Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

ये चार कम्पनियाँ निश्चित रूप से दुनिया को बदलने के लिए ही आयी थीं

ये चार कम्पनियाँ निश्चित रूप से दुनिया को बदलने के लिए ही आयी थीं

Wednesday August 31, 2016 , 5 min Read

हम एक दिलचस्प समय में जी रहे हैं। इतिहास में अभी तक किसी भी समय में जीवन का स्तर इतना बेहतर और सूचनाओं का आदान प्रदान इतना आसान नही था। असल में, ऐसा लगता है कि हम भविष्य की दुनिया के और क़रीब पहुँच रहे हैं जैसा की बीते सालों में टीवी कार्यक्रमों जैसे स्टारट्रेक और द जेटसंस में दिखाया जाता था। लेकिन ये कार्यक्रम इस दुनिया के निर्माण में कॉर्पोरेट्स की भूमिका का आकलन करने में असफल रहे। हम लगातार उन उच्च कोटि के इनोवेटिव स्टार्टअप्स के बारे में सुनते रहते हैं जिन्होंने हर दूसरे दिन पूरी दुनिया की वृद्धि की। निसंदेह , इन स्टार्टअप्स ने, स्थापित कॉर्पोरेट्स के साथ मिलकर भविष्य को परिभाषित किया। ये वो चार कम्पनियाँ हैं जो अपने क्रन्तिकारी विचारों से दुनिया को बदल सकती हैं।

image


ऑनर

ऑनर की स्थापना 2014 में सेथ स्टेनबर्ग और सेंडी जेन ने दुनिया के बुज़ुर्गों उनके बच्चों और उनकी देखभाल करने वालो के लिए एक बेहतर जगह को बनाने के लिए की थी। यूनाइटेड स्टेट्स में बुज़ुर्गो की पर्याप्त देखभाल न होने के कारण उन्हें इस कम्पनी के निर्माण का विचार आया। सीएनएन को दिए अपने एक इंटरव्यू में सेथ स्टेनबर्ग ने कहा, "सामान्य तौर पर वरिष्ठ लोगों का बाज़ार बकवास चीज़ों से भरा है "

ऑनर ने टेक्नोलॉजी का उपयोग किया और बुज़ुर्गो के चेहरे से खालीपन को दूर किया। उन्होंने बुजुर्गो की देख रेख करने वालो के लिए जाँच और असाइनमेन्ट प्रकिया अपनायी। इनमे भाषा की समानता, स्वास्थ्य सम्बन्धी ज़रूरतें और भी बहुत कुछ हो सकता था। देख रेख करने वालो को बुजुर्गो के पास जाना पड़ता था और उनकी गतिविधियों का लेखा जोखा रखना पड़ता था जिससे उनके परिवार वालों को ये पता चलता रहे कि उनके प्रियजन क्या कर रहे हैं। ऑनर ने बुज़ुर्गो को कस्टम बिल्ट, आसानी से उपयोग किये जाने वाले, टचस्क्रीन उपकरण भी दिए जिससे वो देख रेख करने वालो को अपनी ज़रुरतो से अवगत कराते रहे, जिससे देख रेख करने वाले उनकी व्यवस्था करने के लिये अच्छी तरह से तैयार रहे। उपकर्णो के उपयोग से बुज़ुर्ग अपने द्वारा प्रयोग की गयी सेवाओं का लेखा जोखा रख सकते हैं और सेवा की गुणवत्ता का भी आकलन कर सकते हैं। अधिकृत रिश्तेदार इन जानकारियों का उपयोग कर सकते हैं, जिससे वो स्थिति की जाँच करने में सक्षम हो सकते हैं।

ऑल्टस्कूल

ऑल्टस्कूल शिक्षकों, टेक्नोलॉजिस्ट और उद्यमियों की एक टीम है जो अलग अलग क्षेत्रो से आकर स्कूलों के एक ऐसे नेटवर्क को बनाने चाहते है जो इस तरह के छात्र तैयार करे जो दुनिया को बदल कर और भी बेहतर बना सके। इसका निर्माण समुदायों को मिलाकर शिक्षा को बेहतर बनाने के सिद्धान्त पर हुआ।

