निशाना लक्ष्य पर, अंदाज मेघालय के 'तोह तिम' का और मज़ा आॅनलाइन तीरंदाजी का
एमबीए टैक्नोलाॅजिस्ट अंकुर प्रियदर्शन ने नौकरी छोड़कर शुरू की वेबसाइटरोजाना शाम को 60 तीरंदाज लगाते हैं लक्ष्य पर निशानासरकार ने 1982 में तीरंदाजी पर बाजी लगाने को बनाना कानूनीतीरकाउंटरडाॅटकाॅम पर प्रतिमाह 1.40 लाख लोग लगाते हैं बाजी
यह एक परपंरा, स्वप्न और उद्यमशीलता के साथ-साथ तीरंदाजी की लुप्त होती कला की कहानी है और इसके केंद्र में है भारत के उत्तरपूर्वी भाग में बसा मेघालय राज्य, जिसके बारे में कम ही सुना और जाना जाता है। लेकिन जब अंकुर प्रियदर्शन ने हमें शिलांग, मेघालय के मशहूर तीरन्दाजी के खेल की कहानी बतायी तो हम चकरा से गये। पुणे के मूल निवासी अंकुर ने मुबंई के एनआईटीआईई से एमबीए करने के बाद पुणे में अपना व्यवसाय शुरू किया। अपना काम शुरू करने से पहले हालांकि उसने कई साल तक एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में एक टेक्नोलाॅजिस्ट के रूप में कार्य किया था। मेघालय की एक खास संस्कृति को देखकर उसे एक विचार आया और अंकुर ने मेघालय के सबसे लोकप्रिय खेल ‘तीरंदाजी’ को आनलाइन प्लेटफाॅर्म उपलब्ध कराने का निर्णय लिया।
परंपरागत रूप से ’तोह तिम’ के नाम से जाना जाने वाला यह खेल सपनों व तीरन्दाजी को जोड़ता एक लाॅटरी आधारित खेल है। जो व्यक्ति जितने अच्छे ढंग से अपने सपनों का वर्णित कर सकता है, उसके जीतने के अवसर उतने ही अधिक होते हैं। सपनों की व्याख्या करने के बहुसिद्धांत हैं, लेकिन इसमें खिलाड़ी को अपने सपनों को एक संख्या में बदलकर एक उसपर बाजी लगानी होती है। एक व्यक्ति किसी भी बात के लिए कम से कम एक रूपये की बाजी लगा सकता है और जीतने पर उसे 80 रूपये तक प्राप्त हो सकते हैं।
‘‘हर रोज पहले सायं 4 बजे और फिर आधा घंटे बाद 4.30 बजे तीरन्दाजांे के समूह शूटिंग स्थल पर मिलते हैं। इससे ज्यादा दुनिया में लाॅटरी ड्रा के लिए आकर्षण और कहां मिलेगा। प्रत्येक सत्र में 20-20 तीरन्दाज जो तीन अलग-अलग क्लबों के होते हैं, वे अपने-अपने तीरों से एक ही लक्ष्य को साधते हैं। इस तरह कुल मिलाकर 60 तीरन्दाज इसमें भाग लेते हैं। इशारा मिलते ही वे सब तेजी से तीर से निशाना लगाते हैं। इसके बाद वहां के अधिकारी लक्ष्य का निरीक्षण करके परिणाम घोषित करते हैं,’’ माइक मारले नामक यात्री अपने ब्लाॅग मंे लिखते हैं।
इस खेल का इतिहास 20वीं सदी शुरू होने से भी पुराना है। उस दौरान शिलांग व आसपास के क्षेत्रों में तीरन्दाजी की साप्ताहिक प्रतियोगिताएं आयोजित होती थीं। समय के साथ इन प्रतियोगिताओं में प्रतिस्पर्धा बढ़ी और 1950 के बाद से जुएबाजी की शुरुआत होने पर आवश्यकतानुसार परिणाम घोषित करने के लिए इस अनूठी व्यवस्था ने वर्तमान स्वरुप ले लिया।
राज्य सरकार ने 1982 में इसे कानूनी मान्यता दी थी। अब दोबारा इसे आॅनलाइन चलाने का बीड़ा अंकुर प्रियदर्शन ने उठाया है। अक्टूबर 2014 में शुरू की गयी वेबसाइट तीरकाउंटरडाॅटकाॅम हर तीर खेल प्रेमी का पसंदीदा मंच बन चुकी है। जैसे ही परिणाम घोषित किया जाता है, तत्काल ही इस वेबसाइट पर परिणाम अपलोड कर दिया जाता है। इसके साथ ही वेबसाइट के उपयोगकर्ताओं के लिए इस खेल संबंधी भविष्यवाणी और विश्लेषात्मक जानकारी होने के साथ-साथ सामाजिक नेटवर्क, आनलाइन शाॅपिंग व अन्य जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं।
वर्तमान समय में करीब 1.40 लाख लोग प्रतिमाह तीरकाउंटर पर अपनी किस्मत आजमाते हैं और इसकी भारत में 9500 एलेक्सा रैंक है। इसका होमपेज खोलने पर इसके दो काॅलम मंे आपको स्क्रीन डिस्प्ले नजर आएगा और इसके बाद स्क्रीन पर अनेक डमी आइकाॅन व विज्ञापन मिलेंगे। लेकिन ये डमी दूसरे अनुभागों से लिंक हो जाते हैं। तीरकाउंटर का कार्य बहुत ही शानदार है। किसी भी तीर के खिलाड़ी के लिए वेबसाइट इस खेल से संबंधित बहुत उपयोगी व महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराती है।
‘‘हमारी कंपनी लाभ में है। क्या आप इसकी समीक्षा के लिए अपने विज्ञापनों का हटाने के लिए कहेंगे?’’ अंकुर ने मेरे ईमेल द्वारा पूछे गये सवाल के जवाब में कहा कि ये आपसे किसने कहा कि यह सब विज्ञापन के लिए है। यह एक गजब का आत्मविश्वास है। तीरकाउंटर अपना दायित्व बहुत अच्छे से निभा रहा है और यह स्थानीय खेल प्रेमियों के साथ-साथ दूसरों उपभोगकर्ताओं के लिए भी बहुत उपयोगी साबित हो रहा है। अब तक की इसकी तरक्की काफी प्रभावी है। अंकुर अब इस दिशा में कार्य कर रहे हैं कि खिलाडी आनलाइन टिकट खरीद सकें और यह पोर्टल प्रयोग करने वालो के लिए अधिक उपयोगी
साबित हो सके। हालांकि तीर के खेल के लिए कुछ सरकारी वेवसाइट भी कार्यरत हैं लेकिन तीरकाउंटर इन सब में अग्रणी साबित हो रही है। मेघालय में करीब 15 लाख तीर खिलाड़ी हैं, लेकिन उन सबके लिए यह वेवसाइट महान विचारों के साथ आॅनलाइन प्लेटफार्म उपलब्ध करा रही है। आने वालों वर्षो में तीर प्रेमियों के लिए इस वेवसाइट की पहुंच लाजबाब होगी।