पारदर्शिता में भारतीय कंपनियाँ सबसे आगे
बर्लिन स्थित ट्रांसपेरेसी इंटरनेशनल ने आज कहा कि भारतीय कंपनियाँ सबसे अधिक पारदर्शी हैं, जबकि चीन की कंपनियाँ सबसे अपारदर्शी हैं। भ्रष्टाचार पर निगाह रखने वाले इस संगठन ट्रांसपेरेसी इंटरनेशनल ने अपनी नई रपट में यह निष्कर्ष निकाला है। इस रपट में भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए उदीयमान कंपनियों के प्रयासों का आकलन किया गया है।
रपट में कहा गया है, ‘भारतीय कंपनियों ने किसी भी देश की तुलना में सबसे अधिक अंक (स्कोर) प्राप्त किये हैं। कंपनी कानून के चलते इन कंपनियों ने मुख्य रूप से संगठनात्मक पारदर्शिता के लिहाज से 75 प्रतिशत या इससे अधिक स्कोर हासिल किया है।’ रपट के अनुसार संगठनात्मक पारदर्शिता में शीर्ष स्थानों पर भारतीय कंपनियों का बोलबाला है। भारती एयरटेल 10 में से 7.3 अंक के साथ पहले स्थान पर है। इसके बाद टाटा समूह की छह इकाइयाँ तथा विप्रो है।
यह रपट ब्राजील, मैक्सिको व रूस सहित 15 उदीयमान बाजार देशों में 100 कंपनियों के प्रदर्शन पर आधारित है।
इसमें कहा गया है, ‘भारत में, कंपनी कानून के तहत कंपनियों को अपनी सभी अनुषंगियों से जुड़ी मुख्य वित्तीय जानकारी का खुलासा करना होता है भले ही कंपनी किसी भी जगह पर हो। यही कारण है कि इस मोर्चे पर भारतीय कंपनियों का स्कोर बहुत मजबूत रहा है।’ रपट में नौ कंपनियों को सबसे कम संभव स्कोर (शून्य) दिया गया है जिनमें आठ चीन से तथा एक मैक्सिको से है। इस लिहाज से चीन की कंपनियों को प्रदर्शन कुल मिलाकर सबसे कमजोर रहा है और उनका औसत स्कोर 10 में से 1.6 रहा है। केवल एक कंपनी जेडटीई शीर्ष 25 में आई है।
इसके अनुसार, ‘भ्रष्टाचार विरोधी नीतियों के अभाव या नीतियाँ बहुत कमजोर होने के कारण चीनी कंपनियों का परिणाम बहुत ही कमजोर रहा है।’ ट्रांसपेरेसी इंटरनेशनल का कहना है कि इस रपट के निष्कष्रों से इस बात की तुरंत जरूरत रेखांकित होती है कि बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां भ्रष्टाचार से निपटने के लिए और अधिक काम करें।(पीटीआई)