2013 में स्थापित, कम्पनी ने “चाइल्ड सेंटर्ड लर्निंग" मॉडल का उपयोग किया जिसमे शिक्षकों ने छात्रों की स्वाभाविक रूचि का अनुसरण किया। बच्चे मिश्रित आयु की कक्षा में शामिल हुए जहाँ वो प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग और अपने निजी मॉड्यूल 'प्लेलिस्ट' के बीच अदला बदली कर सकते थे। शिक्षकों और छात्रों के बीच अनुपात 1:7 था, लेकिन नेटवर्क के बढ़ने के साथ ये1:10 के करीब हो जायेगा।

2015 में, ऑल्टस्कूल के संस्थापक कोष में 100 मिलियन डॉलर की बढ़ोत्तरी हुई और फेसबुक के संस्थापक मार्क ज़ुकरबर्ग ने एक बहुत बड़े पैमाने पर स्कूलों के नेटवर्क द्वारा शिक्षा का निजीकरण करने को बढ़ावा दिया।

टेस्ला

पेपाल के सह-संस्थापक, एलन मस्क, टेस्ला के साथ न केवल परिवहन क्षेत्र (और पावर ग्रिड ) में बदलाव के लिये आये बल्कि स्पेसएक्स के साथ अंतरिक्ष यात्रा और सोलर सिटी साथ ऊर्जा निर्माण भी किया। टेस्ला रोडस्टर पूर्ण रूप से पहली इलेक्ट्रिक स्पोर्ट्स कार थी। उसके बाद टेस्ला ने, मॉडल एस, मॉडल एक्स और मॉडल 3 पेश किये। 2008 में अपनी पहली कार टेस्ला रोडस्टर से लेकर 31मार्च 2106 तक टेस्ला मोटर्स ने पूरी दुनिया में लगभग 125000 इलेक्ट्रिक कार बेचीं।

मस्क ने कहा कि, सोलर सिटी, टेस्ला मोटर्स और स्पेसएक्स का लक्ष्य उनकी दुनिया और मानवता को बदलने के मकसद के आगे पीछे घूमता था। उनका मकसद "मेकिंग लाइफ मल्टी प्लेनेटरी" के द्वारा मंगल ग्रह पर इंसानो की कॉलोनी बनाकर निश्चित ऊर्जा उत्पादन और खपत के द्वारा ग्लोबल वार्मिंग और 'मानव जाति के विलुप्त होने के खतरे' को कम करना था।

गूगल

गूगल दुनिया की सबसे बड़ी कम्पनियों में एक है। असल में इसके पास इतनी शक्ति और क्षमता है कि ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री, पॉल कीटिंग ने इनकी तुलना “नॉन नेशन स्टेट ” से की है।

गूगल के इस दौर ने दुनिया को एक बड़े पैमाने पर डाटा की खोज करने सक्षम बनाया। असल में, इसमें दुनिया के महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे ग्लोबल वारमिंग अदि के विस्तृत आंकड़े भी मौजूद हैं। गूगलएक्स पहले ही बिना ड्राइवर से चलने वाली कार का निर्माण कर चुकी है, जो टेक्नोलॉजी को एक अलग ही स्तर पर ले गयी। गूगल की योजना इंटरप्राइज ग्रेड कंप्यूटिंग पर हावी होना है और क्लाउड सेवा जैसे कि अमेज़न वेब सर्विसेज और माइक्रोसॉफ्ट अज़्यूर को टक्कर देना है। प्रोजेक्ट फाई नेक्सस 6 का उपयोग कर रहे अमेरिकन्स के पास मौजूद है, जिसमें इतनी क्षमता है कि ये हमारे फोन कॉल के तरीकों को बदल के रख दे। गूगल के पास क्षति के समय काम आने वाला एक विभाग भी मौजूद है जिसके पास एक ऐसा उपकरण है जो समस्या के समय दोस्तों, प्रियजनों और खोये हुए लोगों से आपका सम्पर्क कराता है और आपदा के समय उनकी मदद करता है।

मूल -श्वेता दाश

अनुवादक -बिलाल एम जाफ़री