मोदी सरकार ने GST में सुधार कर कारोबारियों और आम आदमी को दिया तोहफा

मोदी सरकार ने GST में सुधार कर कारोबारियों और आम आदमी को दिया तोहफा

Sunday October 08, 2017,

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जीएसटी काउंसिल की बैठक में डेढ़ करोड़ तक के टर्न ओवर वाले व्यापारियों को अब मासिक की जगह त्रैमासिक यानी तीन महीने में रिटर्न दाखिल करने की सुविधा देने का फैसला किया गया है।

जीएसटी काउंसिल की बैठक  (फोटो साभार- पीआईबी)

जीएसटी काउंसिल की बैठक  (फोटो साभार- पीआईबी)


जीएसटी को अच्छा और आसान टैक्स बताते हुए जीएसटी काउंसिल ने छोटे व्यापारियों और निर्यातकों के लिए बडी राहत का ऐलान किया है।

पहले वैट सिस्टम के तहत तीन महीने रिटर्न दाखिल करने का प्रावधान था, लेकिन जीएसटी के तहत छोटे और बड़े सभी करदाताओं को हर महीने रिटर्न दाखिल करना पड़ता है।

मोदी सरकार ने निर्यातकों को काफी राहत दी है। आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने निर्यातकों को छूट देने का फैसला किया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक केंद्रीय वित्त मंत्री ने शुक्रवार को घोषणा करते हुए कहा कि जो कारोबारी वैश्विक मंदी की वजह से सुस्त वृद्धि का सामना कर रहे हैं उन्हें जुलाई और अगस्त में निर्यात पर चुकाए गए टैक्स का रिफंड 18 अक्टूबर तक मिल जाएगा। जीएसटी काउंसिल की बैठक में डेढ़ करोड़ तक के टर्न ओवर वाले व्यापारियों को अब मासिक की जगह त्रैमासिक यानी तीन महीने में रिटर्न दाखिल करने की सुविधा देने का फैसला किया गया। इसके अलावा कंपोजीशन स्कीम के तहत 75 लाख तक के टर्न ओवर की सीमा को बढ़ाकर एक करोड़ कर दिया गया है ।

जीएसटी तो तीन महीने पहले ही लागू कर दिया था लेकिन इसके बाद भी उद्यमियों और बिजनेस को कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। अभी कुछ दिनों से जीएसटी को लेकर व्यापारियो ने कुछ दिक्कतों का मामला सामने रखा था जिसके बाद सररकार ने इसे दूर करने का फैसला लिया था। ऐसे में इन फैसलों से अब छोटे कारोबारियों को काफी राहत मिलेगी। जीएसटी को अच्छा और आसान टैक्स बताते हुए जीएसटी काउंसिल ने छोटे व्यापारियों और निर्यातकों के लिए बडी राहत का ऐलान किया है। जीएसटी लागू होने के 3 महीने बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में देश के तमाम राज्यों के वित्त मंत्रियों ने आम सहमति से ये फैसला लिया।

जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद से डेढ़ करोड़ तक के टर्न ओवर वाले व्यापारियों को अब मासिक की जगह क्वॉर्टरली यानी तीन महीने में रिटर्न दाखिल करने की सुविधा मिलेगी। पहले वैट सिस्टम के तहत तीन महीने रिटर्न दाखिल करने का प्रावधान था, लेकिन जीएसटी के तहत छोटे और बड़े सभी करदाताओं को हर महीने रिटर्न दाखिल करना पड़ता है। इसके चलते छोटे व्यापारियों को काफी परेशानी हो रही थी। दरअसल ऐसे व्यापारियों से सरकार को सिर्फ 5 पर्सेंट रेवेन्यू हासिल हो रहा। इन दोनों फैसलों से 90 प्रतिशत से ज्यादा टैक्सपैयर्स को फायदा होगा।

इसके अलावा कंपोजीशन स्कीम के तहत 75 लाख तक के टर्न ओवर की सीमा को बढ़ाकर एक करोड़ कर दिया गया है। ऐसे कारोबारी तीन महीने पर कुल बिक्री का एक प्रतिशत कर जमा कर रिटर्न फाइल करेंगे। उन्हें इसके लिए 1 से 5 प्रतिशत तक टैक्स जमा करना होगा। कंपोजीशन डीलरों को दूसरे राज्यों में माल बेचने का अधिकार और इनपुट सब्सिडी का लाभ देने के लिए 5 सदस्यीय मंत्री समूह के गठन का निर्णय लिया गया है। साथ ही रिवर्स चार्ज की व्यवस्था को अगले साल 31 मार्च तक स्थगित कर दिया गया है। इसके तहत पहले रजिस्टर्ड करदाताओं को नॉन रजिस्टर्ड आपूर्तिकर्ता से माल खरीदने पर कर भुगतान करना पड़ता था।

इसके अलावा बैठक में आम आदमी के लिए भी कुछ प्रावधानों में संशोधन किया था। जैसे पहले 50,000 रुपये कीमत से ज्यादा की ज्वैलरी की खरीद पर पैन कार्ड अनिवार्य था, लेकिन अब 2 लाख से ऊपर के गहनों की खरीद पर ही पैन कार्ड दिखाना होगा। वहीं आम, खाखरा और गैर-ब्रांडेड आयुर्वेदिक दवाओं पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। नमकीन जैसे खाद्य पदार्थों पर भी जीएसटी को घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है। इससे व्यापारियों के साथ ही देश के आम आदमी को भी राहत मिलेगी।

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