वर्सोवा बीच- स्वच्छ भारत अभियान का सबसे सफल और सुंदर उदाहरण
बॉम्बे हाई कोर्ट में वकील अफरोज ने जब वर्सोवा बीच की सफाई का जिम्मा उठाया उस वक्त वह शहर का सबसे गंदा बीच माना जाता था। उनकी इस मुहिम में स्थानीय लोगों के साथ ही मछुवारों ने भी सहयोग किया और बीच का चेहरा ही बदल दिया...
'एकला चलो रे' से संघे शक्ति कलियुगे तक का सफर काफी लगन और ईमानदारी का होता है। एक इंसान जब अकेले ही किसी मुहिम को शुरू करता है, अकेले ही किसी नेक काम को अंजाम देने की ठानता है तो इसका दृढ़निश्चय ही बाकी के लोगों को आकर्षित करता है। किसने सोचा था मुंबई का सबसे बड़ा और सबसे गंदा बीच वर्सोवा एक इंसान की पहल से बिल्कुल ही चमचमा जाएगा। वो भागीरथ इंसान हैं अफरोज शाह। अफरोज की इस मुहिम की तारीफ पीएम मोदी ने अपने रेडियो बातचीत 'मन की बात' में भी की थी।
फोटो साभार क्रमश:, HT, Twitter और IBBa12bc34de56fgmedium"/>
बॉम्बे हाई कोर्ट में वकील अफरोज ने जब वर्सोवा बीच की सफाई का जिम्मा उठाया उस वक्त वह शहर का सबसे गंदा बीच माना जाता था। यहां समुद्र में खाई है जहां जाकर कचरा जम जाता था उनकी इस मुहिम में स्थानीय लोगों के साथ ही मछुवारों ने भी सहयोग किया और खाई में जाकर कचरा बाहर निकाला। वर्सोवा रेजिडंट वॉलन्टिअर्स भी अफरोज के अभियान में सहभागी बन गए और इन सबने मिलकर 85 हफ्तों की कड़ी मेहनत और लगन से इस बीच की सूरत ही बदलकर रख दी।
मुंबई में हर दिन लाखों टन कचरा पैदा होता है। उसे जमा कर सही तरीके से निबटाने के ठिकाने ज्यादा नहीं हैं। मुंबई तीन तरफ से समुद्र से घिरा है, यहां जगह की भारी कमी है। इसका असर शहर के पर्यटन उद्योग पर भी पड़ रहा है। ट्रैवल एजेंसी के लोग शिकायत करते हैं कि कचरे की वजह से विदेशी पर्यटक मुंबई नहीं आते। दो साल पहले अफरोज शाह ने समुद्र तट की ओर खुलता एक अपार्टमेंट खरीदा था। पेशे से वकील शाह के मुताबिक, 'मैंने जब खिड़की से बाहर झांका तो मुझे ढेर सारा कचरा दिखा। वकील होने के नाते में मैं महापालिका में शिकायत कर सकता था। लेकिन फिर मैंने कहा, तुम नागरिक हो और इसके लिए तुम भी जिम्मेदार हो। तुम्हें खुद कुछ करना चाहिए।'
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बॉम्बे हाई कोर्ट में वकील अफरोज ने जब वर्सोवा बीच की सफाई का जिम्मा उठाया उस वक्त वह शहर का सबसे गंदा बीच माना जाता था। यहां समुद्र में खाई है जहां जाकर कचरा जम जाता था उनकी इस मुहिम में स्थानीय लोगों के साथ ही मछुवारों ने भी सहयोग किया और खाई में जाकर कचरा बाहर निकाला। वर्सोवा रेजिडंट वॉलन्टिअर्स भी अफरोज के अभियान में सहभागी बन गए और इन सबने मिलकर 85 हफ्तों की कड़ी मेहनत और लगन से इस बीच की सूरत ही बदलकर रख दी। इस अभियान में BMC का भी सहयोग मिला। शाह ने अक्टूबर 2015 में वर्सोवा समुद्र तट को साफ करना शुरू किया था और बाद में यह जनआंदोलन बन गया। अफरोज शाह कहते हैं कि 'शुरू के महीनों में बहुत मुश्किल हुई। हम सिर्फ चार पांच लोग थे। लेकिन मैं कोई बड़ा संगठन नहीं बनाना चाहता था।'
अब करीब 100 वॉलेंटीयर्स अफरोज शाह की नक्शे कदम पर चल रहे हैं और कचरा इकट्ठा करते हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तहत शाह को 'चैंपियन ऑफ द अर्थ' पुरस्कार से नवाजा गया। अफरोज ये पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय हैं।
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85 हफ्तों में 53 टन कचरा साफ
85 हफ्ते चले सफाई अभियान में 53 टन कचरा वर्सोवा समुद्र तट से हटाया गया। 150 सफाईकर्मियों ने लगातार काम किया और हर हफ्ते 16,000 टन कूड़ा बाहर फेंका। सफाई का यह जिम्मा वर्सोवा रेसिडेंट्स वॉलेंटियर्स ने अपने हाथ में लिया था। सफाई अभियान के 85वें हफ्ते के बाद की कुछ तस्वीरें इस समुह के अफरोज शाह ने सोशल मीडिया पर जारी की थीं।
इस पहल में आम नागरिक ही नहीं बल्कि एक्टर और प्लास्टिक एसोसिएशन ने भी भागीदारी की। शाह चाहते हैं, कि प्रत्येक नागरिक अपने व्यस्त समय से हर हफ्ते 2 घंटे निकालकर शहर में मौजूद तमाम बीच को साफ करने में मदद करे।
बीच के बदले हुए रूप को देख कर आप पहली बार में पहचान ही नहीं पायेंगे कि ये वही वर्सोवा बीच है, जो कूड़े के ढेर से पटा पड़ा रहता था। वर्सोवा बीच अब पहले से काफी स्वच्छ नजर आने लगा है। शाह बीच की सफाई के लिए वॉलेंटियर कैंप आयोजित करते हैं।
वर्सोवा बीच को लेकर मिली सफलता के बाद अब दूसरे बीच की साफ-सफाई की भी उनकी योजना है।