लद्दाख में पांच होमस्टे चला रहीं 30 महिलाओं ने लिखा पर्यटन का नया इतिहास
विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष...
लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और उत्तराखंड में ग्रुप बनाकर होमस्टे चला रही महिलाएं भारतीय पर्यटन का नया इतिहास लिख रही हैं। लद्दाख में तो पंद्रह गांवों की तीस महिलाएं दुनिया के पहले एस्ट्रो विलेज के अंतर्गत पांच होमस्टे का संचालन कर रही हैं। उधर, केंद्र सरकार अब लद्दाख को टूरिज्म का ग्लोबल ब्रांड बनाने जा रही है।
लद्दाख में 15 गांवों की 30 महिलाएं दुनिया का पहले एस्ट्रो विलेज के अंतर्गत पांच होमस्टे के संचालन कर रही हैं। लद्दाख का पहला एस्ट्रो होमस्टे पैंगोंग टीसो के पास मान गांव में बनाया गया है। शुरुआत में मान गांव की चार महिलाओं को एस्ट्रो होमस्टे की ट्रेनिंग दी गई। यहां 10 इंच के ऑटोमेटिक ट्रैकिंग टेलीस्कोप लगे हैं। पिछले दो महीनों जुलाई और अगस्त में दो सौ से अधिक पर्यटक यहां पहुंचे, जिनसे 50 हजार रुपए की कमाई हुई।
वैसे भी यहां कमोबेश रोजाना ही औसतन 10 पर्यटक नाइट स्काई वॉचिंग के लिए पहुंच जाते हैं। हर साल 3 लाख 27 हजार, 366 पर्यटक लद्दाख घूमने जाते हैं, जिनमें 49 हजार 477 विदेशी होते हैं। लद्दाख आटोनोमस हिल डेवेलपमेंट काउंसिल के चीफ एग्जीक्यूटिव काउंसिलर ग्याल पी वांग्याल का कहना है कि अब यहां के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की भी कार्यवाही शुरू हो जाने से लद्दाख के लोग काफी उत्साहित हैं।
सबसे पहले वर्ष 2013 में 'ग्लोबल हिमालयन एक्सपेडिशन' नाम की एक सामाजिक संस्था ने लद्दाख के लोगों को एस्ट्रो होमस्टे बनाने की राह दिखाई थी। शुरुआत में इस संस्था ने इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन के साथ इस 'एस्ट्रोनॉमी फॉर हिमालयन लिवलीहुड' प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। संस्था ने सबसे पहले एस्ट्रो विलेज में होमस्टे बनाए। उसके बाद लद्दाखी महिलाओं को उन्हें चलाने के लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया। अब वही महिलाएं टेलीस्कोप ऑपरेट करने लगी हैं, जो यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को आकाशीय घटनाओं की जानकारी देने में इस्तेमाल होते हैं।
लद्दाख में होमस्टे का मतलब है कि पर्यटक किसी होटल में न रुककर वहां किसी स्थानीय व्यक्ति के घर रुकते हैं। इससे पर्यटकों को स्थानीय खान-पान का अवसर मिलता है, वहां की लोक कहानियों, लोक संस्कृति से परिचय होता है और उन खूबसूरत जगहों पर जाने का मौका मिलता है, जिसके बारे में होटल के कर्मियों अथवा बाहरी लोगों को कुछ मालूम नहीं होता है। होम स्टे चला रही वही महिलाएं पर्यटकों के ठहरने का इंतजाम भी करती हैं। इसी कड़ी में अब माउंटेन होमस्टेज ने भी लद्दाख के गांवों में एस्ट्रो-होमस्टे संचालित करना शुरू कर दिया है।
लद्दाख पहुंचने वाले पर्यटकों को पूरी तरह अनौपचारिक होने के कारण होटलों की बजाए इन महिलाओं द्वारा संचालित हो रहे होमस्टे ज्यादा आकर्षित कर रहे हैं। होमस्टे में पर्यटक घर के मालिक, रसोइया, चौकीदार आदि से तसल्ली से बातचीत कर लेते हैं। 'यात्रा डॉट कॉम' के पास तो इस समय तीन सौ शहरों में 3,500 होम स्टे सूचीबद्ध हैं। लद्दाख के अलावा गोवा, केरल, पुडुचेरी, कोंकण आदि में भी होमस्टे पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है।
