हस्तकला में माहिर कलाकारों के लिए संजीवनी, 'नवरंग'
...ताकि सफल हो सके ‘हैंडमेड इन इंडिया’ अभियान
Wednesday July 15, 2015 , 4 min Read
‘मेक इन इंडिया’ अभियान के बाद सरकार ‘हैंडमेड इन इंडिया’ की तरफ बढ़ रही है। इसके लिए एक व्यापक हैंडलूम पॉलिसी का प्रस्ताव विचाराधीन है जो handlooms.handicrafts और खादी तथा ग्रामीण उद्योगों के बीच सामंजस्य बढ़ाएगा। ये एक सिंगल ब्रांड के जरिये ऐसे सभी सामानों की ई-कॉमर्स के जरिये बिक्री करेगा।
हैंडमेड प्रोडक्ट्स की फिर से डिमांड होने लगी है। कम से कम मेट्रो शहरों में हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल (HNIs) की तादाद बढ़ रही है। वो अच्छी तरह से बने हुए हैंडक्रॉफ्ट आइटम्स या हैंडलूम प्रोडक्ट के लिए अतिरिक्त खर्च से नहीं हिचकते। फैबइंडिया की कामयाबी एक मिसाल है जो एक ऐसा चेन स्टोर है, जो ग्रामीण भारत के क्रॉफ्ट्सपीपल के हैंडमेड गारमेंट्स को बेचता है।
इस कॉन्सेप्ट को ध्यान में रखते हुए उपभोक्ताओं को असली हैंडमेड आइटम्स उपलब्ध कराने के उद्देश से सोनल गुहा और राजर्षि गुहा ने नवरंग को शुरू किया। नवरंग के को-फाउंडर राजर्षि बताते हैं- “हैंडिक्रॉफ्ट्स और हैंडलूम प्रोडक्ट्स तक पहुंच कम हुई है। इसके साथ ही स्किल्ड वर्कर्स की उपलब्धता भी नाटकीय ढंग से कम हुई है। बड़ी तादाद में नकली प्रोडक्ट उपलब्ध हैं। इसलिए भारत की समृद्ध परंपरा और संस्कृति के संरक्षण के लिए नवरंग का विचार आया।”
नवरंग को सोनल और राजर्षि ने अपने दम पर शुरू किया। दोनों ने 25 लाख के शुरूआती निवेश के साथ इस वेंचर को शुरू किया। निवेश खासकर प्रोडक्ट को उपलब्ध कराने, दिल्ली में एक ऑफिस सेट-अप करने और वेबसाइट डेवलपमेंट पर खर्च हुआ। अभी तक किसी प्रमोटर के जरिये कोई फंड इकट्ठा नहीं किया गया है।
एक्सक्लूसिव सर्विस
नवरंग का दावा है कि वह पहला और इकलौता ऐसा पोर्टल है जो भारत के विभिन्न हिस्सों से एक्सक्लूसिवली ट्रेडिशनल और हैंडक्रॉफ्टेड साड़ियों को उपलब्ध कराता है।
नवरंग की को-फाउंडर सोनल बताती हैं- “हम लोकल कारीगरों से प्रोडक्ट मंगाते हैं। इसका मतलब ये है कि हम फुलकारीस को पटियाला और कांथा को शांतिनिकेतन से मंगाते हैं। हम गवर्नमेंट रजिस्टर्ड बुनकरों और कारीगरों की सेवा लेते हैं जो विश्वसनीय हैंडलूम और हैंडक्राफ्टेड प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराते हैं। इस तरह से हम उचित दाम पर ओरिजिनल प्रोडक्ट्स पा सकते हैं। कस्टमर एक्विजिशन और मार्केटिंग कॉस्ट को कम रखा गया है जिससे हमें जल्द ही मुनाफा कमाने योग्य बनने में मदद मिलेगी। इंटरनेट और कम्यूनिटी मार्केटिंग के जरिए बिक्री की जाएगी। ”
