मुश्किल में फंसी महिला कुछ सेकेंड में ही पुलिस से मदद की मांग कैसे करे, जानिए
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक साल 2014 में बलात्कार के 36538 मामले देश भर के विभिन्न थानों में दर्ज हुए। यानी हर रोज 100 से भी ज्यादा मामले रेप के रजिस्टर्ड होते हैं। ऐसे अपराधों पर लगाम लगाने के लिए पुलिस भले ही अपनी ओर से कोई कोर कसर ना छोड़े, बावजूद ये बीमारी बढ़ते जा रही है। आईआईटी दिल्ली से कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएट आदित्य गुप्ता ने जब इस समस्या पर गहराई से विचार किया तो उन्होंने महसूस किया कि समाज में लैंगिक हिंसा इसकी बड़ी वजह है। समाज में लिंगभेद की समस्या को दूर करने के लिए उन्होने 'पीपल फॉर पैरेटी' की स्थापना की। इतना ही नहीं उन्होंने एक ऐसा ऐप बनाया कि मुश्किल हालात में फंसी कोई महिला महज कुछ ही सेकेंड में पुलिस से मदद मांग सकती है।
आदित्य गुप्ता आईआईटी से पढ़ाई खत्म करने के बाद एक बड़ी कंपनी में काम कर रहे थे लेकिन उस काम से वो संतुष्ट नहीं थे। तब उन्होने अपनी दिल की बात सुनी और नौकरी को छोड़ अपना काम शुरू करने के बारे में सोचने लगे, लेकिन वो समझ नहीं पा रहे थे कि करें तो क्या करें। आदित्य बताते हैं
"16 दिसम्बर 2012 को दिल्ली में जब निर्भया कांड हुआ तो उसने मुझे अंदर तक हिलाकर रख दिया था, तब मुझे इस बात को लेकर दुख हुआ कि हमारे समाज में लिंगभेद कितना ज्यादा है।"
इस घटना के बाद आदित्य चुप नहीं बैठे और उन्होने लिंगभेद की इस समस्या को दूर करने का फैसला लिया। जिसके बाद अप्रैल, 2013 में उन्होंने दिल्ली में 'पीपल फॉर पैरेटी' की स्थापना की। आज ये संगठन लिंग भेद से जुड़ी हिंसा को कम करने का काम करता है।
अपने काम के दौरान इन्होंने कई स्कूल, कॉलेज और दूसरी जगहों में जाकर महिलाओं और पुरूषों में फैली असमानता को जानने का प्रयास किया। इस दौरान युवाओं के साथ काम कर आदित्य ने पाया कि आपात स्थिति में पुलिस की सहायता जल्द से जल्द पाने के लिए कोई ऐप नहीं है। आदित्य बताते हैं,
"हमारे पास तकनीकी ज्ञान था तो हमने सोचा कि हमें एक ऐसा ऐप बनाना चाहिए जिससे पुलिस को आधुनिक तकनीक से जोड़ कर उनकी समाज के प्रति जिम्मेदारी को बढ़ाया जा सके।"
इतना ही नहीं आदित्य ने महसूस किया कि जब कोई घटना घटती है तो पुलिस को 100 नंबर में फोन करने और सूचना देने में ही 5 मिनट लग जाते हैं। इसी को देखते हुए उन्होंने कम से कम समय में पुलिस तक पहुंचने का रास्ता ढूंढना शुरू किया। आदित्य और उनके आईआईटी के 3 दोस्त शशांक यदुवंशी, रविकांत भार्गव, रमन खत्री ने मिलकर ‘पुकार’ नाम से एक ऐप बनाया। जिसे दबाते ही घटना स्थल की लोकेशन पता चल जाती है, साथ ही 4-5 निकट संबंधी लोगों को भी खतरे का संदेश पहुंच जाता है।
आदित्य ने 'पुकार' ऐप को जून 2014 में लांच किया और इसकी शुरूआत की राजस्थान के अलवर जिले से। जिसके बाद उन्होंने इसे कोटा और उदयपुर में भी शुरू किया। आदित्य के मुताबिक ये एक सेफ्टी ऐप है और इसके जरिये पुलिस को सूचना देने में कम समय लगता है। वहीं पुलिस कंट्रोल रूम में बैठे ऑपरेटर के लिए केस को मॉनिटर करना आसान हो जाता है, क्योंकि कंट्रोल रूम में टेक्नोलॉजी सिस्टम लगा होता है। साथ ही कम्प्यूटर में ऐप दबाने वाले का नाम, फोन नंबर और लोकेशन का पता चल जाता है। इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर से मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है। अब तक इस ऐप के 60 हजार से ज्यादा डाउनलोड हो चुके हैं और गूगल में इसकी रेटिंग 4.5 है।
भविष्य की योजनाओं के बारे में आदित्य का कहना है कि वो ‘पुकार’ का विस्तार राज्य स्तर पर करना चाहते हैं इसके लिए इनकी कई राज्यों की पुलिस से बातचीत चल रही है। इनका मानना है कि जिला स्तर पर पुलिस के अधिकार बहुत सीमित होते हैं इसलिए ये इस ऐप को ज्यादा असरदार बनाने के लिए पूरे राज्य में इसे लागू करना चाहते हैं क्योंकि पुलिस राज्य का विषय होता है।
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