रक्त की जरूरत है या रक्तदान करना चाहते हैं तो 'easyblood.info' पर जाएं...
एनजीओ ‘पीपल फाॅर चेंज’ के संस्थापक शौविक साहा और भास्कर चौधरी ने दिसंबर 2011 में की स्थापनाभारत में आपात स्थितियों में रक्त की कमी को देखते हुए लोगों को स्वैच्छिक रक्तदान के लिये करती है प्रेरित18 वर्ष के ऊपर के इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को इस वेबसाइट के माध्यम से रक्तदान के लिये जोड़ना है लक्ष्यभविष्य में देश के 2500 शहरों में अपनी शाखाएं खोलकर रक्त की कमी के चलते होने वाली मौतों को करना चाहते हैं काबू में
हम में से अधिकांश पूरे देश में विभिन्न बीमारियों से जूझ रहे और अन्य आकस्मिक परिस्थितियों में पड़ने वाली रक्त की आवश्यकता के बारे में जानते हैं। भारत में रक्त उपलब्धता से संबंधित कुछ आंकड़ें इस प्रकार हैंः
हमारे देश में प्रतिवर्ष करीब 110 लाख यूनिट रक्त की आवश्यकता पड़ती है लेकिन विभिन्न जागरुकता अभियानों के बावजूद सिर्फ 48 लाख यूनिट ही दान के स्वरूप में प्राप्त हो पाती हैं। जैसा के इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि इसके परिणामस्वरूप हमारे देश में सालाना 62 लाख यूनिट की कमी रहती है। डिमांड और सप्लाई के बीच के इस भारी असंतुलन के चलते हर घंटे 7 लोगों की खून की जरूरत के चलते काल के ग्रास बन जाते हैं जबकि हर दो सेकेंड में किसी न किसी को रक्त की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा भारत में रक्तदान से संबंधित कई तथ्य तो बेहद भयावह और डरावने हैं। भारत में उपलब्ध रक्त में से 30 प्रतिशत मिलावटी और अशुद्ध होता है और जहां अमरीकी आबादी का 8 प्रतिशत साल में कम से एक बार रक्तदान करती है भारत में रक्तदान करने वालों की संख्या मात्र 3 प्रतिशत है।
रक्त की उपलब्धता से संबंधित इसी समस्या का एक सकारात्मक निदान खोजने की दिशा में शौविक साहा और भास्कर चौधरी ने easyblood.info की स्थापना की। इनके द्वारा तैयार की गई यह वेबसाइट भारत के 2500 शहरों में किसी भी रक्त समूह के स्वैच्छिक रक्तदाताओं को तलाशने के लिये एक बेहतर मंच उपलब्ध करवाती है। अपने मूल संगठन ‘पीपल फाॅर चेंज’ के तहत संचालित होने वाला यह आॅनलाइन पोर्टल देशभर के रक्तदाताओं के बारे में एक ही स्थान पर सिर्फ माउस के एक क्लिक पर जानकारी उपलब्ध करवाता है।
शौविक कहते हैं, ‘‘ईज़ीब्लड की स्थापना रक्तदाताओं और आकस्मिक स्थिति से गुजर रहे रक्त के जरूरतमंदों को एक दूसरे से सीधे संपर्क करवाने के लिये एक मंच प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। इनका मकसद किसी भी आपात स्थिति के दौरान रक्तदाताओं को तलाशने की प्रक्रिया को आसान बना देता है। इस प्रक्रिया के तहत ये ब्लडग्रुप की मैचिंग करते हुए देशभर के रक्तदान करने के इच्छुक दाताओं तक पहुंचने के लिये एक सीधा लिंक उपलब्ध करवाता है।’’
शौविक और भास्कर ने चोलामंडलम और एचडीएफसी बैंक की आकर्षक नौकरियों को छोड़कर वर्ष 2009 में ‘पीपल फाॅर चेंज’ के नाम से एक एनजीओ की नींव डाली जो फिलहाल जशेदपुर के बाहर से संचालित हो रहा है। शौविक कहते हैं, ‘‘हालांकि देशभर में कहीं भी ‘ईज़ीब्लड’ के भौतिक कार्यालय नहीं हैं फिर भी हमनें खड़गपुर, हजारीबाद, मुग्मा और पतरातू में अपनी स्थानीय शाखाएं प्रारंभ की हैं।’’
