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आपके स्टार्टअप की कहानी की हेडलाइन कौन लिखेगा?

साल 2008 में दूसरे स्टार्टअप्स की तरह जब मैंने स्टार्टअप की शुरुआत की, मैं चाहती थी कि मुझे सुना जाए और इस बड़ी दुनिया में मैं भी मशहूर हो जाऊं. और इससे बेहतर क्या हो सकता है कि इसे हासिल करने के लिए मीडिया हो, जो आपके बारे में लिखे. आखिरकार, कोई भी मीडिया कवरेज लोगों को बताने के लिए काफी है कि ‘अरे, मैं यहां हूं और आप मेरे पास तक पहुंच सकते हैं. लेकिन अफसोस, किसी ने भी ऐसा नहीं किया. और मैं बहुत उदास हो गई.’ विडंबना यह थी कि कोई सुनना नहीं चाहता था. मैंने एक सफल कॉरपोरेट नौकरी छोड़ी, कुछ अपना करने के लिए और कुछ ‘कूल’ करने के लिए. क्या मीडिया को मेरी कहानी नहीं बतानी चाहिए? शायद मेरे अनोखे वेंचर के बारे में जिक्र तो करना ही चाहिए? ईमानदारी से कहें तो, मैं चाहती थी कि मेरी पूर्व कंपनी CNBC TV18 अपने हाई प्रोफाइल शो यंग टर्क्स में भी मुझे जगह दे. खैर इस तरह की किस्मत नहीं थी. वास्तव में, पारंपरिक मीडिया ने मुझे एक हाथ की दूरी पर रखा ( और मैं बहुत शुक्रगुजार हूं, एक बेहतरीन काम के लिए जो मेरे साथ नहीं हुआ.)


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मुझे याद है कि कुछ साल पहले जब तीन लोगों को एक इंडस्ट्री बॉडी की तरफ से अवॉर्ड दिया जा रहा था (जिसमें मैं भी शामिल थी). अन्य दो के लिए देश के सर्वाधिक पढ़े जाने वाले बिजनेस अखबार में आधे पन्ने का कवरेज दिया गया (एक बार फिर ऐसी कंपनी जहां मैं काम कर चुकी थी) लेकिन मुझे छोड़ दिया गया था, मुझे याद है कि कैसे मैं बार-बार अखबार को देख रही थी. शायद वह कहीं छिपा हो, एक छोटा लेख या फिर एक पंक्ति भर. मैं उत्सुक थी, मामूली रूप से जुनूनी, मैं चाहती थी कि YourStory का जिक्र हो (आपको पता है कि जब आपके पास पैसे नहीं होते हैं तो अपने आपको प्रमोट करने के लिए बस उल्लेख भी बहुत अहम हो जाता है) हालांकि, पिछले कुछ सालों में, मैंने इस तथ्य से शांति बना ली है कि मेनस्ट्रीम मीडिया के लिए मैं कुछ नहीं हूं. जरूर, कभी-कभी मेरा जिक्र होता है, मैं आभारी हूं. यही उदासीनता अतिरिक्त चिंगारी है जिसकी मुझे जरूरत है ताकि YourStory को मैं आंत्रप्रेन्योर्स के लिए सबसे हैपनिंग जगह बना सकूं. कोई भी हो उसे अपनी कहानी बताने के लिए जगह मिलनी चाहिए. अब तक 30,000 लोगों ने YourStory पर ऐसा कर पाने में कामयाबी हासिल की है. और हां, हमारी गति के बावजूद हमसे कई स्टोरी छूट भी जाती है.

