अपने जन्मदिन पर स्कूली बच्चों को अनमोल यादों का तोहफा दे गए पीएम नरेंद्र मोदी
नरूर गांव के प्राथमिक विद्यालय में प्रधानमंत्री के पहुंचने पर बच्चों ने उत्साह के साथ उनका स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने भी विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर बच्चों को बधाई दी और कहा कि विभिन्न तरह के कौशल को सीखना महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विद्यार्थी के रूप में प्रश्न पूछना महत्वपूर्ण है। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया वे प्रश्न पूछने में किसी तरह का भय महसूस नहीं करें। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रश्न पूछना सीखने का एक पहलू है।
बीते 17 सिंतबर को देश के पीएम नरेंद्र मोदी का जन्मदिन था। अपने 68वें जन्मदिन के मौके पर उन्होंने वाराणसी के एक स्कूल में शिक्षक की भूमिक निभाई। इन स्कूलों के साथ उन्होंने लगभग 90 मिनट तक बातचीत की। नरूर गांव के प्राथमिक विद्यालय में प्रधानमंत्री के पहुंचने पर बच्चों ने उत्साह के साथ उनका स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने भी विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर बच्चों को बधाई दी और कहा कि विभिन्न तरह के कौशल को सीखना महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विद्यार्थी के रूप में प्रश्न पूछना महत्वपूर्ण है। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया वे प्रश्न पूछने में किसी तरह का भय महसूस नहीं करें। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रश्न पूछना सीखने का एक पहलू है। प्रधानमंत्री बच्चों के साथ काफी समय तक रहे। इन बच्चों को लाभकारी संगठन ‘रूम टु रीड’ द्वारा सहायता दी जा रही है। बाद में प्रधानमंत्री ने डीएलडब्ल्यू वाराणसी में गरीब और वंचित वर्गों के बच्चों के साथ बातचीत की। इन बच्चों की सहायता काशी विद्यापीठ के विद्यार्थियों द्वारा की जा रही है। उन्होंने बच्चों से मेहनत के साथ पढ़ाई करने और साथ-साथ खेलकूद में दिलचस्पी विकसित करने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री मोदी को सभी बच्चों ने अपनी ओर से ग्रीटिंग कार्ड दिया। इसमें मोदी के बचपन से लेकर अब तक की दो दर्जन से अधिक फोटो लगाने संग ढेरों संदेश के जरिए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत अभियान, ई-रिक्शा, व्याज माफी जैसी कई योजनाओं के लिए उनका आभार जताया हे। कई बच्चों ने उन्हें अपना आदर्श बताया। प्रधानमंत्री ने रिटर्न गिफ्ट में पढ़ाई-लिखाई से संबंधित सामग्री वाला बैग दिया।
बातचीत में बच्चों की आत्मविश्वास की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने खेलकूद के जरिए दिन में चार बार पसीना बहाने और लिखने की आदत डालने की सलाह दी। यह भी पूछा कि क्या टीचर पढ़ाती हैं या डांटती है। सवाल पूछने को सीखने और आगे बढ़ने की सीढ़ी बताया। कहा कि स्कूल में आने के पीछे अपना जन्मदिन मनाना नहीं, बल्कि ‘रीड टू रूम’ के जरिए स्कूलों में बदलाव की तस्वीर को देखना है।
संवाद के दौरान कक्षा छह में पढ़ने वाले धीरज ने प्रधानमंत्री से बिना हिचके पूछ लिया कि ‘आप बचपन में कितनी देर पढ़ते थे?’ प्रधानमंत्री ने बताया कि जब भी समय मिलता था लाइब्रेरी में बैठ मोटी-मोटी किताबें पढ़ता रहता था। कक्षा आठ में पढ़ने वाली शिवानी ने नरेंद्र मोदी को ‘बुद्धु बंदर और चतुर चूहा’ की कहानी सुनाई। छात्रा नेहा कुमारी और रिमझिम ने बताया कि वह पढ़ लिखकर बड़ी अधिकारी बनना चाहती हैं। प्रधानमंत्री शाम में वाराणसी में विकास कार्यों का मूल्यांकन करने के लिए शहर के विभिन्न मार्गों पर गए। प्रधानमंत्री पूजा के लिए कुछ मिनट काशी विश्वनाथ मंदिर में भी रुके। प्रधानमंत्री अचानक मंडुआडीह रेलवे स्टेशन भी गए।
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