टेंट में सोने वाले लड़के ने पानीपूरी बेचकर पूरा किया सपना, भारतीय क्रिकेट टीम में मिली जगह
यूपी के भदोही का लाल, मुंबई में किया कमाल
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के रहने वाले यशस्वी की दास्तां संघर्षों से भरी है। यशस्वी पिछले कीन साल से आजाद मैदान पर ग्राउंड्समैन के साथ एक टेंट में सोते थे। इसके पहले वह अपना खर्चा चलाने के लिए डेयरी शॉप पर काम भी करते थे और वहीं दुकान में ही सो जाते थे।
14 साल की उम्र में अंजुमन इस्लाम उर्दू हाई स्कूल की तरफ से खेलते हुए राजा शिवाजी मंदिर के खिलाफ जाइस शील्ज मैच में नाबाद 319 रनों की पारी खेली थी। उन्होंने सिर्फ 99 रन देकर 13 विकेट भी झटके थे।
हुनर कभी मौकों का मोहताज नहीं होता है। इस बात को सच साबित कर दिखाया है अंडर-19 भारतीय क्रिकेट टीम में चयनित युवा खिलाड़ी यशस्वी जायसवाल ने। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के रहने वाले यशस्वी की दास्तां संघर्षों से भरी है। यशस्वी पिछले कीन साल से आजाद मैदान पर ग्राउंड्समैन के साथ एक टेंट में सोते थे। इसके पहले वह अपना खर्चा चलाने के लिए डेयरी शॉप पर काम भी करते थे और वहीं दुकान में ही सो जाते थे। इतने कड़े संघर्षों का ही परिणाम मिला है कि आज वह भारतीय टीम के लिए खेलने जा रहा है।
17 वर्षीय यशस्वी जायसवाल एक ऑलराउंडर प्लेयर हैं और मडिल ऑर्डर पर बैटिंग करते हैं। उन्हें श्रीलंका में होने जा रहे अंडर-19 मुकाबले के लिए चुना गया है। मुंबई अंडर-19 के कोच सतीश सामंत ने कहा कि यशस्वी ऐसा खिलाड़ी है जो गेंदबाज का दिमाग पढ़ने की क्षमता रखता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि आज के इस टेक्नॉलजी वाले दौर में भी यशस्वी के पास स्मार्टफोन नहीं है। कोच सावंत कहते हैं कि इससे उसका ध्यान भंग नहीं होता और वह अपना पूरा समय क्रिकेट पर ही फोकस्ड रखता है।
यशस्वी के लिए एक अच्छी बात यह रही कि परिवार वालों ने कभी उनके क्रिकेट खेलने का विरोध नहीं किया। उनके पिता भदोही में ही एक दुकान चलाते हैं। उन्होंने क्रिकेट खेलने के लिए ही यशस्वी को मुंबई भेजा था। मुंबई में यशस्वी के एक रिश्तेदार ने उनके रहने का प्रबंध किया था। यशस्वी को टेंट में रहना पड़ता था। हालांकि उनके पिता थोड़ी बहुत मदद जरूर करते थे, लेकिन यह मदद नाकाफी होती थी। इसीलिए यशस्वी को आजाद मैदान पर ही पानीपूरी और फल बेचने पड़े। हालांकि उनके साथी खिलाड़ियों को यह देखकर अजीब लगता था, लेकिन यशस्वी को कभी इस बात से फर्क नहीं पड़ा। इस काम से वह हर हफ्ते 200-300 रुपये कमा लेते थे।
यशस्वी को खुद ही अपना खाना बनाना पड़ता था। कई बार तो ऐसा भी समय आया जब उन्हें खाली पेट सोना पड़ा। आजाद मैदान पर ही प्रेक्टिस करते वक्त कोच ज्वाला सिंह की नजर उन पर पड़ी और फिर यशस्वी का निखरना शुरू हो गया। पहली बार यशस्वी तब खबरों में आए थे जब उन्होंने 319 रनों की शानदार पारी खेली थी। उन्होंने 14 साल की उम्र में अंजुमन इस्लाम उर्दू हाई स्कूल की तरफ से खेलते हुए राजा शिवाजी मंदिर के खिलाफ जाइस शील्ज मैच में नाबाद 319 रनों की पारी खेली थी। उन्होंने सिर्फ 99 रन देकर 13 विकेट भी झटके थे। इस रिकॉर्ड के लिए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था। बीते 5 सालों में उनके नाम 49 शतक दर्ज हैं। यशस्वी अभी पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान दिलीप वेंगसकर की देखरेख में अपना हुनर निखार रहे हैं।
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