रजनीश विश्नोई ने किसानों को बनाया आत्मनिर्भर
मुरादाबाद के 27 वर्षीय युवक रजनीश ने किसानों को ग्राहकों के प्रति प्रौद्योगिकी सक्षम बनाने की एक बेहतरीन शुरूआत कर दी है।
यदि बिचौलियों का सफाया हो जाता है, तो भारतीय किसान कर्ज़ के चंगुल से बाहर आ सकते हैं। मुरादाबाद में एक ई-कॉमर्स स्टार्टअप किसानों की इसी समस्याओं को खत्म करने के प्रयास में "family-Farmer" की क्रन्तिकारी अवधारणा पर काम कर रहा है।"
"Family Farmer की शुरूआत के पीछे रजनीश विश्नोई हैं, जिनका मानना है कि यह सिर्फ स्टार्टअप नहीं, बल्कि किसानों के लिए एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी परिवर्तन है।"
ऐसे वक्त में जब ज्यादातर स्टार्टअप्स शहरी उपभोक्ता की सेवा में लग कर अधिक से अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं, वहीं बिजनौर, उत्तर प्रदेश के 27 वर्षीय रजनीश विश्नोई अपने स्टार्टअप के माध्यम से अपने चचेरे भाई के साथ मिलकर किसानों की सहायता करना चाहते हैं और इसी दिशा में वे "Family Farmer" की अवधारणा पर काम कर रहे हैं।
यह विचार एक पारिवारिक-चिकित्सक के समान है, जिससे नियमित जांच और परिवार में मामूली बीमारियों के लिए परामर्श किया जाता है। उसी तरह "Family Farmer" परिवार में सभी के भोजन की जरूरतों को पूरा करने का काम करता है। फलों और सब्जियों से लेकर दालों और अनाजों के साथ-साथ मसालों और आवश्यक अन्य सभी घरेलू सामान को "Family Farmer" से खरीदा जा सकता है।
"रजनीश का उद्यम KisanMade मुरादाबाद में स्थापित किसानों और उपभोक्ता के बीच बिचौलियों का सफाया करके किसानों को सशक्त बनाने के लिए एक ई-कॉमर्स मंच है।"
भारत एक कृषि अर्थव्यवस्था वाला देश है। इसकी लगभग 60 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर ही निर्भर करती है। पिछले कुछ सालों में लगातार सूखे, बाढ़, कर्ज, फसलों की विफलता और कृषि बाजार की संरचना के कारण कृषि क्षेत्र संकट में है, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का लाभ उठाकर भ्रष्ट बिचौलियों ने किसानों के उत्पाद को उसकी वास्तविक कीमत की तुलना में काफी कम कीमतों पर खरीद कर किसानों का शोषण किया है।
KisanMade एक ऑनलाइन माध्यम है, जहां उपभोक्ता सीधे किसानों से उनके उत्पाद खरीद सकते हैं। इस तरीके ने थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, वितरकों, मंडियों और मॉल जैसे बिचौलियों को हटा दिया है, जिससे खरीदार के लिए जेब पर बोझ हल्का हो गया है। रजनीश कहते हैं,“मेरा दृढ़ विश्वास है, कि भारतीय किसान अमीर बन सकते हैं और कर्ज से बाहर निकल सकते हैं। किसानों को अपनी फसल का वास्तविक मूल्य नहीं मिलता, बल्कि बिचौलिए ज्यादा लाभ कमा लेते हैं। किसान अपने उत्पाद को बिचौलिए या सब्ज़ी मंडी में बहुत ही सस्ती दर पर बेचता है, लेकिन यही उत्पाद खरीदार तक बढ़ी हुई कीमत पर पहुंचता है।”
"Kisanmade की योजना किसान की आय में वृद्धि करने और रसोई के व्यय को 10-15 प्रतिशत कम करने की है। वर्तमान में इस उद्यम को मुरादाबाद के साथ ही गाज़ियाबाद के कुछ हिस्सों- वैशाली, कौशाम्बी, वसुंधरा और इंदिरापुरम में कार्यान्वित किया जा रहा है।"
