क और सेवाकर तथा राज्यों के सतर पर लगने वाले मूल्य वर्धित कर यानी वैट तथा अन्य स्थानीय कर समाहित हो जायेंगे।
बैंकों को कर्ज की दर कम करने की प्रेरणा विदेशी पूंजी निकलने की आशंका खारिज
रिज़र्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने आज एक बार फिर बैंकों को नीतिगत दरों में कटौती का फायदा ग्राहकों तक पहुंचाने और ब्याज सस्ता करने के लिए प्रेरित किया जब कि महंगाई पर नियंत्रण की रिज़र्व बैंक की नीतिगत प्राथमिकता को बरकार रखा है। बैंकों ने कोई न कोई कारण बता कर बैंकों ने नीतिगत दर में कटौती का मामूली लाभ ही ग्राहकों तक पहुंचाया है और उनका ताजा बहना डालर जमाओं की निकासी की आशंका है। राजन ने मौद्रिक नीति की द्वैमासिक समीक्षा में मुद्रास्फीति नियंत्रण को अपनी प्राथमिकता बताते हुए नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया और यथास्थिति बनाये रखी।
गवर्नर राजन ने यहां समीक्षा बैठक के बाद संवादाताओं से बातचीत में अपनी आलोचनाओं को कोई महत्व न देते हुए एक जवाब में कहा कि उन्हें लोगों से धन्यवाद भी मिलता है। यहां तक कि वह जब विमान में यात्रा कर रहे होते हैं अज्ञात लोगों से उन्हें धन्यवाद के संदेश मिलते हैं। रिज़र्व बैंक गर्वनर के तौर पर तीन साल के कार्यकाल को उन्होंने ‘‘बहुत अच्छा’’ बताया। राजन चार सितंबर को गवर्नर का पद छोड़ देंगे और अपने अध्ययन अध्यापन के काम में लौट जायेंगे। उन्होंने कहा कि गवर्नर के नेतृत्व में संभवत: यह आखिरी मौद्रिक समीक्षा थी। इसके बाद यह काम छह सदस्यों की मौद्रिक नीति समिति करेगी।
राजन ने एक तरह से नाराजगी जताते हुए कहा कि बैंकों ने ग्राहकों को सस्ते कर्ज का लाभ बहुत कम दिया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि कंपनियों से कर्ज की मांग बढ़ने पर आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और सरकारी बैंकों की बैलेस-शीट की सफाई के बाद कंपनियों के कर्ज के लिए प्रतिस्पर्धा बढेगी और रिण की दरें नरम होंगी। राजन ने बैंकों पर ब्याज दरें नहीं घटाने के लिये नित नये बहाने बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अब प्रवासी भारतीय विदेशी मुद्रा (एफसीएनआर-बी) खाते में जमाओं के विमोचन को लेकर बढ़ी चिंता को इसकी वजह बताया जा रहा है, जबकि रिज़र्व बैंक सार्वजनिक तौर पर यह आश्वासन दे चुका है कि इससे बाजार में कोई उथल पुथल नहीं होगी।
राजन ने कहा, ‘‘अब तक कुछ बैंक कहते रहे कि तरलता की तंगी से दरें उंची हैं। अब मैं सुन रहा हूं कि एफसीएनआर विमोचन की चिंता से दरें कम नहीं कर सकते हैं। मुझे संदेह है कि एफसीएनआर विमोचन होने के बाद कोई नई चिंता पैदा हो सकती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें प्रसन्नता होगी यदि कुछ और लाभ ग्राहकों तक पहुंचाया जाय।’’ हालांकि, राजन ने कहा कि बहीखातों को साफ सुथरा बनाने को लेकर बैंकों के समक्ष जो चुनौतियाँ हैं रिज़र्व बैंक उन मुश्किलों के प्रति संवेदनशील है। बैंकिंग तंत्र से करीब 26 अरब डालर की निकासी अगले महीने तक होनी है। यह राशि तब जुटाई गई थी जब सितंबर-नवंबर 2013 में रपया तेजी से गिर रहा था।
