'वॉक्स पॉप', आपके पसंदीदा करेक्टर की हर चीज़ का बेमिसाल कलेक्शन...
सिर चढ़कर बोल रहा ‘वॉक्स पॉप क्लोदिंग’ का जादू
आपने अगर कभी भी सुपरमैन टी-शर्ट या बैटमैन की टोपी का इस्तेमाल किया होगा, तो आप इसको खरीदने का आनंद जरूर महसूस किए होंगे। जबकि भारत में अब भी ऐसे सामानों के लिए कोई खास बाजार नहीं है। वहीं, अमेरिका और यूरोप जैसे बाजारों में ये इंडस्ट्री 200 अरब डॉलर से ऊपर की है। अपने यहां ऐसे उत्पादों की अच्छी-खासी मांग के बावजूद हमारे पास ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां से इन्हें खरीदा जा सके। भारतीय ग्राहकों के लिए ले-देकर सड़क के किनारे बिकने वाले ब्रांडेड नामों की नकल वाले फर्जी उत्पादों को ही खरीदने का इकलौता विकल्प होता है।
द वाल्ट डिज्नी कंपनी के पूर्व एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और लाइसेंसिंग बिजनेस के पूर्व हेड सिद्धार्थ तपारिया इस फील्ड में मौजूद अवसरों से भली-भांति परिचित थे। वो डिज़्नी के बिजनेस को संभाल रहे थे और उन्होंने क्रिकेट, फैशन और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में कंपनी के बिजनेस को काफी ऊंचाई दी। उन्होंने कपड़े, फुटवियर, फैशन एसेसरीज, स्कूली छात्रों से जुड़े सामान और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक जैसे अलग-अलग क्षेत्रों में पार्टनरशिप के जरिये कंपनी के बिजनेस को बढ़ाया।
वॉक्स पॉप क्लॉदिंग उनका नया उद्यम है। वॉक्स पॉप या ‘योर वॉयस’ एक ऐसा ब्रांड है जहां कंज्यूमर अपने फेवरिट आइकॉन्स, कैरेक्टर्स और स्टोरी की थीम से जुड़े सामान खरीद सकते हैं। हार्वर्ड से मैनेजमेंट ग्रेजुएट तपारिया की कोशिश वॉक्स पॉप को एक ऐसा डेस्टिनेशन बनाने की है, जहां कंज्यूमर तमाम श्रेणियों जैसे स्पोर्ट, म्यूजिक, मूवी, टीवी शो, कल्ट गेम से जुड़े अपनी पसंदीदा ब्रांड्स नेम वाले सामानों को खरीद सके।
सिद्धार्थ बताते हैं, “लाइफस्टाइल से जुड़े क्षेत्र में बिजनेस का फलक काफी विस्तृत है। इसमें एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल, स्पोर्ट सरीखे करीब-करीब सब कुछ है। इसलिए ये एसेसरीज, फुटवियर, क्लोदिंग जैसी किसी भी श्रेणी का हो सकता है और इस फील्ड में बेहतरीन मौके हैं।” सिद्धार्थ स्वीकार करते हैं कि डिज़्नी और मार्वेल से उनके रिश्तों से उन्हें वॉक्स पॉप शुरू करने में काफी आसानी हुई और महज 10 शुरुआती महीनों में ही वो सुपरमैन, बैटमैन, गेम ऑफ थ्रोन्स, डेक्स्टर और स्टारट्रेक के साथ लाइसेंस पार्टनरशिप का करार करने में सफल रहे।
वॉक्स पॉप जुलाई 2013 में शुरू हुआ और अक्टूबर से बिक्री भी शुरू हो गई। ग्राहकों के पास वॉक्स पॉप के प्रोडक्ट को सीधे इसकी साइट या फ्लिपकार्ट, जेबोंग और ईबे जैसे दूसरे ऑनलाइन स्टोर्स से खरीदने का विकल्प है। इसके अलावा बेंगलुरु में प्लेनेट सुपरहीरोज और हिस्टिरिया जैसे कुछ ऑफलाइन रिटेलर से भी कंपनी का टाई अप है। सिद्धार्थ कहते हैं, “हम Voxpopclothing.com को ऑर्डर से जुड़ी सभी प्रक्रियाओं में इस्तेमाल करना चाहते हैं ताकि सभी रिटेलर्स नियमित रूप से साइट पर आकर हमारे प्रोडक्ट को देख सकें और उसमें से अपने लिए चुनाव कर सकें। इस तरह से हमारे पास B2B और B2C दोनों ही तरह की सुविधा होगी।”