इसकी शुरुआत के बारे में बताते हुए शौविक कहते हैं, ‘‘‘पीपल फाॅर चेंज’ के काम के लिये पूरे देश की यात्रा करने के दौरान हम भारत में रक्तदान से संबंधित कुछ बेहद चैंकानो वाले तथ्यों से रूबरू हुए। हमने इस दिशा में स्वयं कुछ अनुसंधान और शोध किया और इस नतीजे पर पहुंचे कि अगर भारतीय स्वैच्छिक रक्तदान करना प्रारंभ कर दें तो इस समस्या का एक सकारात्मक हल पाया जा सकता है। बस यहीं से ‘ईज़ीब्लड’ की स्थापना हुई।’’
आंकड़ों के बारे में बात करते हुए शौविक कहते हैं, ‘‘भारतवर्ष में करीब 14 करोड़ लोग इंटरनेट का प्रयोग करते हैं। इनमें से भी करीब 12 करोड़ 18 वर्ष से अधिक के आयुवर्ग के हैं, यानि की बालिग हैं और रक्तदान करने के लिये जरूरी उम्रसीमा को पार करते हैं। अगर सिर्फ इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले इस वर्ग को ही वर्ष में एक बार स्वैच्छिक रूप से रक्तदान करने के लिये प्रेरित किया जा सके तो भारत से रक्त की कमी को दूर किया जा सकता है और प्रतिवर्ष सैंकड़ों लोगों की जिंदगियों को बचाया जा सकता है। ‘ईज़ीब्लड’ के माध्यम से हम इसी विशेष समूह को लक्षित करते हुए देश में रक्त की इस कमी को पूरा करना चाहते हैं।’’
इसकी कार्यप्रणाली के बारे में बताते हुए भास्कर कहते हैं, ‘‘आपको रक्तदान करने के लिये सिर्फ अपना पंजीकरण करवाना होता है और रक्तदान सिर्फ तभी करना होता है जब खून की आवश्यकता वाला कोई व्यक्ति संपर्क करता है। पंजीकरण की यह प्रक्रिया पूरी तरह निःशुल्क है और इसका सदस्य बनने के लिये कोई पैसा नहीं चुकाना होता है। इसके अलावा एक और फायदा यह है कि इसमें रक्त देने वाला व्यक्ति उस व्यक्ति को देख सकता है जिसे वह अपना खून दे रहा है जो इन पूरी प्रक्रिया को एक व्यक्तिगत दृष्टिकोण देने के अलावा दानदाता के लिये एक अतिरिक्त प्रोत्साहन का भी काम करता है।’’
यह वेबसाईट 17 दिसंबर 2011 को सामने आई और इसे मिलने वाली प्रतिक्रियाएं बहुत शानदार रही हैं। ‘‘अबतक 500 से अधिक लोग स्वैच्छिक रक्तदान करने के उद्देश्य से हमारे सदस्य बन चुके हैं। हमारे पास अबतक कई ऐसे मामले भी सामने आ चुके हैं जहां खून के जरूरतमंदों ने हमारी इस वेबसाइट की सहायता ये रक्तदाताओं को तलाशने में सफलता पाई है और उन्हें समय से रक्त मिला है।’’
इनकी भविष्य की योजनाएं प्रोत्साहित करने वाली हैं और इनका इरादा आने वाले वर्षों में स्थानीय शाखाओं के माध्यम से देश के 2500 शहरों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने का है। शौविक कहते हैं, ‘‘सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों और ब्लड बैंकों के साथ खुद को जोड़ते हुए अधिक से लोगों तक अपनी पहुंच बनाना हमारे मुख्य उद्देश्यों का एक हिस्सा हैं।’’
वास्तव में यह एक बेहतरीन प्रयास है और हम भास्कर और शौविक को वह सभी पाने के लिये शुभकामनाएं देते हैं जिसका सपपना देखकर उन्होंने इस संगठन की नींव रखी है। साथ ही हम याॅरस्टोरी के अपने पाठकों को भी इस पहल का एक हिस्सा बनकर दूसरों का जीवन बचाने के प्रयासों में भागीदार होने के लिये प्रोत्साहित करना चाहते हैं। आपको पता नहीं कब किसी को अपनी जरूरत पड़ जाए और आप उसका जीवन बचाने में काम आ सकेें!
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