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आईटी की नौकरी छोड़ संगीत की सेवा करने निकला यह शख़्स, बाथरूम सिंगर्स को देता है प्रोफ़ेशनल ट्रेनिंग

यदि आप भी हैं बाथरूम सिंगर, तो ज़रूर जुड़ें इस शख़्स से...

आईटी की नौकरी छोड़ संगीत की सेवा करने निकला यह शख़्स, बाथरूम सिंगर्स को देता है प्रोफ़ेशनल ट्रेनिंग

Tuesday April 10, 2018 , 6 min Read

आज हम आपको एक ऐसे ही शख़्स की कहानी बता जा रहे हैं, जिसने मौसिक़ी के प्रति अपनी बेशुमार मोहब्बत को अंजाम देने के लिए आईटी सेक्टर में एक अच्छी सैलरी वाली नौकरी छोड़ दी। इन जनाब का नाम है, सुनील कोशी।

सुनील कोशी (दाहिने)

सुनील कोशी (दाहिने)


सुनील बताते हैं कि नौकरी छोड़ने के बाद जब वह संगीत सीखने चेन्नई चले गए, तब उनके ऊपर दो चीज़ों का दबाव था। एक तो यह कि ब्रेक की वजह से उनका करियर ग्राफ़ बिगड़ रहा था और दूसरा यह कि अचानक से उनकी आय बंद हो गई थी।

आप ऐसे कितने लोगों को जानते हैं, जिन्होंने अपने पैशन और शौक़ को पूरा करने के लिए एक अच्छी कमाई वाली नौकरी छोड़ दी हो? याद करने में थोड़ा वक़्त लगेगा, क्योंकि ऐसे लोगों की संख्या बेहद कम होती है, जो परंपरागत रवैयों से ऊपर उठकर सिर्फ़ दिल की आवाज़ सुनते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही शख़्स की कहानी बता जा रहे हैं, जिसने मौसिक़ी के प्रति अपनी बेशुमार मोहब्बत को अंजाम देने के लिए आईटी सेक्टर में एक अच्छी सैलरी वाली नौकरी छोड़ दी। इन जनाब का नाम है, सुनील कोशी।

सुनील बताते हैं कि फ़ुल-टाइम जॉब के चलते वह म्यूज़िक को न के बराबर समय दे पा रहे थे। उन्होंने बताया कि वह सुबह के वक़्त अपने गुरु के पास जाते थे और उसके बाद नौकरी। नौकरी से देर रात घर आने के बाद वह बेहद थक जाते थे और उन्हें प्रैक्टिस या रियाज़ का समय ही नहीं मिल पाता था। यह बाद अंदर ही अंदर सुनील को परेशान करती थी कि वह संगीत को मनचाहा वक़्त और तवज्जो नहीं दे पा रहे हैं। इस वजह से उन्होंने नौकरी छोड़ने का फ़ैसला लिया। उन्होंने तय किया कि वह चेन्नई के गुरुकल में जाकर संगीत की विधिवत शिक्षा लेंगे। सुनील बताते हैं कि जब उन्होंने ऑफ़िस में नौकरी छोड़ने की जानकारी दी तो सभी को बहुत आश्चर्य हुआ। इस संबंध में सुनील कहते हैं कि उनके दिमाग़ में एक ही बात चल रही थी कि 10 साल बाद उन्हें इस बात का मलाल नहीं होना चाहिए कि वह जो करना चाहते थे, वह नहीं कर सके।

सुनील पर था दोहरा दबाव

सुनील बताते हैं कि नौकरी छोड़ने के बाद जब वह संगीत सीखने चेन्नई चले गए, तब उनके ऊपर दो चीज़ों का दबाव था। एक तो यह कि ब्रेक की वजह से उनका करियर ग्राफ़ बिगड़ रहा था और दूसरा यह कि अचानक से उनकी आय बंद हो गई थी। उन्होंने अपनी ट्रेनिंग पूरी की और फिर से नौकरी करने लगे। नौकरी और शौक़ के बनते-बिगड़ते तालमेल का यह सिलसिला, अगले 7 सालों तक और चला। इसके बाद सुनील की ज़िंदगी में एक दिलचस्प मोड़ आया। उनकी शादी हो गई। शादी के 50वें दिन पर उन्होंने अपनी पत्नी अर्चना हलीकेरी के साथ मिलकर 'फ़्रॉम मग टू माइक' की शुरूआत की। बेशुमार सहयोग के लिए सुनील अपनी पत्नी को ख़ास धन्यवाद देते हैं।

