मुज़फ्फ़रपुर के हमाम में सब के सब नंगे!
बिहार का 'बालिका गृह कांड'
मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह कांड ने भूचाल ला दिया है, जहां 34 बच्चियों का रेप किया गया। संसद में मामला गूंजने के बाद सीबीआई जांच में जुट गई है लेकिन इस हमाम में जैसे पूरा सिस्टम नंगा नजर आ रहा है। नोबेल सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ठीक ही पूछते हैं कि धर्मगुरु भी क्यों चुप हैं! इससे बड़ा अधर्म क्या हो सकता है!

बिहार समाज कल्याण विभाग की ओर से चलाए जा रहे मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में रह रही कुल 46 लड़कियों में से 34 लड़कियों का लंबे समय से यौन शोषण किया जा रहा था। इस बालिका गृह के संचालन की ज़िम्मेदारी विभाग ने एक एनजीओ 'सेवा संकल्प' को दे रखी है।
बिहार का 'बालिका गृह कांड' जिस तरह परद-दर-परत खुलता जा रहा है (अब तो मामला हमारे देश की संसद में गूंजने के बाद सीबीआई जांच तक पहुंच चुका है), मुजफ्फरपुर के हमाम में सब-के-सब नंगे दिख रहे हैं। देश के इस सबसे शर्मनाम वाकये पर नोबेल पुरस्कार सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने कहा है कि सरकारों को बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों की नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए। सभी धर्मगुरु भी एकजुटता से बच्चों के लिए आवाज बुलंद करें। सिर्फ यह कहने से काम नहीं चलेगा कि जांच का आदेश दिया गया है। समाज को भी नैतिक जिम्मेदारी लेनी होगी। इससे बड़ा अधर्म और क्या हो सकता है। वे धर्मगुरु हैं तो ऐसे अधम अधर्म पर चुप क्यों हो जाते हैं? कई मामलों में धर्मगुरु भी पकड़े जा चुके हैं। मठों, मदरसों, मिशनरी संस्थाओं और दूसरे स्थानों पर ये संरक्षित हो रहे हैं। लोगों कानून-व्यवस्था पर से विश्वास उठ रहा है। इसी बीच केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों को तत्काल सभी बाल गृहों की जांच का आदेश दिया है। मंत्रालय जुवेनाइल जस्टिस जेजे एक्ट में भी संशोधन करने जा रहा है।
अब आइए, जरा एक नजर जान लेते हैं कि क्या है मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड! पिछले माह जून के प्रथम सप्ताह में पहली बार सुर्खियों में आए घटनाक्रम के मुताबिकघटना खुलने के बाद 'सेवा संकल्प' का बिहार समाज कल्याण विभाग की ओर से चलाए जा रहे मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में रह रही कुल 46 लड़कियों में से 34 लड़कियों का लंबे समय से यौन शोषण किया जा रहा था। इस बालिका गृह के संचालन की ज़िम्मेदारी विभाग ने एक एनजीओ 'सेवा संकल्प' को दे रखी है। संचालक ब्रजेश ठाकुर गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि 'सेवा संकल्प' एनजीओ रमेश ठाकुर के नाम से पंजीकृत है।
पुलिस की एसआईटी मामले की जांच करने लगी। राज्य महिला आयोग भी मामले की छानबीन में जुट गया। कुल 164 बयानों के दौरान लड़कियों ने बताया कि उनका यौन शोषण किया जा रहा है। इसके बाद बालिका गृह की सभी 46 लड़कियों को पटना, मोकामा और मधुबनी के बालिका केंद्रों में स्थांतरित कर दिया गया। सबसे पहले ये मामला उस वक्त उजागर हुआ, जब ख़ुद समाज कल्याण विभाग ने खुलासा किया कि मुज़फ्फ़रपुर सहित तीन केंद्रों में यौन शोषण की प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है। दरअसल, मुंबई के टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ की ओर से 'कोशिश' को इसी साल फ़रवरी में ऐसे ही 110 केंद्रों के सोशल ऑडिट की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। ऑडिट के दौरान ही इस सामूहिक व्यभिचार पर नजर गई।
अब आइए, जरा जानते हैं कि 'सेवा संकल्प' संचालक ब्रजेश ठाकुर क्या चीज हैं! बिहार सरकार अब तक ब्रजेश ठाकुर को अपने घर में ही चला रहे बालिका गृह के लिए हर साल एक करोड़ रुपए देती रही है। ब्रजेश ठाकुर 'प्रातः कमल' नाम से अपना अख़बार भी निकलता है। शुरू में सरकार बालिका गृह में रखी गई 46 लड़कियों के लिए चालीस लाख रुपए देती थी। ब्रजेश ने धीरे-धीरे बालिका गृह को लड़कियों के 'यातना शिविर' में बदल डाला। उनमें से 34 लड़कियों का यौन शोषण कराया जाने लगा। बाद में ब्रजेश को वृद्धाश्रम, अल्पावास, खुला आश्रय और स्वाधार गृह के लिए भी टेंडर मिले। इसके बाद उसको सरकार से एक करोड़ रुपए मिलने लगे। यानी खुला आश्रय के लिए 16 लाख, वृद्धाश्रम के लिए 15 लाख और अल्पावास के लिए 19 लाख रुपए और।
अब तो ब्रजेश ठाकुर के रुतबे के आगे सारे नियम-कानून बौने पड़ने लगे। स्वयं एसएसपी हरप्रीत कौर का कहना है कि ब्रजेश को टेंडर देने में नियमों का उल्लंघन किया गया। अब देखिए, उधर, 31 मई को ब्रजेश के ख़िलाफ़ यौन शोषण कराने की रिपोर्ट दर्ज हुई और उसी दिन बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग ने उसे पटना में मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना के तहत एक और अल्पावास का टेंडर दे डाला। यद्यपि भांडा फूटते ही समाज कल्याण विभाग के निदेशक राजकुमार ने ये टेंडर रद्द कर दिया। अब मीडिया राज्य सरकार से पूछ रहा है कि इतने गंभीर मामले सामने आने के बावजूद ब्रजेश को टेंडर किसने दिलवाया?
