पढ़ाई की लगकर, ऐप बनाया मिलकर, कारोबार कर रहे हैं जुटकर
July 07, 2015, Updated on : Thu Sep 05 2019 07:20:58 GMT+0000

- +0
- +0
आईआईटी और एनआईटी के तहत देश के बड़े इंजीनियरिंग कॉलेज आते हैं। ये वो जगह है जहां पर होनहार छात्र तकनीक की दुनिया के महारथी होते हैं। इलाहाबाद के एनआईटी में पढ़ने वाले छह छात्र, जो देश के अलग अलग कोनों से थे उन्होने आपस में ऐसा तालमेल बैठाया कि यहां से निकल कर उन्होने अपना खुद का उद्यम शुरू किया और उसका नाम रखा Rootwork। इससे पहले वो कॉरपोरेट की दुनिया में शानदार काम कर रहे थे लेकिन उनका दिल कहीं ओर था।

Rootwork की टीम
ये प्रौद्योगिकी के प्रति उत्साही और फोटोग्राफी प्रेमियों का एक अच्छा मिश्रण है, हालांकि इसकी शुरूआत तो कॉलेज के दिनों में ही हो गई थी, जब साल 2012 में इन लोगों के दिमाग में इस संबंध में एक ऐप बनाने का विचार आया। इन लोगों ने ढेरों तकनीक पर काम किया लेकिन इनको मोबाइल सॉफ्टवेयर के तौर पर पहचान मिली। जिसको देखते हुए इन्होने ऐनरोइड, आईओएस और विडोंज 8 के लिए ऐप बनाया। इन लोगों के पास अपना एक उत्पाद स्टूडियो Zitrr भी है जिसके जरिये ये अपने ऐप से जुड़ी जानकारी भी देते हैं। Rootwork फिलहाल बेंगलौर और बड़ौदा से अपना काम कर रहा है। इसके छह संस्थापक हैं। ये हैं पीयूष रावत, प्रतीक, भरत, रत्नेश नीमा, निर्मल प्रसाद और मोहित निगम हैं। फिलहाल कंपनी में 15 लोग काम कर रहे हैं।
Zitrr कैमरा एक फोटो एडिटिंग ऐप है। इस ऐप ने इनको काफी सफलता दिलाई। इन लोगों ने फैसला लिया कि ये आईओएस के जरिये इसकी शुरूआत करेंगे। क्योंकि ये जानते थे कि यहां से इनको कुछ आमदनी हो सकती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए इन लोगों ने इस ऐप पर शुल्क लगा दिया जबकि बीच-बीच में इस ऐप को मुफ्त भी उपलब्ध कराते ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस ऐप के प्रति खींचा जा सके। बाद में जैसे-जैसे ऐप में फीचर जुड़ते गये उसी अनुपात में इनके ऐप के डाउनलोड की संख्या भी बढ़ने लगी। कंपनी के सह-संस्थापक पीयूष के मुताबिक अब तक Zitrr कैमरा को 80 हजार से ज्यादा लोग डाउनलोड कर चुके हैं जिसके बाद इन लोगों को उम्मीद है कि ये संख्या जल्द ही 1 मिलियन को पार कर जाएगी। अब तक जितने भी डाउनलोड हुए हैं उनमें से 65 प्रतिशत का भुगतान किया गया है।
होनहार लोगों की सभी कद्र करते हैं। तभी तो कोरिया कि सेमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स ने इनके प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर Tizen ऐप का निर्माण करवाया। सैमसंग ने ऐप के लिए दुनिया भर की चुनिंदा कंपनियों को अपने यहां बुलाया था और उन कंपनियों में से Rootworks अकेली भारतीय कंपनी थी जिसके बनाये उत्पाद को सैमसंग ने पसंद किया। Rootworks को इस साझेदारी के लिए 65 हजार डॉलर मिलेंगे इसके अलावा दूसरे कई प्रोजेक्ट में काम करने का मौका भी मिलेगा। इस प्रोजेक्ट के साथ साथ Rootworks के दूसरे प्रोजेक्ट पर काम बेंगलौर और बड़ौदा में चल रहा है। कंपनी के सह-संस्थापक पीयूष के मुताबिक दूसरी आईटी कंपनियों का बिजनेस मॉडल ‘लें और दें’ पर आधारित होता है लेकिन ये लोग जब भी किसी कंपनी के साथ जुड़ते हैं तो एक सहयोगी के तौर पर उसके साथ काम करते हैं। इस वक्त Rootworks 4-5 कंपनियों के साथ सहयोग चल रहा है जिनका मोबाइल क्षेत्र से कोई लेना देना नहीं है।
कंपनी के सह-संस्थापक पीयूष के मुताबिक जब उन्होने अपना ये कारोबार शुरू किया था तब उन्होने मोबाइल सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में ब्रांड बनाने के अलावा कुछ नहीं सोचा था। उनके मुताबिक वो सिर्फ दूसरों के साथ मिलकर काम करना चाहते थे इसलिए उन्होने दूसरे उद्यमियों की तरह सिर्फ अपने विचारों को तव्वजो नहीं दी बल्कि दूसरों के विचारों को क्रियान्वित करने में इनको खुशी मिलती। लेकिन धीरे धीरे इन लोगों ने अपने विचारों से खेलना शुरू किया। ये लोग देखना चाहते थे कि कैसे इनका संस्थान तरक्की के रास्ते में आगे बढ़ता है। फिलहाल Rootworks ने एक लंबी छलांग लगाई है ताकि वो आगे बढ़ाने के लिए खुद को प्रेरित कर सकें।
- +0
- +0