Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

मां, बेटी और दादी की तिकड़ी मिलकर चला रही है नया ब्रांड 'बेबी मुबारक'

मां, बेटी और दादी की तिकड़ी मिलकर चला रही है नया ब्रांड 'बेबी मुबारक'

Friday March 02, 2018 , 5 min Read

बच्चे के उत्पादों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। ResearchMoz द्वारा इकट्ठे आंकड़ों के मुताबिक, भारत में शिशु देखभाल बाजार 17.9 प्रतिशत CAGR 2014-2019 के मुकाबले लगातार बढ़ता जाएगा।

बेबी मुबारक की टीम

बेबी मुबारक की टीम


अक्टूबर में अपनी स्थापना के बाद से बेबी मुबारक ने दावा किया है कि 200 से अधिक उत्पादों की बिक्री के बाद 1 लाख रुपए की कमाई हुई है। अनामिका का कहना है कि शुरुआत में ग्रोथ धीमी थी, लेकिन शोरूम के उद्घाटन के बाद से ये आसमान छूने लगा।

मां या बाप बनना लगभग हर इंसान का सपना होता है। आंगन में गूंजती बच्चों कि किलकारी बड़े सा बड़ा गम भुलाने का सबसे अच्छा जरिया बन जाता है। लेकिन बच्चों के जन्म की खुशी के साथ ही थोड़ा भय भी शुरू हो जाता है। हालांकि ये एक माता-पिता के लिए स्वाभाविक है चाहें वो पहली बार पैरेंट बने हों या दूसरी बार, वे हमेशा चाहते हैं कि उनके बच्चे को सारी खुशी मिले। वे चाहते हैं कि उनके बच्चे की कोमल त्वचा को कोई कोमल चीज ही छुए। पैरेंट्स की इसी तमन्ना को पूरा करने के लिए 'बेबी मुबारक' ब्रांड का जन्म हुआ। शिशुओं के लिए एक्सक्ल्यूसिव हैंड मेड (हस्तनिर्मित) उत्पाद देने के इरादे से 'बेबी मुबारक' अस्तित्व में आया।

दरअसल मां और बेटी की जोड़ी पूजा और अनामिका भल्ला द्वारा शुरू किया गया बेबी मुबारक का आइडिया तब पैदा हुआ जब पूजा अपनी पैदा होने वाली पोती के लिए छोटे-छोटे कपड़ों की बुनाई कर रही थी। इस परिवारों में 69 वर्षीय उमा पंडित, अनामिका की दादी भी शामिल है, जो ब्रांड के लिए सभी स्टाइल और डिजाइनों को डेवलप करती हैं।

ऐसे तय हुआ बेबी मुबारक का सफर

अनामिका को एहसास हो गया था कि भारतीय बाजार में नवजात शिशुओं के लिए विकल्पों और वैराइटीज की कमी थी। अधिकतर नवजात शिशु वे कपड़े पहनते हैं जो या तो भाई-बहनों/चचेरे भाई (जो कि समय के साथ नरम हो जाते हैं) के हाथों में सॉफ्ट हो जाते हैं या वे सिर्फ मुलायम कपड़े में लिपटे होते हैं। इसका कारण ये है कि शिशुओं के लिए नरम, बेहद साफ और शुद्ध कपड़े उत्पाद (विशेष रूप से बाहरी वस्त्र) आसानी से उपलब्ध नहीं हैं। दोनों ने यह भी महसूस किया कि ज्यादातर लोगों को सस्ते चीनी कपड़े खरीदने पर मजबूर होना पड़ता है क्योंकि हस्तनिर्मित उत्पाद प्रीमियम पर आए थे।

इन सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए बेबी मुबारक ने बुनाई और क्रोकेट (एक प्रकार की हस्तकला) की कला को वापस लाने का लक्ष्य रखा। अनामिका कहती हैं कि ऐसी कई महिलाएं हैं जो बुनाई और क्रोकेटिंग में महारत रखती हैं लेकिन यह महसूस किए बिना कि इससे उनकी जेबें भर सकती हैं वे हार मान लेती हैं।

टीम ने पहले ग्रामीण महिलाओं को हायर करने का फैसला किया जो इस कला को जानती थीं। लेकिन जल्द ही यह पता चला कि कई महिलाओं ने अचानक और अक्सर विभिन्न घरेलू मुद्दों के कारण काम करना बंद कर दिया। हालांकि बेबी मुबारक की टीम ने हार नहीं मानी। इस समस्या का सामना करने के लिए अब उनके पास तीन ऐसी महिलाएं हैं जो इस प्रकार की कला में निपुण हैं। बेबी मुबारक ने एक लीडिंग महिला के साथ विभिन्न राज्यों में समूहों का गठन किया है। अगर कोई कर्मचारी काम करना छोड़ता है तो उस लीडिंग महिला को एक नया कर्मचारी ढूंढने की जिम्मेदारी है।