वेबसाइट पर हर महीने 15 से 20 डिजाइन उपलब्ध रहते हैं और सिद्धार्थ के मुताबिक वो B2C मॉडल पर ज्यादा फोकस करना चाहते हैं क्योंकि इसमें मार्जिन काफी बेहतर होती है।
सिद्धार्थ की योजना जल्द ही फ्लिपफ्लॉप, बॉक्स शॉट्स, आईपैड कवर और आईफोन केस और दूसरे एसेसरीज भी लाने की है। ऑफलाइन बिजनेस के बजाय उन्हें ऑनलाइन बिजनेस ज्यादा मुफीद लगता है क्योंकि इसमें आप सीधे ग्राहक से जुड़ते हैं। वॉक्स पॉप टियर-2 और टियर-3 शहरों में शानदार प्रदर्शन कर रही है। उसे कोच्चि, गुवाहाटी और चंडीगढ़ जैसे शहरों से अच्छे-खासे ऑर्डर मिल रहे हैं।
वॉक्स पॉप की कोर टीम में 8 लोग शामिल हैं जो डिजाइन, मार्केटिंग, कम्यूनिकेशन और मर्केंडाइजिंग की जिम्मेदारी संभालते हैं। इसके अलावा अकाउंटिंग, टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया से जुड़े कामों के लिए लोगों को आउटसोर्स भी किया गया है।
सिद्धार्थ बताते हैं कि एक स्टार्टअप के रूप में वॉक्स पॉप के सामने कई चुनौतियां हैं। छोटे ऑर्डर्स के लिए प्रिंटिंग भी तो एक चुनौती ही है। डिमांड फोरकास्टिंग भी एक बड़ी चुनौती है। किसी प्रोडक्ट की कितनी डिमांड हो सकती है इसका पहले से अंदाजा लगाना कठिन काम है। इसके लिए प्री-ऑर्डर बुकिंग से इसे समझने में मदद मिलती है। सिद्धार्थ समझाते हैं, “मान लीजिए 70 लोगों ने किसी डिजाइन में अपनी रूचि दिखाई है और उसे अपनी प्रिफरेंस में शामिल किया है, तो ऐसे में जैसे ही हमारे पास स्टॉक रहेगा हम उन्हें ऑर्डर दे सकेंगे। अगर किसी डिजाइन में सिर्फ 15 लोगों ने ही रूचि दिखाई हो तो हम उस डिजाइन को अपने फाइनल प्रोडक्शन लिस्ट से बाहर निकाल सकते हैं। इस तरह हमें डिमांड फोरकास्टिंग में मदद मिलती है।”
वॉक्सपॉप के पास अच्छे-खासे निवेशक हैं। ब्ल्यूम वेंचर ने शुरुआत में ही 4 लाख डॉलर का निवेश किया है वैसे ही कुछ दूसरे निवेशकों का भी हमें समर्थन हासिल है। हमें ऐसे लोग भी मिल रहे हैं, जो अमेरिका में भी वॉक्स पॉप की पार्टनरशिप के लिए निवेश करना चाहते हैं।
वॉक्स पॉप के प्रोडक्ट की डिमांड का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि बहुत सारे प्रोडक्ट जल्द ही आउट ऑफ स्टॉक हो जाते हैं। कंपनी सटीक डिमांड फोरकास्टिंग के जरिए ऐसे प्रोडक्ट्स का प्रोडक्शन बढ़ाने पर जोर दे रही है। इसके अलावा वॉक्स पॉप के प्रोडक्ट्स की रेंज भी बढ़ाने की कोशिश हो रही है ताकि लोग इसे सिर्फ सुपरहीरो साइट ना समझें बल्कि एक आइकॉनिक ब्रांड साइट के रूप में स्वीकार करें। सिद्धार्थ बताते हैं कि इस लिहाज से फुटबॉल टीमें, म्यूजिक ब्रांड्स और बीवरेज ब्रांड्स को भी वॉक्स पॉप पर जगह मिल सकती है।