स्थानीय लोगों ने लद्दाख में रात के आसमान को संसाधन के रूप में देखा। इसे रोजगार का जरिया बनाने की ठानी और एस्ट्रो होमस्टे स्थापित होने लगे। लद्दाख अपनी ऊंचाई और शुष्क जलवायु के कारण एस्ट्रोनॉमी के लिए एकदम सही क्षेत्र है। यहां रात को आसमान में तारों और ग्रहों को आसानी से पहचाना जा सकता है। पहले से ही लद्दाख बर्फीली वादियों के कारण पर्यटकों को पसंद है। एस्ट्रो विलेज के कारण पर्यटकों की संख्या और बढ़ रही है।
वैसे भी केंद्र सरकार अब जम्मू-कश्मीर से अलग करने के बाद लद्दाख को टूरीज्म का ग्लोबल ब्रांड बनाना चाहती है। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने विश्व में बड़े पैमाने पर लद्दाख के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कमर कस ली है। इसका व्यापक प्रचार अभियान चलाया जाएगा। इस प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट करने के लिए कई रिसर्चर और लेखक वहां नियुक्त किए जाएंगे। इसके लिए वित्त मंत्रालय से अलग बजट मांगा जा रहा है। इस अभियान के माध्यम से विश्व में यह संदेश भी दिया जाएगा कि लद्दाख अब कश्मीर से अलग है, लिहाजा इसे जम्मू कश्मीर के संबंध में ट्रेवल एडवाइजरी से अलग रखा जाए। ऐसा होने के बाद लद्दाख विदेशी पर्यटकों से गुलजार हो जाएगा।
केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल के दौरे के बाद लद्दाख में शूटिंग की योजना बनाने के लिए अभिनेता आमिर खान के दौरे ने भी स्थानीय लोगों में नई उम्मीदें पैदा की हैं। कार्निवल सिनेमा ने घोषणा की है कि वह 5 स्क्रीन्स लद्दाख के क्षेत्र में खोलेगा। इको टूरिज्म के जरिए पर्यटक दुर्गम इलाकों में भी स्थानीय लोगों के घर में रुककर आसपास के परिवेश का लुत्फ उठा रहे हैं। उद्योग संगठन फिक्की द्वारा ट्रैवल एंड टूरिज्म पर जारी एक रिपोर्ट के अनुसार 2029 तक हर साल इस सेक्टर में 10 लाख नौकरियां जुड़ने का अनुमान है। साल 2019 तक भारत में इस क्षेत्र का कारोबार 35-40 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा। इसमें इको टूरिज्म का हिस्सेदारी 30 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है।
होमस्टे चला रही लद्दाखी महिलाओं की तरह ही हिमाचल प्रदेश के ईकोस्फीयर स्टार्टअप्स ने ईको सेंसिटिव जोन स्पीति में बिना फंडिंग के होम स्टे जैसी कई सुविधाएं देकर विकास की नई राह दिखाई है। वर्ष 2002 में तेईस वर्षीय इशिता खन्ना और उनके दो अन्य साथियों ने स्पीति में इस स्टार्टअप की शुरुआत की। बाद में दोनों अलग हो गए लेकिन इशिता ने काम जारी रखा। उन्होंने शुरुआत में ग्रामीणों को टूरिज्म की ट्रेनिंग देकर उन्हें होमस्टे जैसी सुविधाओं के लिए तैयार किया। वर्ष 2004 में केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकारें भी इको टूरिज्म की नीतियां तैयार करने लगीं।
इसी के तहत भारत के जंगलों को टूरिज्म के लिए खोलने का फैसला किया गया। इशिता की कंपनी ने इस मौके का फायदा उठाया और स्पीति के गांवों में इको टूरिज्म सेंटर बना दिए। अब उनका स्टार्टअप सिर्फ टूरिज्म तक सीमित नहीं, उसका शिल्पकारी, जंगल के उत्पाद, सोलर एनर्जी, ग्रीन हाउस खेती आदि में भी विस्तार हो चुका है। यह स्टार्टअप अब लद्दाख के लोगों को भी इको टूरिज्म के जरिए आर्थिक रूप से सशक्त बनाने जा रहा है।