एक आंत्रप्रेन्योर होने के नाते, मैं पूरी तरह से समझती हूं कि हमें हमारी स्टोरी बताने की जरूरत है. हमारी स्टोरी मीडिया के साथ साझा होनी चाहिए. तथ्य ये हैं कि जब मैं CNBC और YourStory के बीच में थी, फिल्पकार्ट के शुरुआती दिनों में एक कर्मचारी, (जो अब दोस्त हैं) ने मुझे फोन किया और यंग टर्क्स में कवरेज के लिए मदद मांगी. उन्होंने कहा, “इससे हमारी मदद भर्ती करने में होगी क्योंकि जब हम प्रीमियम कॉलेजों में जाते हैं तो हमें कोई नहीं जानता है.”


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हम सभी के पास मीडिया कवरेज के अपने अपने कारण हैं. समय के साथ कारण भी बदल जाते हैं. लेकिन आप अगर व्यापार में हैं तो आपको संवाद करने की जरूरत है और मीडिया इस वजह से बेहतर विकल्प है. 2008 में जब YourStory की स्थापना हुई तब से भारतीय मीडिया काफी विकसित हुआ है. आठ साल बाद, अखबार, मैगजीन और न्यूज वेबसाइट स्टार्टअप्स की कहानी बताने के लिए भूखी है.

कुछ सालों पहले मीडिया जगत की बड़ी दिग्गज कंपनियों ने शायद एहसास किया कि स्टार्टअप्स के बारे में लिखना और उसे कवर महत्वपूर्ण है. ई-कॉमर्स में जिस तरह का निवेश हो रहा है उससे लहरें और तेज उठ रही हैं. और आखिरकार स्टार्टअप्स की हेडलाइंस भी लिखी जा रही है. हर रोज स्टार्टअप्स की खबर हेडलाइन बन रही है और ज्यादातर फंडिंग की खबरें होती है. कौन बिलियन डॉलर क्लब में शामिल हो रहा है? कौन नया पोस्टर ब्वॉय बना. कौन मोटी रकम निवेश कर रहा है? हां, चीयरलीडर प्लेटफॉर्म जैसे योरस्टोरी को भी हेडलाइन दबाव में आना पड़ता है. क्योंकि हमें पता है कि ऑनलाइन मीडिया के भी पेज व्यूज मायने रखते हैं. और जब न्यूज और हेडलाइन की बात हो रही है, तब मैं सबके लिए एक प्रश्न छोड़ रही हूं जिसके बारे में सोचें.

क्यों स्टार्टअप की खबरें चरम पर होती हैं? उत्साह से लेकर बुलबुले तक? देश को बचाने वाले स्टार्टअप्स से लेकर बचाए जाने वाले स्टार्टअप्स. क्यों मीडिया को चरम पर आने की जरूरत होती किसी भी मुद्दे को बताने के लिए?

पिछले हफ्ते मैं करीब करीब हताश हो गई अजीबोगरीब प्रलय वाली कहानियां पढ़कर. और ना ही मैं उत्साह से उछल जाती हूं जब मैं फंडिंग की न्यूज पढ़ती हूं. मेरे लिए, जैसा कि बहुत सारे आंत्रप्रेन्योर को लगता है कि, लंबे सफर में फंडिंग एक कदम है. मैं कोई विशेषज्ञ नहीं हूं लेकिन मैं मीडिया और बुलबुले थ्योरी के समर्थकों से पूछना चाहती हूं कि क्या हमारे सफर का उतार चढ़ाव प्राकृतिक हिस्सा नहीं? क्यों हम किसी को एक दिन में हीरो बना दें और फिर कुछ महीने बाद उसे उतार दें. यह प्रदर्शन मीट्रिक्स पर निर्भर नहीं बल्कि अक्सर अटकलें पर आधारित होता है.

मैं आंत्रप्रेन्योर से पूछती हूं,

‘जब हम पहले पन्ने पर आते हैं तो इतना गर्व क्यों महसूस करते हैं.’

