एक आम लड़की से कॉरपोरेट जगत में कुल'श्रेष्ठ' बनने की कहानी
वेरीसाइन इंडिया की मार्केटिंग प्रमुख मितिका कुलश्रेष्ठ की कहानी उनकी जुबानी ...
मितिका कुलश्रेष्ठ भारत की युवा एवं तेजतर्रार मार्केटिंग प्रोफेशनल हैं। उन्होंने बड़ी तेजी से काॅरपोरेट जगत में अपना स्थान बनाया है और अभी भारत में वेरीसाइन इंडिया की मार्केटिंग प्रमुख हैं। प्रस्तुत है मितिका की कहानी उनकी ही जुबानीः-
मैं दिल्ली में जन्मी और पली-बढ़ी। मेरे माता-पिता मथुरा, उत्तर प्रदेश के रहनेवाले थे। मेरी स्कूली शिक्षा दिल्ली के बड़े गैर सरकारी स्कूल स्प्रिंगडेल्स में हुई। मेरी मां एक वैज्ञानिक थीं और पिता सांख्यिकीयविद, इसलिए शिक्षा हमेशा मेरे परिवार की प्राथमिकता रही। मेरे पिता की हमेशा कोशिश रहती थी कि मुझे और मेरे बड़े भाई को यथासंभव बेहतर शिक्षा दी जाए। मेरा पालन-पोषण साधारण मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। मैंने दिल्ली के सेंट स्टीफेन्स काॅलेज में दाखिला लिया, जहां भौतिकी का अध्ययन किया। बाद में मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय से सूचना प्रौद्योगिकी में स्नातकोतर की डिग्री हासिल की। स्नातक मैंने सन् 2001 में किया था। वस्तुतः स्टीफेन्स से ही मैंने सोचना शुरू का दिया था कि आगे मुझे क्या करना है। काॅलेज में समग्र शिक्षा एवं विकास का वातावरण था। सिर्फ अध्ययन पर ही जोर नही था बल्कि आसपास घटित हो रही हरेक चीज से हमारा नाता होता था। लिहाजा, मेरा विकास भी इसी रास्ते पर हुआ। मुझे अपनी परवरिश में ही यह सीख मिली थी कि भले शुरुआत थोड़ी धुंधली दिखाई पड़े, आत्मावलोकन हमेशा सार्थक होता है।
स्नातकोत्तर पूरा करते ही मुझे एक कंपनी में नौकरी मिल गई। तुरंत ही मुझे अहसास हुआ कि मेरी रुचि मार्केटिंग और व्यवसाय में है। कंपनी के संस्थापक ने मुझे अनेक चुनौतियों का सामना करने और मेरे आत्मविश्वास को बढ़ाने में पूरी मदद की। उन्होंने ही दो साल तक पहली नौकरी करने के बाद, इंडियन स्कूल आॅफ बिजनेस (आइएसबी), हैदराबाद से एमबीए करने के लिए मुझपर दबाव डाला। आइएसबी के अनुभव बड़े शानदार थे। फैकल्टी में अलग-अलग तरह के लोग भरे थे और सहपाठी भी बेहद तेजतर्रार थे। आइएसबी भारत मेें पश्चिमी ढंग की शिक्षा मुहैया करता है और वहां के अनुभव आपके व्यवसाय कौशल को तराशते हैं।
आइएसबी से एमबीए करने के बाद मैं दिल्ली में एयरटेल से जुड़ गई। मैं वहां करीब अठारह महीने तक रही। इस दौरान मैंने शादी करने का फैसला किया और बैंगलोर चली गई। मैं वहां एक बिजनेस डेवलेपमेंट टीम में शामिल हो गई। दो वर्ष बाद जब मैंने यह टीम छोड़ी तो उस समय इसके सदस्यों की संख्या तीन से बढ़कर 30 हो गई थी। इस टीम के साथ कागज पर योजनाएं बनाने और फिर इन्हें स्वतंत्र रूप से कार्यान्वित करने के अनुभव बड़े रोमांचकारी थे। दो साल बाद मैं पुनः दिल्ली चली आई क्योंकि मैं अपने माता-पिता के साथ रहना चाहती थी। मैं दोबारा एयरटेल में काम करने लगी और वहां दो साल तक बनी रही। इस बार मैं वहां उनकी डाटा एवं ब्राडबैंड बिजनेस एक्यूजीसन टीम में थी।
आपके कैरियर के शुरुआती वर्षों में हमेशा यह ख्याल हावी रहता है कि आप कौन सा काम पसंद करते हैं, काम का कैसा माहौल पसंद है और कि कैसे सहकर्मियों के साथ काम करना चाहतेे हैं। मैंने हमेशा इन चीजों की कोशिश की है। हालांकि, मैंने महसूस किया है कि अपना प्रभाव डालना सबसे महत्वपूर्ण है, यह भी कि आप लचीला रुख प्रदर्शित करनेवाले संगठन में निर्धारित लक्ष्य पूरे कर रहे हों। साथ ही तेजतर्रार एवं उत्साही सहकर्मियों के साथ होने का भी अपना महत्व है। उपयुक्त विशिष्टताओं के साथ, मुझे भारत में वेरीसाइन इंडिया की मार्केटिंग प्रमुख के रूप मे काम करने का बेहतरीन आॅफर मिला। यह पद मुझे एक दोस्त के जरिए हासिल हुआ। मेरे लिए ऐसे सम्बन्ध और लोग हमेशा महत्वपूर्ण रहे हैं। सम्बन्धों के जरिए अवसर प्राप्त होते हैं और मैं इसपर विश्वास करती हूं।
मार्केट के रणनीतिकार के तौर पर आपकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप अपने ग्राहकों के साथ कैसे जुड़े हैं। निरंतर विकास करना, सीखना और रुकावट से बचे रहना बेहद जरूरी है।
जहां तक कार्यस्थलों में महिलाओं का प्रश्न है, मैंने महिलाओं तथा पुरुषों के बीच विभेद को अकसर देखा है कि कैसे वे अपने को प्रस्तुत करते हैं। मैंने यह पाया है कि अनेक महिलाएं खुद को विवाह एवं बच्चों के बीच सीमित कर लेती हैं। ये सब हमारे सामाजिक ढांचे की देन हैं। हमें इसे बदलना होगा। एक काॅरपोरेट की हैसियत से मैं महिलाओं को सलाह देती हूं कि वे अपनी सोच पर डटी रहें, कोई दोषभाव कतई महसूस न करें। आपकी सफलता, अपने निर्णय आपके विश्वास पर निर्भर करती है।