राजन ने विश्वास जताया कि मार्च 2017 तक 5 प्रतिशत मुद्रास्फीति लक्ष्य को हासिल कर लिया जायेगा। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने हमें जो मुद्रास्फीति का लक्ष्य दिया है हम उसके दायरे में हैं और यदि कोई अप्रत्याशित घटनाक्रम नहीं होता है तो उम्मीद है कि मार्च 2017 तक हम खुदरा मुद्रास्फीति के 5 प्रतिशत के लक्ष्य के ईदगिर्द होंगे। व्यापक तौर पर हम आश्वस्त हैं कि हम पांच प्रतिशत के लक्ष्य को हासिल कर लेंगे।’’ राजन ने रिज़र्व बैंक गवर्नर के तौर पर अपने कार्यकाल को ‘‘बहुत बढिया’’ बताया और कहा कि आलोचकों द्वारा उनके काम का आकलन कोई महत्व नहीं रखता है क्योंकि उनके द्वारा किये गये कार्यों का असर अगले पांच-छह सालों में दिखेगा। राजन ने कहा, ‘‘लोगों का निष्कर्ष अलग अलग हो सकता है, लेकिन हमें देखना चाहिए .. कि खाने पर ही स्वाद का पता चलता है। हमें देखना होगा कि अगले पांच-छह साल में चीजें किस तरह बदलती हैं, उसके बाद ही हम इस परिणाम पर पहुंच सकते हैं कि यह ठीक था अथवा गलत।’’
राजन ने कहा कि आरबीआई ने सितंबर में आसन्न विदेशी बांड (एफसीएनआर-बी) विमोचन भुगतान के दबाव की संभावनाओं को देखते हुए खुले बाजार में खरीद-फरोख्त, हाजिर बाजार में हस्तक्षेप या वायदा खरीद की डिलीवरी के जरिए नकदी का प्रबंध पहले ही कर लिया है। उल्लेखनीय है कि राजन ने जनवरी 2015 में नीतिगत दर में कटौती की घोषणा करने के बाद जब भी ब्याज दर अपरिवर्तित रखने की घोषणा की है उन्होंने हर बार कहा है कि केंद्रीय बैंक का नीतिगत रख उदार बना हुआ है। गौरतलब है कि जनवरी 2015 में पहली बार उन्होंने नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी और उसके बाद चार बार में वह नीतिगत दर में 1.25 प्रतिशत की कटौती कर चुका है।
ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं
रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने महंगाई बढने की चिंताओं के मद्देनजर नीतिगत दरों में आज कोई बदलाव नहीं किया हालांकि उन्होंने कहा कि केन्द्रीय बैंक मौद्रिक नीति के मामले में उदार रख बनाये रखेगा। उन्होंने नीतिगत दर में पिछली कटौतियों का पूरा लाभ ग्राहकों तक नहीं पहुंचाने के लिये बैंकों की फिर आलोचना की। मौद्रिक नीति घोषणा के बाद वाणिज्यिक बैंकों ने खुदरा और व्यावसायिक रिणों की ब्याज दर में तुरंत कमी किए जाने की संभावना से इनकार किया जबकि उद्योग जगत आर्थिक वृद्धि तेज करने के लिये कर्ज सस्ता करने पर लगातार जोर देता रहा है।
चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में आज रिजर्व बैंक ने रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर स्थिर रखा। रेपो दर वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक फौरी जरूरत के लिये बैंकों को पूंजी उपलब्ध कराता है। यह लगातार दूसरी मौद्रिक समीक्षा है जब नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया। रिवर्स रेपो दर 6 प्रतिशत और नकद आरक्षित अनुपात :सीआरआर: चार प्रतिशत पर यथावत रहा। मौद्रिक समीक्षा पर शेयर बाजार का रख प्रतिकूल रहा और सूचकांक में 97 अंक की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, रिजर्व बैंक ने मार्च 2017 तक पांच प्रतिशत मुद्रास्फीति लक्ष्य को हासिल करने की उम्मीद जताई है और कमजोर वैश्विक परिदृश्य के बावजूद 2016-17 की आर्थिक वृद्धि दर को 7.6 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