देखने में तो यह बाकी के ऑनलाइन किराने के इ-कॉमर्स जैसा ही लगता है, जिनके द्वारा अर्ध-शहरी इलाकों में आपूर्ति की जाती है, लेकिन उनके अंतिम लक्ष्य kisanmade के लक्ष्य से भिन्न है। रजनीश कहते हैं, "सब्जियों और फलों के लिए कई अन्य बी 2 बी स्टार्टअप हैं, जो किसान की मदद का दावा करते हैं, लेकिन वास्तव में वे किसानों से बहुत कम दर पर उत्पाद खरीदते हैं और मंडी कर बचाते हैं। हमारी अवधारणा पूरी तरह से किसान के लाभ पर आधारित है और इसके सिवा कुछ नहीं।"
"अपनी एमसीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद, रजनीश 2012 में नोएडा आ गए। इस बीच उन्होंने यह जानने की कोशिश शुरू की, कि वह किस प्रकार किसानों की मदद कर सकते हैं। अगस्त 2015 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपनी बचत से KisanMade की शुरूआत की, लेकिन 8 नवंबर को नोटबंदी के साथ ही समस्याओं की शुरूआत हो गई। जिस वजह से काम के आगे बढ़ने में बहुत देरी हुयी और अब इस वर्ष जनवरी में वह अपने संचालन को पूरी तरह से कार्यान्वित कर पाये हैं।"
किसान परिवास से संबंध रखने वाले रजनीश को 'Family Farmer' शुरू करने का खयाल तब आया, जब वो एमसीए के अपने दूसरे सेमेस्टर में थे। उनके परिवार के पास कॉलेज की फीस का भुगतान करने के लिए पैसे नहीं थे। उन्हें अपनी गन्ने की फसलों का मिल मालिक से कोई भुगतान नहीं मिला था और फिर रजनीश को अपनी फीस देने के लिए बैंक से ऋण लेना पड़ा। यह केवल उनका अकेले का मामला नहीं है, इस परिस्थिति से गन्ना किसान परिवार के कई बच्चों को जूझना पड़ता है, जिन्हें मिल मालिकों द्वारा अपने बकाये का भुगतान न करने के कारण कर्ज़ चक्र में फंसना पड़ता है।
रजनीश की यात्रा बाधाओं से भरी हुई थी और आने वाले समय में भी बाधाओं के कम होने के आसार फिलहाल नज़र नहीं आर रहे हैं, जिसकी सबसे बड़ी वजह अर्धशहरी क्षेत्र में रह रहे लोगों के बीच इंटरनेट का कम उपयोग है और रजनीश का यह स्टार्टअप इंटरनेट पर ही काम करता है, इसलिए अभी के दिनों में रजनीश अधिकतर अॉर्डर फोन पर लेते हैं, साथ ही एक और बड़ी परेशानी है, बिचौलियों की। कुछ फसलों जैसे- मसालों और दालों को मिलों में परिष्कृत करना पड़ता है, ताकि उपभोक्ता उत्पादन खरीदें और ऐसे में बिचौलियों को बीच से हटाना एक बहुत बड़ी चुनौती है। जिस पर रजनीश कहते हैं,"मुझे मिलों को स्थापित करने की आवश्यकता है। मिलों के अलावा, बुनियादी ढांचे कि जरूरतों के मुद्दे हैं। हमारे पास पर्याप्त शीत भंडारण या उचित आपूर्ति श्रृंखला प्रणाली नहीं है, जिससे खाद्य फसल का नुकसान होता है। फिलहाल यह व्यवस्था समृद्ध बिचौलियों के हाथ में है, जिनके पास उचित भंडारण की सुविधा है और जिन्हें उत्पादन का भण्डारण करने के लिए सरकार से सब्सिडी भी मिलती है।"
KisanMade के मुख्य प्रतिद्वंदी भारी वित्त पोषित Big Basket और Grofers जैसी किराना वेबसाइट्स हैं, जिसे ध्यान में रख कर रजनीश अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं, कि "हमारे और उनके काम में सबसे बड़ा अंतर यह है, कि उनके व्यवसाय में आखिर में खड़े व्यक्ति को इतने बड़े कारोबार में से वास्तव में कुछ नहीं मिलता है। किसान अभी भी गरीबी और संकट में है। हम केवल किसानों के जीवन को बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं, जिनके परिश्रम से हमारी थाली में भोजन आता है।"
भविष्य में रजनीश जैविक उत्पादन की ओर जाना चाहते हैं, साथ ही कीटनाशकों के हानिकारक प्रभाव के बारे में किसानों को शिक्षित करने की भी उनकी योजना है। उनका मानना है, कि उनकी अवधारणा किसी स्टार्टअप का विचार मात्र नहीं है, बल्कि "किसान भाईयों के लिए यह एक क्रांतिकारी परिवर्तन है।"