'गौर' से सीखिए, समाज सेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं
विल्लग्रो" सामाजिक उद्यमियों को भारत में ऐसा मंच प्रदान करता है जहाँ से वो सामाजिक क्षेत्र में और अधिक योगदान कर सकते हैं
ऐना गौर का जन्म हालाँकि भारत में हुआ था लेकिन अपनी पढाई के सिलसिले में वो अमेरिका चली गयी और वहां लगभग एक दशक तक रहीं. टेक्सास विश्वविद्यालय, ऑस्टिन और रेड मैककोम्ब्स स्कूल ऑफ़ बिजनेस में पढाई करने के बाद उन्होंने "एर्न्स्ट एंड यंग" में लगभग एक दशक तक काम किया लेकिन फिर उन्होंने और कुछ करने का निश्चय किया, कुछ ऐसा जिसका सरोकार समाज से हो. जिसका कुछ सामाजिक प्रभाव हो सके. ऐना ऐसे ही किसी अवसर की तलाश में थी तभी उन्हें "विल्लग्रो" के सामाजिक फैलोशिप प्रोग्राम में यह उम्मीद पूरी होती नज़र आई. यह कार्यक्रम एक साल के कार्यकाल के लिए सामाजिक उद्यमियों को भारत में ही ऐसा मंच प्रदान करता है जहाँ से वो सामाजिक क्षेत्र में और अधिक योगदान कर सकते हैं. एक कठोर आवेदन प्रक्रिया से गुजरने के बाद ऐना का चयन इस कार्यक्रम के लिए हो गया और सितम्बर 2012 में वो भारत आ गयीं.असल में उनका चयन इस फ़ेलोशिप के लिए साल के शुरुआत में ही गया था और उन्होंने जुलाई 2012 में ही अपनी नौकरी छोड़ दी थी.
इस कार्यक्रम का पहला महीना सभी8 अध्येताओं का इस कार्यक्रम के विषय में उन्मुखीकरण किया जाता है, यह एक महीना सभी फेलो "विल्लग्रो" के चेन्नई स्थित कार्यालय में ही गुजारते हैं. परिस्थिति-अनुकूलन इस एक महीने में गाँव का दौरा, कुछ सफल उद्यमियों से मुलाकात और नेटवर्किंग के दौर शामिल होते हैं. और इसी दौरान ऐना की मुलाकात एक 3 साल पुरानी कंपनी "सस्टेन टेक" से हुई जो कि "पायरो" नामक पर्यावरण अनुकूल, ईंधन कुशल व्यावसायिक उपयोग वाले खाना बनाने के स्टोव का वितरण करती है. विचारों की समानता के कारण ऐना ने "सस्टेन टेक" के व्यापारिक पक्ष के सभी वित्तीय मामलों को देखना शुरू कर दिया और वर्तमान में ऐना "सस्टेन टेक" के सम्पूर्ण वित्तीय पक्ष की गतिविधियों की जिम्मेदारी वहन कर रही है.
मदुरै में अपने मुख्यालय की साथ "सस्टेन टेक" का कार्यक्षेत्र मुख्य रूप से तमिलनाडु तथा कर्नाटक है. इनके उत्पाद "पायरो स्टोव" का उत्पादन तो आउटसोर्सिंग से किया जाता है किन्तु इसके वितरण और विपणन की पूरी जिम्मेदारी "सस्टेन टेक" की है. ऐना बताती हैं-" मै इस कंपनी की साथ पिछले 7 महीनो से हूँ और यह अनुभव असाधारण रहा है."
जब उन्होंने यह निर्णय लिया था तब उन्हें कई आशंकाएं थी.लेकिन उनके यहाँ आने के बाद "विल्लग्रो" ने उन सभी शंकाओं को निर्मूल सिद्ध कर दिया. सभी अध्येताओं की रहने, यात्रा और खाने की व्यवस्था की साथ "विल्लग्रो" सुनिश्चित करता है कि उनके लिए यह संक्र्रांति काल सहज बन सके. "60-70% "विल्लग्रो फेलो" ( अभी तक 5 बैच पूरे हुए हैं) ने भारत में ही उसी क्षेत्र को अपने पेशे के रूप में चुना जिस से वो इस फ़ेलोशिप के दौरान जुड़े थे. "मैं भी ऐसा ही करने की उम्मीद करती हूँ." ऐना कहती हैं.
सभी फेलो का कोई न कोई मेंटर है, जोकि उनका मार्गदर्शन करने के साथ ही उनका प्रेरणा स्रोत भी है. "सम्पूर्णता में, "विल्लग्रो" का अनुभव मेरे लिए वास्तव में सकारात्मक रहा है इस से मुझे जीवन के लिए नया दृष्टिकोण प्राप्त हुआ है." समापन करते हुए ऐना बताती है.
अगर आप "विल्लग्रो फ़ेलोशिप" के लिए आवेदन करना चाहते हैं तो कृपया यहाँ क्लिक करें...
अस्वीकरण(डिस्क्लेमर): "योर स्टोरी" "विल्लग्रो फ़ेलोशिप कार्यक्रम" की सहयोगी है.