ग्रामीण भारत के 44 प्रतिशत युवा बनना चाहते हैं ऑन्त्रप्रेन्योर: सर्वे
इस सर्वे का मकसद उन्हें ऑन अकाउंट एंटरप्राइजेज को बढ़ावा देने की राह में चुनौतियों और अवसरों के बारे में बेहतर तरीके से समझाना, उद्यमिता के बारे में युवा ग्रामीण उद्यमियों की प्रवृत्ति अपने स्वयं के व्यवसाय चलाने के लिए उनकी इच्छाओं को जानना था.
जहां 6.7 करोड़ युवा और कामकाजी आबादी के साथ भारत वर्ष 2025 तक 5 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की राह पर तेजी से बढ़ रहा है, और उद्यमिता पहली पसंद बनकर उभर रही है, वहीं इस तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में योगदान देने और इससे लाभान्वित होने की व्यापक संभावना है.
डेवलपमेंट इंटेलीजेंस यूनिट (Development Intelligence Unit - DIU) ने डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स (Development Alternatives) की भागीदारी में पूरे भारत में ‘इनसाइट्स इनटू रूरल ऑन्त्रप्रेन्योरशिप’ (Insights into Rural Entrepreneurship) टाइटल से सर्वे कराया जिसमें 2,041 ग्रामीण व्यवसायों और 16-19 उम्र वर्ग के 1,906 युवा उद्यमियों को शामिल किया गया.
इस सर्वे का मकसद उन्हें ऑन अकाउंट एंटरप्राइजेज को बढ़ावा देने की राह में चुनौतियों और अवसरों के बारे में बेहतर तरीके से समझाना, उद्यमिता के बारे में युवा ग्रामीण उद्यमियों की प्रवृत्ति अपने स्वयं के व्यवसाय चलाने के लिए उनकी इच्छाओं को जानना था.
माइक्रो कैटेगरी में उद्यमों को विस्तृत परिभाषा की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था में उनके योगदान के बावजूद नीतिगत ढांचे में अक्सर पहचान नहीं मिल पाती है, जिससे दूरदराज के इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे स्तर के उद्यमों की जरूरतों को अनदेखा कर दिया जाता है. संपूर्ण जीडीपी में एमएसएमई का करीब 30 प्रतिशत योगदान है और उन्हें प्रत्येक पांच में से चार नई नौकरियां देने का श्रेय जाता है.

Development Alternatives Group Survey
देश में उद्यमिता की संस्कृति हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी है. आम धारणा यह है कि इसका व्यापक असर सिर्फ हर दिन तेजी से उभर रहे स्टार्टअप की वजह से शहरी इलाकों में ही दिख रहा है, हालांकि यह स्पष्ट है कि उद्यमिता की लहर ग्रामीण भारत से दूर है. मौजूदा समय में, ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी प्रवासी उच्च शिक्षा, मोबाइल और डिजिटल पहुंच की मदद से पहले की तुलना में ज्यादा युवा, आकांक्षी और सक्षम हैं. सर्वे के बेहद महत्वपूर्ण निष्कर्षों में से एक यह था कि युवाओं द्वारा अपने स्वयं के व्यवसाय स्थापित करने के प्रति दिलचस्पी दिखाई गई.

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उद्यमशीलता के प्रति युवाओं के इस उत्साह ने एक इकोसिस्टम के विकास को बढ़ावा दिया है. इस संदर्भ में, सर्वे में ग्रामीण उद्यमिता में आए बदलावों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर भी प्रकाश डाला गया. सर्वे के मुख्य निष्कर्ष निम्नलिखित हैंः
1. उद्यमी आकांक्षाएंः 44 प्रतिशत युवा भविष्य में उद्यमी बनना चाहते हैं और अपने स्वयं के व्यवसाय चलाना चाहते हैं. इस तरह की दिलचस्पी महिलाओं (38 प्रतिशत) के मुकाबले पुरुषों (47 प्रतिशत) में ज्यादा देखी गई.
2. व्यवहार में बदलावः प्रत्येक 10 ग्रामीण व्यवसायों में से करीब 9 नए जमाने के उद्यम हैं जिससे जोखिम लेने की क्षमता में वृद्धि का पता चलता है.
3. रोजगार सृजनः करीब आधी नियुक्तियां खासकर समान गांव के अंदर से होती हैं, जबकि 20 प्रतिशत व्यवसायों ने गांव के बाहर से नियुक्तियां की और 33 प्रतिशत नियुक्तियां गांव के अंदर और बाहर से, दोनों तरह से की गईं.
4. सहायक सेवाओं तक पहुंचः सिर्फ 11 प्रतिशत ग्रामीण व्यवसायों की किसी तकनीकी सेवा तक पहुंच थी, और 13.4 प्रतिशत की मार्केटिंग सेवाओं तक पहुंच थी.
5. फाइनेंस तक पहुंचः 40 प्रतिशत व्यवसायों ने अपने उद्यम के विकास में वित्तीय समर्थन के अभाव को बाधक बताया. प्रत्येक 4 में से 1 व्यवसायी को मार्केटिंग संबंधित सहायता मिली और उनका कहना है कि इसके अभाव में उनके व्यवसाय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.
प्रत्येक 6 में से 1 उद्यमी सरकारी योजनाओं तक पहुंच बनाना चाहता है, जिससे उनकी पूंजी निवेश जरूरतों के साथ साथ मार्केटिंग जरूरत भी पूरी हो सके.
सर्वे की रिपोर्ट 24 नवंबर को JobsWeMake 2022 में औपचारिक तौर पर जारी की गई थी. जॉब्सवीमैक 2022 को डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स और ‘ला कैक्सा’ (la Caixa) फाउंडेशन द्वारा सामूहिक तौर पर पेश किया गया था.

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डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स में लीड, ग्रीन एवं इनक्लूसिव ऑन्त्रप्रेन्योरशिप तथा एवीपी कनिका वर्मा ने इस रिपोर्ट के बारे में कहा, "सर्वे में उद्यमिता के प्रति युवाओं की उभरती इच्छाओं को पेश किया गया है. सर्वे के आंकड़े से एक ऐसा अनुकूल इकोसिस्टम तैयार करने की जरूरत का पता चलता है जो स्थानीय अवसरों से जुड़ा हुआ हो. ऐसे रास्ते बनाने और सहयोग की राह पर आगे बढ़ने के प्रयास जरूरी हैं जिससे कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ समझे जाने वाले छोटे उद्यमों के निर्माण में मदद मिल सके. ग्रामीण उद्यमिता में ऐसे प्रयास इस विजन को आगे बढ़ाने के लिए आधार साबित हो सकते हैं."
जैसा कि नैशनल यूथ पॉलिसी का मसौदा तैयार किया जा रहा है, जिसके तहत उद्यमिता 11 प्राथमिक क्षेत्रों में से एक है, सहयोगात्मक कार्य के लिए मांग मजबूत है और भारत को उद्यमी भारत बनाने की राह प्रशस्त करना मूल उद्देश्य होगा.
डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स का दावा है कि यह सतत विकास की दिशा में कार्यरत दुनिया का पहला सामाजिक उद्यम है. यह सामाजिक रूप से न्यायसंगत, पर्यावरण की दृष्टि से स्वस्थ और आर्थिक रूप से मापनीय विकास परिणामों को वितरित करने का प्रयास करने वाला एक शोध और कार्य संगठन है.