नवरंग और दूसरे प्लेटफॉर्म्स में क्या अंतर है ये पूछने पर राजर्षि बताते हैं कि ज्यादातर उपलब्ध प्लेटफॉर्म्स मार्केटप्लेस मॉडल को अपना रहे हैं। वो एक्सक्लूसिव हैंडलूम और हैंडक्राफ्टेड फैब्रिक आइटम्स पर फोकस नहीं करते। इतना ही नहीं, वो सीधे कारीगरों से प्रोडक्ट नहीं लेते इसलिए प्रोडक्ट की विश्वसनीयता की कोई गारंटी नहीं होती। नवरंग सीधे गवर्नमेंट लिस्टेड बुनकरों और करीगरों से प्रोडक्ट मंगाती है और ये नेशनल अवॉर्ड जीतने वालों पर खास फोकस करती है।
सोनल बताती हैं- “हमारा उद्देश्य भारत के सभी राज्यों को कवर करना है। अभी हम 7 राज्यों को कवर कर रहे हैं। इस साल के आखिर तक हम उम्मीद करते हैं कि हम कस्टमर्स को भारत के किसी भी राज्य के हाथ से बुने हुए और हैंडक्राफ्टेड टेक्स्टाइल वर्क को ऑफर कर सकेंगे।”
चुनौतियों का सामना
ओरिजिनल और ऑथेंटिक प्रोडक्ट पाने में वेंचर को बिचौलियों के दखल की चुनौती का सामना करना पड़ता है। सुदूर गांवों में जहां वास्तविक हैंडवर्क उपलब्ध है, वहां तक पहुंचना भी काफी चुनौतीपूर्ण होता है।
इसके अलावा नवरंग को वेल-फंडेड प्लेटफॉर्म्स से कॉम्पटिशन का सामना करना पड़ रहा है। ये प्लेटफॉर्म्स अपने प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग कर सकते हैं। मगर नवरंग का सारा फोकस ऑथेंटिक हैंडलूम प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराने पर है।
इंडस्ट्री के साथ वेंचर भी फलता-फूलता है
भारत हैंडमेड फैब्रिक का सबसे बड़ा मैन्यूफैक्चरर है। इसके अलावा हैंडलूम और हैंडक्राफ्टेड टेक्सटाइल के बारे में जागरुकता बढ़ रही है जो ग्रोथ के लिए ईंधन का काम कर रहा है।
राजर्षि के मुताबिक देश की अर्थव्यवस्था में हैंडलूम सेक्टर का एक खास स्थान है। ये सेक्टर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्किल के ट्रांसफर के साथ टिका हुआ है। इस सेक्टर की ताकत इसकी यूनिकनेस, प्रोडक्शन की फ्लेक्सिबिल्टी, इनोवेशन और सप्लायर की जरुरतों के हिसाब से एडेप्टेशन के साथ-साथ समृद्धशाली परंपरा में बसती है। कई तरह के नीतिगत फैसलों, क्लस्टर अप्रोच जैसे तरीकों, एग्रेसिव मार्केटिंग और समाज कल्याण से जुड़े पहल से हैंडलूम सेक्टर में पॉजिटिव ग्रोथ देखने को मिला है। बुनकरों का इन्कम लेवल सुधरा है।
भारत सरकार ने हैंडलूम और हैंडक्राफ्टेड आइटम्स को पॉवर लूम्स द्वारा कॉपी करने से बचाने के लिए एक बिल पास किया है। इस बिल को ‘रिजर्वेशन आर्टिकल्स फॉर प्रोडक्शन एक्ट 1985’ के नाम से जाना जाता है। यह उन वेंचर्स को ग्रोथ का मौका देता है, जो हैंडमेड प्रोडक्ट्स को प्रमोट करते हैं।
राजर्षि कहते हैं- “ हैंडक्राफ्ट और हैंडलूम प्रोडक्ट्स की बढ़ती डिमांड और इसके लिए बाजार में ढंग के सप्लायर की कमी ने नवरंग जैसे वेंचर्स की अहमियत बढ़ा दी है। हमारा लक्ष्य मार्केट की डिमांड को पूरा करना है। हमें यकीन है कि मौजूदा वातावरण इंडस्ट्री और वेंचर दोनों के ग्रोथ को सपोर्ट करेगा।”