‘मॉडल स्कूल’ में पढ़ने का गरीब बच्चों का सपना साकार, प्राइवेट स्कूलों सरीखे हाईटेक क्लासरूम
यह लेख छत्तीसगढ़ स्टोरी सीरीज़ का हिस्सा है...
छत्तीसगढ़ में मॉडल स्कूल में पढ़ने की सुविधा उन बच्चों को मिल रही है, जिनके लिए प्राइवेट स्कूलों की मोटी फीस के चलते पढ़ना इतना आसान नहीं है। राजनांदगांव के डॉ. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी स्कूल को मॉडल स्कूल के रूप में विकसित किया जा रहा है।
यह मॉडल स्कूल फिलहाल छठवीं, सातवीं और आठवीं की छात्राओं का भविष्य बना सुनहरा रहा है। आने वाले कुछ ही महीनों में यहाँ पर सारी कक्षाएं शुरू हो जायेंगी।
अपडेटेड स्मार्ट क्लासरूम, व्हाइट बोर्ड के साथ डिजिटल प्रोजेक्टर, बैठने के लिए नए जमाने के डेस्क-बेंच, लैब, लाइब्रेरी, पार्क, खेलने के लिए बड़ा मैदान, अनुभवी शिक्षक। इतनी सुविधाएं यदि किसी स्कूल में नजर आएँ या सुनने को भी मिले, तो एक बारगी आप यही सोचेंगे कि हो न हो यह सुविधा तो किसी प्राइवेट स्कूल की ही होगी। लेकिन इसके उलट इन्हीं सुविधाओं के साथ राजनांदगांव में एक सरकारी स्कूल गरीब परिवार के बच्चों को शिक्षा दे रहा है। यह सुविधा उन बच्चों को मिल रही है, जिनके लिए प्राइवेट स्कूलों की मोटी फीस के चलते पढ़ना इतना आसान नहीं है। राजनांदगांव के डॉ. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी स्कूल को मॉडल स्कूल के रूप में विकसित किया जा रहा है।
कौरिनभांठा की रहने वाली गिरिजा यादव भी इसी स्कूल में पढ़ती हैं। पहले वह कौरिनभांठा के एक स्कूल में पढ़ती थीं। उस स्कूल की हालत बताते हुए गिरिजा कहती हैं कि वहां न वॉशरूम ठीक था, न ही बैठकर खाने की अच्छी जगह थी। जितनी भी छात्राएं आती थीं, उन्हें खाने के लिए घर से प्लेट लाना होता था। बारिश के दिनों में स्कूल में पानी भर जाता था, स्कूल में गेट तक नहीं था, जिसके कारण मवेशी स्कूल में घुस आते थे। चारों ओर गंदगी पसरी रहती थी। अब गिरिजा का दाखिला मॉडल स्कूल में हो चुका है। गिरिजा यह बताते हुए फूली नहीं समाती, कि वह जिले के सबसे हाईटेक स्कूल में पढ़ती हैं।
एक प्राइवेट स्कूल दंतेश्वरी शिशु मंदिर में पढ़ने वाली पूजा निर्मलकर की कहानी भी ऐसी ही है। प्राइवेट स्कूल था। स्कूल प्रबंधन मोटी फीस लेता था। लेकिन फीस के इतर सुविधाएं अच्छी नहीं थीं। माता-पिता इसलिए प्राइवेट स्कूल में भेजते थे, ताकि उनकी बिटिया को अच्छी शिक्षा मिल सके। लेकिन स्कूल में दरी पर बैठकर पढ़ना पड़ता था। पहले, बैठने की जगह की सफाई करनी पड़ती फिर दरी झड़ाकर वहां बैठना होता। जो शिक्षक थे वे गाइड दे देते थे और कहते थे, इसी से पढ़ो। यदि कोई डाउट हो, तभी पूछो। अब यह बच्ची मॉडल स्कूल में पढ़ने वाली बच्चियों में से एक बन चुकी है। गिरी किड्स कान्वेंट स्कूल में पढ़ने वाली चंचल पटेल भी अब मॉडल स्कूल में पढ़ती हैं। पहले कान्वेंट स्कूल की फीस ज्यादा थी। मां-बाप का मानना था कि प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई अच्छी होती है, इसलिए वहां पढ़ा रहे थे। लेकिन मॉडल स्कूल में सुविधाओं की जानकारी मिली, तो उसका दाखिला मॉडल स्कूल में कराया गया। चंचल पटेल और उनके माता-पिता अब बहुत ही खुश हैं।
यह मॉडल स्कूल फिलहाल छठवीं, सातवीं और आठवीं की छात्राओं का भविष्य बना सुनहरा रहा है। आने वाले कुछ ही महीनों में यहाँ पर सारी कक्षाएं शुरू हो जायेंगी। ये स्कूल मॉडल स्कूल होने के साथ-साथ, मल्टी-पर्पस स्कूल भी होगा। यहाँ पर छात्राओं के बहुमुखी विकास पर ध्यान दिया जाएगा। खेलने-कूदने और व्यायाम करने के लिए बड़ा और खुला मैदान होगा। बच्चों को पाठ्य-क्रम की पुस्तकों के अलावा अन्य महत्वपूर्ण विषयों की भी जानकारी दी जाएगी। यहाँ पर बच्चों के लिए विशेष तौर पर कॅरियर काउंसलिंग प्रोग्राम का भी आयोजन किया जायेगा। कॅरियर काउंसलिंग केंद्र में बच्चों को अलग-अलग क्षेत्रों में रोजगार/ करियर की संभावनाओं के बारे में जानकारी दी जाएगी। इस मॉडल स्कूल की बड़ी विशेषताओं में एक यह भी है कि श्रेष्ठ शिक्षक और शिक्षिकाएं ही यहाँ बच्चों को पढ़ाएंगी।
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि इसी स्कूल के तर्ज पर जिले में और भी स्कूल विकसित किए जाने की योजना है, ताकि प्रत्येक बच्चे को अच्छी शिक्षा का अधिकार मिले। स्कूल में बेंच-टेबल, टेक्नोलॉजी का उपयोग कर बनाया गया क्लास रूम, पंखे, खेलने के लिए गार्डन, वॉशरूम, पढ़ाई के लिए एक्सपर्ट शिक्षक सबकुछ है। स्कूल में ही 8 हजार वर्ग फीट में ओपन थियेटर भी तैयार हो रहा है। खेल के लिए सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। हाइजेनिक बाथरूम भी तैयार किया गया है। दिव्यांगों के लिए अलग से टॉयलेट की व्यवस्था है। गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चों के लिए इस स्कूल में पढ़ना किसी सपने से कम नहीं है और उनका यह सपना साकार हो रहा है।
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