पिछले कुछ सालों में, मैंने कई स्टार्ट अप्स हीरो को देखा है जिनके अंदर ऐसी भावना आ गई है, ‘मैं पहुंच चुका हूं’ क्योंकि उन्हें निरंतर मीडिया का ध्यान मिल रहा है. एक आंत्रप्रेन्योर जिनके पीछे मैं एक बयान लेने के लिए लगी थी, उन्होंने मुझसे कहा,

'मेरे पीछे टीवी चैनल्स पड़े हैं, मेरे पास उनके लिए समय नहीं है. जब मैं उनके लिए समय नहीं निकाल पा रहा हूं तो आपके लिए कैसे निकाल सकता हूं.'

यह लेख मीडिया के बारे में नहीं है क्योंकि मीडिया, मीडिया नहीं रहेगी अगर वह लार टपकाने वाली हेडलाइंस नहीं दे पाए समाचार को समाचार होने के लिए जायज ठहराना पड़ता है. उसे हमारा ध्यान खींचना पड़ता है. नहीं तो वह बोरिंग हो जाएगा. और वह हमारे समय के लिए नहीं होगा. इसका सामना करना होगा– हम ऐसी हेडलाइन को क्लिक करते हैं जिसमें मसालेदार स्टोरी होने की संभावना होती है, शायद हमारे सांसारिक अस्तित्व से दूर ले जाने वाली स्टोरी.

क्यों नहीं हम आंत्रप्रेन्योर्स पारिभाषित करते हैं, मुखर और जितना हो सके अपनी कहानी बताएं? समय की कमी? और शायद ये हो सकता है कि हमें लगता हो कि यह हमारे लिए यह सही समय नहीं है. कई लोगों को लगता है कि ऐसा करने के लिए पीआर या फिर किसी एक्सपर्ट स्टोरीटेलर की जरूरत होगी. अब समय आ गया है कि हमें अपनी कहानी का नियंत्रण खुद लेना होगा. कम से कम संभव सीमा तक. और हम जब तक इस विषय पर हैं. क्यों इतना महत्वपूर्ण है कि हमें मीडिया द्वारा नियमित रूप से सुना जाए? क्यों आपको लगातार खबरों में रहने की जरूरत है. वास्तव में, अगर आपको ज्यादा कवरेज मिल रही है तो आपको परेशान होने की जरूरत है. क्यों नहीं आप खुद अपनी मीडिया बनाए जो हर जगह मौजूद है सोशल मीडिया के रूप में. यहां पर मैं पेपरटैप की कहानी का जिक्र करूंगी. मीडिया में पेपरटैप के बंद होने की खबरों पर संस्थापक नवनीत सिंह बौखलाए नहीं बल्कि नवनीत ने अपनी कहानी बताई और अपने शब्दों में. कोई भी अटकलों पर विराम नहीं लगा सकता. लेकिन उन्होंने मोर्चा संभाला और अपने हिस्से की कहानी बता डाली. वे जो कहना चाहते थे दिल से कह डाला और सबने नवनीत को साफ साफ सुना. कई आंत्रप्रेन्योर मुझसे कहते हैं, 

"मैं अगला यूनिकॉर्न होने वाला हूं और मैं हेडलाइन बनूंगा जिसका पीछा तुम करोगे"

मुझे उनका आत्मविश्वास अच्छा लगता है लेकिन अंदर ही अंदर डर भी लगता है कि भगवान न करे कि अगर वे हेडलाइन नहीं बन पाए तो उन्हें अंधकार और अकेलेपन को झेलने के लिए भी तैयार रहना चाहिए.

और जब मैं यह लिख रही हूं, तब मैं यह दोबारा सीखूंगी कि खबर, काम और जिंदगी में संतुलन बनाए रखने के क्या मायने होते हैं. और हम सबके लिए, मैं यह कहना चाहूंगी कि चलिए हम खुद अपनी हेडलाइन लिखें और खुद अपनी स्टार्टअप की कहानी लिखें.

(यह लेख मूलत: अंग्रेजी में योर स्टोरी की संस्थापिका और एडिटर इन चीफ श्रद्धा शर्मा ने लिखा है जिसका अनुवाद एस इब्राहिम ने किया है।)


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