पहले नमूने का परीक्षण उमा द्वारा किया गया। उमा हमेशा से बुनाई और क्रोकेट में महारत रखती हैं। जब एक बार उमा द्वारा कपड़ों की टेस्टिंग हो जाती है तब ये नमूने उन महिलाओं को भेजे जाते हैं जो उत्पादों को बुनती हैं। मां-बेटी की जोड़ी को जल्द ही महसूस हुआ कि मातृत्व अस्पताल के अंदर एक शोरूम का स्थान उपलब्ध था। हालांकि वे एक शोरूम खोलने के लिए उत्सुक थे, उन्हें एहसास हुआ कि उनके पास चीजों को खरीदने के लिए पर्याप्त धन नहीं था।

तब उन्होंने स्टार्टअपहब राष्ट्र के सह-संस्थापक परम कालरा की मदद ली। कालरा ने उन्हें शोरूम खोलने के लिए प्रारंभिक फंड दिया और भल्लाह ने जल्द ही पारस ब्लिस अस्पताल, पंचकुला में रिटेल दुकान खोल दी। इसके बाद उन्होंने जल्द ही कॉस्मो अस्पताल, मोहाली में अपनी अगली दुकान खोली।

बच्चे के उत्पादों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। ResearchMoz द्वारा इकट्ठे आंकड़ों के मुताबिक, भारत में शिशु देखभाल बाजार 17.9 प्रतिशत CAGR 2014-2019 के मुकाबले लगातार बढ़ता जाएगा। बंपैडम जैसे ब्रांड हैं जो वॉश करने योग्य और दोबारा इस्तेमाल करने वाले डायपर बनाते हैं। फर्स्ट क्राई और कई अन्य ब्रांड्स भी हैं। 2015 में जॉनसन एंड जॉन्सन (भारत) ने 75 प्रतिशत वैल्यू शेयर के साथ सेल्स का नेतृत्व करना जारी रखा। प्रतियोगिता की अगली सूची में डाबर इंडिया (10 प्रतिशत), हिमालय ड्रग सह (3 प्रतिशत), विप्रो (2 प्रतिशत) के स्थान पर था।

हालांकि बेबी मुबारक भी तेजी से पैर पसार रहा है। अक्टूबर में अपनी स्थापना के बाद से बेबी मुबारक ने दावा किया है कि 200 से अधिक उत्पादों की बिक्री के बाद 1 लाख रुपए की कमाई हुई है। अनामिका का कहना है कि शुरुआत में ग्रोथ धीमी थी, लेकिन शोरूम के उद्घाटन के बाद से ये आसमान छूने लगा।

अपनी भिन्नताओं के बारे में बात करते हुए अनामिका कहती हैं, "हम केवल ऐसे हस्तनिर्मित उत्पादों का डिजाइन बनाते हैं जो भारत या विदेशों में कहीं भी उपलब्ध नहीं हैं। दूसरे, वे नवजात शिशुओं के लिए फैंसी हस्तनिर्मित चमत्कार से कम नहीं होते हैं, जो कि बाजारों में भी मौजूद नहीं हैं। वे 100 प्रतिशत ओर्गैनिक होते हैं। 100 प्रतिशत धूम्रपान-मुक्त और जानवर-मुक्त वातावरण में भारत की ग्रामीण महिलाओं द्वारा बनाए गए होते हैं। ये महिलाएं ब्रांड द्वारा बेहद सशक्त भी हो रही हैं। इसलिए इन डिजाइनों को हम बनाते हैं, इससे आगे महिलाओं को इन उत्पादों को बेचने के लिए एक बाजार बनाने में मदद मिलती है और हर किसी की जिंदगी सुंदर बना देती है।" बेबी मुबारक अब विस्तार की तलाश कर रहा है और बच्चों के लिए अमिगुरुमी खिलौनों के साथ शुरुआत कर रहा है। अमिगुरुमी बुनाई करने की एक जापानी कला है। जिसमें आप छोटे भरवां जीवों और आकृतियों को क्रोकेट करते हैं

यह भी पढ़ें: आर्ट गैलरी नहीं सड़क पर देखिये अद्भुद कला का नमूना, हजारों कलाकारों को मिल रहा मंच और पैसा