फैमिली ट्रैवल बिजनेस को डिजिटल बनाकर इस 22 वर्षीय युवा ने गाड़े झंडे
अब डिजिटल अवसरों से भरी पड़ी इस दुनिया में ट्रैवल एजेंसियों के लिये कुछ राहत की उम्मीद जगी है। उन्होंने माना है कि प्रतिस्पर्धा की इस कड़ी दुनिया में खुद को बनाए और बचाए रखने के लिये उन्हें डिजिटल स्पेस की नई तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता है।
कोलकाता में शुरू हुई गेनवेल का टर्नओर बीते साल 50 करोड़ रुपये का रहा और वे कॉर्पोरेट और पर्सनल फ्लाइट टिकट, होटल रिजर्वेशन, हॉलीडे पैकेज, विदेशी मुद्रा, पासपोर्ट और वीज़ा सेवाओं जैसी तमाम यात्रा सेवाएं उपलब्ध करवाते हैं।
इंटरनेट के उभार और भुगतान की ऑनलाइन प्रक्रिया की आसानी ने यात्रा बुकिंग के काम को और अधिक आसान बना दिया है। इसी के साथ उपभोक्ताओं के व्यवहार में भी काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। यात्रा सेवाएं प्रदान करनी वाली कंपनियां उपभोक्ताओं के इधर-उधर जाने और कम फायदे पर काम करने को मजबूर हो रही हैं क्योंकि उपभोक्ता के पास यात्रा पर जाने के लिये चुनने को अब कई विकल्प मौजूद हैं। हालांकि अब डिजिटल अवसरों से भरी पड़ी इस दुनिया में ट्रैवल एजेंसियों के लिये कुछ राहत की उम्मीद जगी है। उन्होंने माना है कि प्रतिस्पर्धा की इस कड़ी दुनिया में खुद को बनाए और बचाए रखने के लिये उन्हें डिजिटल स्पेस की नई तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता है।
तेजी से डिजिटल बन रहे भारत में यात्रा पर जाना हमेशा से ही सबसे पसंदीदा शगल रहा है और यह क्षेत्र काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। गेनवेल ट्रेवल के बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर मानव सर्राफ कहते हैं, 'भारत में ट्रैवल का व्यवसाय सालाना 20 फीसदी से अधिक की दर से आगे बढ़ रहा है। इसमें भी ऑनलाइन पोर्टल और कंसोलिडेटर्स के पास बाजार की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है।'
22 वर्षीय मानव के माता-पिता (मनोज और मधुलिका सर्राफ) ने वर्ष 1991 में गेनवेल ट्रेवल की स्थापना की, फिलहाल अपने पिता के सानिध्य में डिजिटल मार्केटिंग, कॉर्पोरेट संबंध, गेनवेल स्पोर्ट्स के अलावा भावी विकास की रणनीतियों को संभाल रहे हैं। वे कहते हैं, 'यात्रा सेवा के क्षेत्र में हमें लगातार अपने प्रचार और मीडिया के तरीके को बदलना होता है। ऐसा हम हमेशा खुद को तैयार रखते हैं और साथ ही यह काम को और अधिक रोमांचक बनाए रखने में भी मददगार साबित होता है। चूंकि यह एक पारिवारिक व्यवसाय है इसलिये मार्केटिंग से जुड़े निर्णय किसी विशेष सिद्धांत या फिर दिशानिर्देश पर आधारित न होकर पूरी तरह से सहज बोध या फिर कहें तो इन्ट्यूशन पर आधारित होते हैं।'