रिज़र्व बैंक गवर्नर के पद पर तीन साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद चार सितंबर को पठन पाठन के क्षेत्र में लौट रहे राजन ने नीतिगत दरों में पिछले महीनों में की गई कटौतियों का लाभ ग्राहकों तक मामूली रूप से ही पहुंचाने के लिये बैंकों पर अपनी भड़ास निकाली। उन्होंने कहा कि बैंक कोई न कोई बहाना बनाकर ब्याज दरों में कटौती से बचते रहे हैं। राजन ने कहा, ‘‘बैंकिंग तंत्र में नकदी की बेहतर स्थिति’’ और बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से बैंक दरें कम करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने यह भी घोषणा की कि कर्ज पर ब्याज दरें तय करने के बैंकों के तरीके में बदलाव किया जा रहा है।
सरकार के साथ समझौते के तहत रिज़र्व बैंक ने खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर रखने की प्रतिबद्धता जताई है। हालांकि, इसमें इसके साथ दो प्रतिशत जमा-घटा यानी उपर अथवा नीचे तक जाने का दायरा भी रखा गया है। रिज़र्व बैंक ने अगले साल मार्च के लिये पांच प्रतिशत का लक्ष्य भी तय किया है ताकि इस इस आंकड़े को हासिल किया जा सके। राजन ने कहा कि उनके रिजर्व बैंक के गवर्नर के तौर पर यह उनकी आखिरी मौद्रिक समीक्षा है, लेकिन संभवत: यह रिजर्व बैंक के गवर्नर द्वारा की जाने वाली आखिरी समीक्षा होगी क्योंकि इसके बाद यह काम मौद्रिक नीति समिति (मपीसी) के हाथ में चला जायेगा। चार अक्तूबर को होने वाली अगली मौद्रिक समीक्षा यही समिति करेगी।
सरकार के समिति में तीन सदस्य होंगे। इनके चयन के लिये सरकार ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। रिज़र्व बैंक ने अपने तीन सदस्यों को नामित कर दिया है। रिजर्व बैंक ने कार्यकारी निदेशक माइकल पात्रा को नामित किया है। इसके अलावा रिज़र्व बैंक के गवर्नर खुद और मौद्रिक नीति के प्रभारी डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल इसके सदस्य होंगे। राजन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मुख्य मुद्रास्फीति जो कि जून में 5.8 प्रतिशत पर 22 माह के उच्च स्तर पर पहुंच गई है, अच्छे मानसून के प्रभाव से इसपर अनुकूल असर होगा और नीचे आ जायेगी। सेवायें भी सस्ती होंगी और उर्जा के दाम भी लगातार नरम होंगे।
खाद्य मुद्रास्फीति पर राजन ने कहा कि मौसम की वजह से सब्जियों के दाम उंचे हैं जबकि बुवाई को देखते हुए ऐसा लगता है कि दालों और अनाज के दाम नीचे आयेंगे। हालांकि, 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने पर आवास किराया भत्ता बढ़ने से मुद्रास्फीति पर एकबारगी प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि बाद में यह सामान्य हो जायेगा। राजन ने जीएसटी कानून के अमल में आने के बाद मुद्रास्फीति बढ़ने की संभावनाओं को भी ज्यादा तवज्जो नहीं दी। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि यह समझना बुद्धिमानी होगी कि जीएसटी से महंगाई बढ़ेगी।’’
आरबीआई ने वृद्धि के संबंध में सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) के आधार पर अपना अनुमान 7.6 प्रतिशत पर यह कहते हुए बरकरार रखा कि अनुकूल मानसून से कृषि वृद्धि तथा ग्रामीण मांग में बढ़ोतरी और सातवें वेतन आयोग के कार्यान्वयन के मद्देनजर खपत बढ़ने से इसमें मदद मिलेगी। मानसूनी वष्रा फिल हाल औसत से तीन प्रतिशत अधिक है। राजन का तीन साल का कार्यकाल चार सितंबर को पूरा हो जाएगा। इसके बाद वह फिर पठन-पाठन के क्षेत्र में चले जाएंगे। उन्होंने कार्यकाल की शुरूआत नीतिगत दरों में बढ़ोतरी के साथ की थी जिसके कारण कुछ हलकों में उनकी ऐसी छवि प्रस्तुत की गयी मानो वह मुद्रास्फीति नियंत्रण पर जरूरत से अधिक सक्रियता दिखाने वाले गवर्नर हैं।
डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों पर आरबीआई और केंद्र सरकार के बीच मुद्रास्फीति का एक लक्ष्य तय करने के विधिवत ढांचे पर समझौते से इस तरह की राय को और बल मिला।
राजन ने रिजर्व बैंक के नाम पर फर्जी ई-मेल से जनता को सचेत किया
रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने ईनाम जीतने को लेकर केंद्रीय बैंक के नाम पर धोखाधड़ी वाले ई-मेल को लेकर लोगों को आगाह किया और कहा कि शीर्ष बैंक प्रत्यक्ष रूप से नागरिकों को धन नहीं देता, हालांकि वह नोट की छपाई जरूर करता है। रिजर्व बैंक ने एक साल चलने वाला सार्वजनिक जागरूकता और उपभोक्ता संरक्षण अभियान शुरू किये जाने की आज घोषणा की। एक केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) नियमों के संदर्भ में जागरूकता से जुड़ा है और दूसरा लोगों के साथ फर्जीवाड़ा करने की धोखाधड़ी वाली गतिविधियों के लिये है।
गवर्नर ने कहा, ‘‘अगर आपको मेरी तरफ या भविष्य में नये गवर्नर के नाम पर ईमेल मिलता है और उसमें यह कहा जाता है कि आपको 50 लाख रपये मिलने हैं लेकिन इसके लिये आपको 20,000 रपये सौदा शुल्क फलाने बैंक में जमा करना है। आप ऐसे मेल को देखकर तुंरत ‘डिलीट’ कीजिए।’’ उन्होंने कहा कि वास्तविक यह है कि इस प्रकार के ई-मेल मेरी ओर से नहीं होता। रिजर्व बैंक आम लोगों को प्रत्यक्ष रूप से धन नहीं देता। हालांकि हम उसकी छपाई जरूर करते हैं।
मेरे सभी विवादास्पद भाषण पूरी तरह उचित: राजन
भारतीय रिजर्व बैंक के निर्वतमान गर्वनर रघुराम राजन ने सार्वजनिक तौर पर दिये गये विवादास्पद बयानों का पूरी तरह बचाव करते हुए आज कहा कि कंेद्रीय बैंक के प्रमुख के तौर उनके भाषण ‘पूरी तरह उचित’ रहे हैं। इसके साथ ही राजन ने जोर देकर कहा कि उन्होंने कभी भी किसी भी मामले में सरकार की आलोचना नहीं की।
राजन ने यहां कुछ चुनिंदा संवाद समितियों के साथ बातचीत में कहा, ‘वे सभी पूरी तरह उचित भाषण थे। आप जिस तरह से चाहें उनकी व्याख्या कर सकते हैं।’ उल्लेखनीय है कि राजन ने केंद्रीय बैंक के गवर्नर के रूप में अपनी अंतिम मौद्रिक नीति समीक्षा आज पेश की। उनका तीन साल का मौजूदा कार्यकाल चार सितंबर को पूरा हो रहा है। ऐसा कहा जा रहा था कि सरकार राजन के मुखर सार्वजनिक बयानों से असहज थी इसलिए भी उन्हें एक और कार्यकाल नहीं देना चाहती थी। हालांकि राजन ने खुद ही घोषणा की थी कि वे इस पद पर दूसरा कार्यकाल नहीं लेंगे।
उन्होंने कहा, ‘उपरोक्त सभी भाषणों में से किसी में भी मैंने सरकार की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मुखर आलोचना नहीं की। कुछ लोग हैं जो मेरे बयानों की व्याख्या पढ़ते हैं।’ राजन के कतिपय विवादास्पद बयानों में यह बयान भी शामिल है जिसमें उन्होंने सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को बढा चढाकर पेश करने को लेकर सवाल उठाया तथा एक बार वह असहिष्णुता के मुद्दे पर भी बोले।
अगले गवर्नर के लिए विरासत में कोई मुद्दा नहीं छोड़ना चाहता-राजन