तो, अब मुज़फ़्फ़रपुर के सिटी डीएसपी मुकुल कुमार रंजन भी कहने लगे हैं कि ब्रजेश को नियमों का उल्लंघन कर टेंडर दिए गए। प्रशासनिक टीम हर महीने बालिका गृह की निगरानी करने जाती तो थी, लेकिन कभी किसी ने नहीं बताया कि वहां ये सब हो रहा है। बेशर्मी की हद देखिए। ब्रजेश ठाकुर खुद अपने अख़बार में छापता रहा कि हर महीने दर्जनों जज, बाल संरक्षण इकाई के अधिकारी, शहर के सरकारी अस्पताल की दो महिला डॉक्टर लक्ष्मी और डॉक्टर मीनाक्षी, बाल संरक्षण यूनिट के सहायक निदेशक देवेश कुमार शर्मा आदि बालिका गृह का औचक निरीक्षण करने आते हैं। उन सबने कहा है कि बालिका गृह में कुछ भी गड़बड़ नहीं है। अब ब्रजेश ठाकुर की बेटी निकिता आनंद भी टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस की रिपोर्ट को झूठा ठहरा रही है। इस पर एसएसपी सिटी का कथन ठीक लगता है कि पीड़ित बच्चियों ने जज के सामने जो बयान दिए हैं, उसे कैसे नज़रअंदाज़ कर दिया जाए। बालिका गृह में एक बच्ची का शव दफ़न होने के संदेह में खुदाई भी की गई थी। बालिका गृह में 2015 से 2017 के बीच तीन बच्चियों की मौत हो चुकी है।
बहरहाल, सीबीआई पूरे मामले की जांच में जुट गई है। सीबीआई अधिकारी ने महिला थाना अध्यक्ष ज्योति कुमारी से एफआईआर की कॉपी, इस मामले में अब तक गिरफ्तार तथा फरार आरोपियों की सूची ले ली है। इस पूरे मामले में कई और हैरान कर देने वाला तथ्य सामने आ रहे हैं। मसलन, बालिका गृह में काम करने वाली महिला कर्मचारी न केवल रेप में साथ देती थीं बल्कि खुद भी बच्चियों का यौन शोषण करती थीं। मोकामा नाजरथ हॉस्पिटल में इलाज के लिए भर्ती बच्चियों ने इसका भंडाफोड़ किया है। उनको बालिका गृह में नींद की गोलियां खाने में मिला कर देने के बाद गलत काम किया जाता था। पीड़ितों ने किरण, चंदा, नीलम, हेमा, इंदु आदि के नाम लिए हैं।
एक लड़की ने ब्रजेश द्वारा अपने साथ रेप किए जाने का खुलासा किया है। पीड़ित कई लड़कियां बेड-वेटिंग (बिस्तर पर पेशाब) की मरीज हो चुकी हैं। बिहार सरकार प्रदेश में ऐसे कुल 11 बालिका गृह संचालित कर रही है, जिनमें दस एनजीओ के हवाले हैं। अब बिहार राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष अंजुम आरा भी कहने लगी हैं कि सरकारी तंत्र में सुधार की जरूरत है। हमारा मॉनीटरिंग सिस्टम कमजोर है। इस बीच प्रदेश की समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा भी मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह रेप कांड में फंसती नजर आ रही हैं। उनके पति चंद्रशेखर वर्मा ने स्वीकार किया है कि उनका भी बालिका गृह में जाना-आना रहा है। मंजू वर्मा का कहना है कि ये आरोप तेजस्वी यादव के इशारे पर लगाया जा रहा है।
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