उनके मुताबिक यात्रा व्यवसाय के क्षेत्र में डिजिटल को अपनाते हुए उसका फायदा उठाना बेहद जरूरी है। वे बताते हैं, 'हमने हमेशा से ही नई तकनीक को अपनाने का स्वागत किया है और हमें इस बात का पूरा भरोसा है कि यह खुद को प्रासंगिक बनाए रखने का इकलौता तरीका है। ऑनलाइन ट्रैवल पोर्टल्स और बढ़ती प्रतिस्पर्धा से सामने आने वाली चुनौतियों के बावजूद यात्रियों की जरूरतों और इच्छाओं में बदलाव जारी रहता है। ऐसे में अगर कोई व्यवसाय यात्रियों को उनके पैसे का मूल्य प्रदान करने के लिये चुनौती स्वीकार करने को तत्पर है तो उसके लिये अवसरों की कोई कमी नहीं है।'
कोलकाता में शुरू हुई गेनवेल का टर्नओर बीते साल 50 करोड़ रुपये का रहा और वे कॉर्पोरेट और पर्सनल फ्लाइट टिकट, होटल रिजर्वेशन, हॉलीडे पैकेज, विदेशी मुद्रा, पासपोर्ट और वीज़ा सेवाओं जैसी तमाम यात्रा सेवाएं उपलब्ध करवाते हैं।
डिजिटल का रास्ता
मानव के माता-पिता यात्राओं को लेकर काफी जुनूनी थे और उनके मन में एक ऐसी ट्रैवल कंपनी शुरू करने का विचार आया जो परंपरागत टिकटिंग एजेंसियों के मुकाबले कुछ अलग करे। इस युगल ने कंपनी के लिये प्रारंभिक और बाद की पूंजी की व्यवस्था की और बाद में मुनाफा कमाया। मनोज बताते हैं, 'प्रारंभ में गेनवेल एक परंपरागत ट्रैवल एजेंसी जैसी ही थी जो इंटरनेट की गैरमौजूदगी में यात्रियों के लिये हवाई यात्रा के टिकट बुक करने के अलावा काउंटर से होटलों में बुकिंग की सुविधा उपलब्ध करवाती थी। लेकिन टिकटिंग और होटल रिजर्वेशन के काम में इंटरनेट के आगमन और घटते मुनाफे के चलते हमारे व्यापार के मॉडल को बदलना बेहद जरूरी था।'
मनोज बताते हैं, 'गेनवेल ने आने वाले समय में इंटरनेट के विकास की महत्ता को देखते हुए वर्ष 1991 में एक ई-कॉमर्स डिपार्टमेंट शुरू किया लेकिन उन्हें जल्द ही इसे बंद करना पड़ा क्योंकि यह वक्त से शायद थोड़ा पहले हो गया था। इसके बाद हमनें कार किराये पर देने, इवेंट मैनेजमेंट और शादियों के क्षेत्र में अपना हाथ आजमाया। इन नए क्षेत्रों में हमारा प्रवेश हमें विभिन्न कारणों के चलते नहीं भाया और हम विभन्न बाधाओं के चलते इससे बाहर हो गए।'
गेनवेल के डिजिटल होने के क्रम में मानव का तकनीकी कौशल बहुत कारगर साबित हुआ। मानव बताते हैं, 'अगर आंकड़ों के हिसाब से देखें तो हमें अपनी पहली डिजिटल सफलता वर्ष 2012 में तब हासिल हुई जब हमनें अपनी नई वेबसाइट लॉन्च की। इस साइट पर गूगल एनेलेटिक्स और कई अन्य टूल्स की मदद से हम से यह देखकर काफी आश्चर्यचकित रह गए कि हम वास्तव में कितने विज़िटर्स को अपने डिजिटल क्षेत्र की तरफ आकर्षित कर रहे हैं। कुछ महीनों तक इन आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद हमनें इन विज़िटर्स को उपभोक्ताओं में परिवर्तित करने और वेबसाइट पर होने वाली विज़िट्स को व्यापार में बदलने के लिये योजनाओं को तैयार करना शुरू किया।'