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज कहा कि वह कंेद्रीय बैंक के अगले गवर्नर के लिए साफ रास्ता छोड़ना चाहते हैं जिससे उन्हें कार्यभार संभालने के बाद विरासत के किसी मुद्दे का सामना न करना पड़ेगा। राजन ने राजनीति में शामिल होने की बातांे को खारिज करते हुए कहा कि चार सितंबर को उनका कार्यकाल समाप्त हो रहा है जिसके बाद वह अकादमिक दुनिया में लौटेंगे। उन्होंने कहा कि वह शोध पर ध्यान केंद्रित करेंगे और उस दुनिया को समझने का प्रयास करेंगे जो पिछले चार साल में काफी बदल गई है।
राजन ने मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद एजेंसियों के पत्रकारों से परिचर्चा में कहा, ‘‘मेरी उम्मीद है कि मैं अगले गवर्नर के लिए विरासत का मुद्दा छोड़कर नहीं जाऊँ, जिससे उन्हें सब कुछ साफ सुथरा मिले। सभी समस्याओं से निपटा जा रहा है।’ राजन अपने उत्तराधिकारी को किसी तरह की सलाह देने से भी बचे। सरकार ने अभी नए गवर्नर के नाम की घोषणा नहीं की है। नए गवर्नर पर वित्त मंत्री अरण जेटली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द फैसला करेंगे।
नए गवर्नर, एमपीसी को साधना होगा मुद्रास्फीति लक्ष्यःराजन
रिज़र्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज कहा कि केंद्रीय बैंक मार्च, 2018 तक मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर लाने के उद्देश्य से काम कर रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को पाने का रास्ता अब उनके उत्तराधिकारी तथा नई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) को तलाशना होगा।
राजन ने मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद एजेंसी के पत्रकारों के साथ परिचर्चा में कहा, ‘‘जब नए गवर्नर और नई एमपीसी आएगी, तो वे तय करेंगे कि मार्च, 2018 तक चार प्रतिशत के मुद्रास्फीति के लक्ष्य को कैसे देखते हैं।’’ राजन का कार्यकाल चार सितंबर को पूरा हो रहा है। इससे पहले दिन में राजन ने घोषणा की कि एमपीसी चार अक्तूबर की अगली मौद्रिक समीक्षा बैठक से पहले काम करना शुरू कर देगी।
बैंक प्रमुखों ने कहा, कर्ज सस्ता होने में अभी थोड़ा समय
रिजर्व बैंक प्रमुख रघुराम राजन के नीतिगत दर में कटौती का थोड़ा लाभ ही ग्राहकों को दिये जाने के आरोप के बावजूद बैंक प्रमुखों ने ब्याज दरों में तत्काल कटौती से इनकार किया और कहा कि ऋण वृद्धि में तेजी आने के साथ ब्याज दरें कम होंगी। भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरूधंती भट्टाचार्य ने मौद्रिक नीति में कोई बदलाव नहीं होने को बाजार की उम्मीद के अनुरूप बताया और कहा, ‘‘हमारा मानना है कि रिण वृद्धि में तेजी आने के साथ अगले कुछ महीनों में ब्याज दर में कटौती का लाभ मिलेगा।’’ उन्होंने शुरूआत में ही ओएमओ :ओपन मार्केट एक्सेस: के जरिये शुरू में ही नकदी का प्रावधान किये जाने को लेकर गर्वनर राजन की सराहना की। उन्होंने इसे सोचा-समझा कदम बताया क्योंकि वैश्विक अनिश्चितता के कारण इस साल पूंजी प्रवाह अपेक्षाकृत कम है।
मौद्रिक नीति पर यथास्थिति के संबंध में यस बैंक के प्रबंध निदेशक राणा कपूर ने कहा कि आने वाले महीनों में अपस्फीतिक असर अनुकूल मानसून और सरकार द्वारा किए गए ढांचागत नीतिगत सुधार से मदद मिलेगी। कपूर ने कहा, ‘‘इस तरह मौजूदा यथास्थिति के बावजूद वित्त वर्ष 2016-17 के अंत तक नीतिगत दर में 0.50-1 प्रतिशत तक की कटौती की गुजाइश हो सकती है।’’ आरबीआई ने कहा कि जोरदार बुवाई और मानसून की सकारात्मक प्रगति खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी के लिए अच्छा संकेत है हालांकि दालों और अनाजों की कीमत बढ़ रही है।-पीटीआई