सोच से बनी मुहिम

सुनील मानते हैं कि अधिकतर लोगों को बाथरूम में गाना पसंद होता है, लेकिन वे लोगों के सामने आकर गाने में झिझकते हैं। ये लोग अक्सर घरों में हाथ में हेयरब्रश या कॉफ़ी मग आदि लेकर अकेले में गाना गाते हैं और यह ख़्वाहिश रखते हैं कि वह कभी इससे बेहतर गा सकें। सुनील का वेंचर, ऐसे लोगों की ही मदद करता है। ख़ास बात यह है कि 'फ़्रॉम मग टू माइक' से जुड़ने के लिए आप किस क्षेत्र या उम्र के हैं या फिर आपका म्यूज़िकल बैकग्राउंड रहा है या नहीं, ये सभी बातें मायने नहीं रखतीं। जो संगीत सीखना चाहता है, सुनील उसका स्वागत करते हैं। सुनील कहते हैं कि उन्हें हमेशा लगता था कि जिस संघर्ष का अनुभव उन्हें संगीत सीखने के दौरान करना पड़ा, उससे कई लोग प्रभावित हो सकते हैं और उसका फ़ायदा उठा सकते हैं।

उदित नारायण के साथ सुनील कोशी

उदित नारायण के साथ सुनील कोशी


अपनी शुरूआत के बारे में बताते हुए सुनील कहते हैं कि उन्होंने सोचा था कि दो वर्कशॉप्स के साथ शुरूआत की जाएगी और इसके बाद लोगों की प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए आगे का रास्ता तय किया जाएगा। सुनील ने कहा कि शुरूआत में उन्हें 500 लोगों का साथ मिला और फिर आगे का रास्ता आसान होता गया।

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प्रोफ़ेशनल स्टूडियो में होता है टेस्ट

प्रतिभागियों को रिकॉर्डिंग स्टूडियो में गाने का मौका मिलता है और इस दौरान साउंड इंजीनियर्स आदि का पूरा सहयोग भी दिया जाता है। पोस्ट-रिकॉर्डिंग सेशन में प्रतिभागियों को उनकी अच्छाई और कमियां, दोनों ही बताई जाती हैं। उन्हें सिखाया जाता है कि वे अपनी गायकी में कैसे सुधार कर सकते हैं। इसके बाद आगे की ट्रेनिंग शुरू होती है। 'फ़्रॉम मग टू माइक', प्रशिक्षण के साथ समय-समय पर वर्कशॉप्स आदि का आयोजन भी कराता है। अभी तक बेंगलुरु, मुंबई, चेन्नई, तिरुवनंतपुरम, कोच्चि और यूएई में वर्कशॉप्स आयोजित कराई जा चुकी हैं। फ़ंडिंग के बारे में चर्चा करते हुए सुनील ने बताया कि उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर सेविंग के पैसों से ही इस वेंचर की शुरूआत की। सुनील ने बताया कि धीरे-धीरे उन्होंने बड़े सिंगर्स और म्यूज़िक कॉलेजों के साथ संपर्क बनाना शुरू किया।

मक़ाम, जो हासिल होते गए

'फ़्रॉम मग टू माइक' को इस साल अप्रैल में 5 साल पूरे हो चुके हैं। अभी तक इसके माध्यम से 6 हज़ार बाथरूम सिंगर्स को प्रशिक्षण मिल चुका है और 350 से ज़्यादा वर्कशॉप्स का आयोजन हो चुका है। आपको बता दें कि इसकी शुरूआत चेन्नई में एक किराए की स्टूडियो से हुई थी, जिसकी मालकिन मशहूर सिंगर के. एस. चित्रा हैं। यहीं पर सुनील ने पहली वर्कशॉप आयोजित कराई थी। इसके बाद कारवां बढ़ता गया और लोग जुड़ते गए। सुनील ने हरिहरन और कुमार सानू जैसे दिग्गजों के साथ भी करार कर रखा है। इतना ही नहीं, सुनील ने इंजीनियर से संगीतकार बनने की अपनी कहानी पर एक फ़िल्म भी बनाई है, रीबूट। सुनील का दावा है कि यह भारत की पहली ऑडियो फ़िल्म है।

सुनील ने इंडस्ट्री में अच्छा नाम भी कमा लिया है। अगस्त 2013 में उन्हें कन्नड़ अंतरराष्ट्रीय म्यूज़िक अवॉर्ड्स की नॉन-फ़िल्म कैटेगरी में बेस्ट मेल सिंगर का अवॉर्ड मिला था। उन्होंने हाल ही में सिंगर चित्रा के साथ एक डुएट भी गाया है। उन्होंने एक कन्नड़ फ़िल्म का म्यूज़िक भी दिया है और उनकी दूसरी फ़िल्म पूरी होने को है।

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