इन्हीं विचारों में से एक था चैटबॉट्स उपयोग करने की योजना। चैटबॉट किसी भी यूज़र से तुरंत बातचीत करता है जो बाद में उस उपभोक्ता से ऑफलाइन संपर्क करने और उसकी पसंद के आधार पर छुट्टियों की योजना बनाने में मदद करने का काम करता है। मानव बताते हैं, 'हमनें इसे अपनाने का फैसला किया और चैटबॉट को लॉन्च करने के एक साल के ही भीतर हमनें लीड्स में 80 प्रतिशत की और राजस्व में 20 फीसदी की वृद्धि दर्ज करने में सफलता प्राप्त की।'
बीते कुछ वर्षों में गेनवेल में अपने अधिकांश मार्केटिंग बजट को डिजिटल मीडिया की तरफ झुकाया है और सर्च इंजन और सोशल मीडिया मार्केटिंग में भारी निवेश किया है। वे बताते हैं, 'हमारे लिये डिजिटल विकास के लिये अन्य प्रमुख स्त्रोतों में सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन प्रमुख है क्योंकि आज की तारीख में अधिकांश तहकीकात गूगल सर्च पर सिमट कर रह गई हैं। इन सफलताओं ने हमें भविष्य में एक मजबूत डिजिटल आधार बनाने के लिए कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट (सीआरएम) प्रौद्योगिकियों और साइबर सुरक्षा सॉफ्टवेयर में निवेश करने के लिये प्रेरित किया है।'
मौजूदा परिदृश्य
कंपनी विशिष्ट निश्चित प्रस्थान और अनुभवी यात्रा उत्पादों के लिए फेसबुक लीड विज्ञापन का भी लाभ उठा रही है। इनके अलावा, गेनवेल की हालिया डिजिटल सफलता में आईसीसी क्रिकेट विश्व कप के लिए यात्रा पैकेज का भी बड़ा हाथ है। मानव बताते हैं, 'हमारी खेल वेबसाइट पर यात्रा पैकेज बेचे जा रहे हैं। हम पारंपरिक पेड डिजिटल प्रमोशनों के बजाय ब्लॉग, क्वोरा जैसी सवाल-जवाब आधारित वेबसाइटों के जरिये इन्फ्लुएंसर्स का पूरा उपयोग कर रहे हैं और इसके अलावा विभिन्न डिजिटल मीडिया में भी विवरण प्रकाशित किये जा रहे हैं।'
उनके अनुसार इन्फ्लुएंसर्स में लोगों के विश्वास और भरोसे के चलते उनका यह कदम काफी सफल रहा है। खेल यात्राओं के प्रति जुनूनी लोगों के लिये इन्फ्लुएंसर्स वास्तविक स्त्रोत साबित होते हैं और इनके जरिये प्रशंसक मैंचों के फर्जी टिकट खरीदने या फिर धोखा खाने से बचते हैं।
सफलता के बावजूद अभी भी कई चुनौतियां सामने हैं। मधुलिका कहती हैं, 'गेनवेल के सामने सबसे बड़ी चुनौती यात्रा उद्योग की गतिशील और प्रतिस्पर्धी प्रकृति है जो हमें लगातार कुछ नया करने और ऐसे उत्पाद तैयार करने के लिये मजबूर करती हो जो निरंतर आगे जाने में मददगार साबित होते हैं। सफल होने का एकमात्र तरीका है यात्रा के बदलते तरीकों और रुझानों को समझना और ऐसे उत्पाद तैयार करना जो दूसरों से बिल्कुल अलग हों और उपभोक्ता को उसके पैसे का पूरा मूल्य उपलब्ध करवायें।'
निकट भविष्य में गेनवेल का प्रमुख उद्देश्य मुंबई और दिल्ली जैसे मेट्रो शहरों में अपनी पैठ बनाकर खुद को पूर्वी भारत के एक ब्रांड से राष्ट्रीय कंपनी के रूप में स्थापित करना है। इसके अलावा इनका इरादा फ्रेंचाईजी के जरिये बीते कुछ सालों में स्थापित किये गए गेनवेल स्पोर्टस, क्रूज सुपरस्टोर गेनवेल, गेनवेल एमआईसीई (मीटिंग्स, इंसेटिव्स, कांफ्रेंस और प्रदर्शनी) जैसे उत्पाद ब्रांडों से कमाई करने की है।
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