श्रवनी ने चमकाईं कॉरपोरेट ऑफिसों की दीवारें, देती हैं कलाकृतियां किराए पर।
- कला के माध्यम से कॉरपोरेट ऑफिसों को बनाया खूबसूरत।- अपनी कंपनी 'आर्ट एन्थ्यूज ' के माध्यम से कॉरपोरेट ऑफिसेज को कलाकृतियां किराए पर उपलब्ध कराती हैं।- कला संबंधी दो स्टार्टअप की संस्थापक हैं श्रवनी।- सन 2012 में रखी ई-कॉमर्स पोटल 'आर्टडीज़न ' की नीव। रखी।- जनवरी 2015 में 'आर्ट एन्थ्यूज़ ' की नीव रखी और शुरु किया कलाकृतियों को किराए पर देना।
जिंदगी काफी तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है। साथ ही लोगों में ज्यादा पैसे कमाने की ऐसी होड़ है कि इस होड़ में उन्होंने अपने शरीर को पैसे कमाने की मशीन और जिंदगी को तेज रफ्तार दौड़ती गाड़ी बना दिया है जो बस लगातार चलती जा रही है। इस होड में इंसान अपने लिए अपने शौक के लिए समय ही नहीं दे पा रहा है। यह आज का कॉरपोरेट कल्चर है जो लोगों पर हावी है। इसके बावजूद लोग कॉरपोरेट सेक्टर में नौकरी करना अपनी शान समझते हैं। लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि जहां कॉरपोरेट सेक्टर लोगों को एक अच्छा कैरियर विकल्प दे रहा है। लोग खूब पैसा कमा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ लोगों की जिंदगी थोड़ी कष्टदायी भी हो रही है।
ऐसे में कला ही वह माध्यम है जो लोगों को सुकून और शांति देता है। इसलिए कई कॉरपोरेट सेक्टर अपने ऑफिसों को इस तरह सजा रहे हैं ताकि वहां काम करने वाले उनके कर्मचारी सुकून महसूस कर सकें। कला के माध्यम से रुटीन वर्क के दौरान आ रही नीरसता को कम किया जा सकता है। ऐसे कई लोग हैं जो कला प्रेमी तो हैं लेकिन व्यस्तता के कारण कला प्रदर्शनों को देखने नहीं जा पाते। ऐसे में श्रवनी वटी अपनी कंपनी 'आर्ट एन्थ्यूजÓ के माध्यम से कॉरपोरेट ऑफिसेज को कलाकृतियां किराए पर उपलब्ध कराती हैं।
श्रवनी कॉरपोरेट ऑफिसेज में जाकर यह जानने की कोशिश करती हैं कि वहां के लोगों को किस तरह की कला पसंद है। उन्हीं के टेस्ट को ध्यान में रखते हुए वे पेंटिज्स एवं मूर्तियां ऑफिस को उपलब्ध कराती हैं। इन कलाकृतियों को कहां लगाया जाए इसका चुनाव भी वे खुद ही करती हैं। कहां पेंटिंग लगेगी और कहां मूर्ति रखी जानी चाहिए आदि के विषय में भी वह सुझाव देती हैं।
श्रवनी ने बिट्स पिलानी से इंजीनियरिंग की। इंटर्नशिप के दौरान उन्होंने एक आर्ट फर्म में नौकरी की। इस दौरान श्रवनी ने लगभग दो सौ कलाकारों की कला को करीब से देखा और उन्होंने महसूस किया कि वे भी इस क्षेत्र में कुछ नया कर सकती हैं। यह लगभग पांच साल पहले की बात है और आज श्रवनी दो आर्ट संबंधी स्टार्टअप की संस्थापक हैं। यह दोनों कंपनियां पूना में स्थापित हैं।
सन 2012 में स्नातक करने के बाद श्रवनी ने 'आर्टडीज़न ' की नीव रखी। यह एक ई-कॉमर्स पोटल है जो कलाकृतियों को बेचने का काम करता है। श्रवनी बताती हैं कि हर व्यक्ति का कला के प्रति एक अलग तरह का टेस्ट होता है जिस कारण इस क्षेत्र में कलाकारों के लिए बहुत संभावनाएं हैं। इनकी वेबसाइट में छह सौ कलाकारों का पोर्टफोलियो है। जिनके काम ऑनलाइन उपलब्ध हैं।
पिछले तीन सालों में उन्होंने लगभग सौ पेंटिंज्स बेची हैं। जिनकी कीमत औसतन डेढ़ लाख रुपए है। इस दौरान श्रवनी ने काफी लोगों से बातचीत की, उन्होंने देखा कि लोगों को कलाकृतियां तो पसंद आती हैं लेकिन वे उसे खरीदने में बहुत ज्यादा पैसा खर्च नहीं करना चाहते। कॉरपोरेट्स में भी कई लोग अपने ऑफिसेज में कलाकृतियां लगाकर एक अच्छा सुकून देने वाला माहौल बनाना चाहते थे लेकिन इन आर्ट पीसेज की कीमत की वजह से वे ऐसा नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में श्रवनी ने सोचा क्यों न वे ऑफिसेज को किराए पर कलाकृतियों उपलब्ध कराए। उसके बाद उन्होंने जनवरी 2015 में 'आर्ट एन्थ्यूज़Ó की नीव रखी। शुरुआत में उन्हें काफी दिक्कत आई चूंकि कलाकार अपने काम को किराए पर देने के लिए तैयार नहीं थे। लेकिन जैसे ही गणेश पांडा जैसे कलाकार श्रवनी के साथ जुड़े उसके बाद धीरे-धीरे कई और कलाकार भी श्रवनी से जुडऩे लगे। श्रवनी के लिए यह आसान नहीं था कि वे बड़े कलाकारों को अपने साथ जोड़े उन्हें इस काम के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी और कलाकारों को यह समझाना पड़ा कि बड़ी कला प्रदर्शनियों से उन्हें इतना लाभ नहीं होगा जितना अपनी पेंटिंज्स को किराए पर देकर होगा। साथ ही ऐसा करने से ज्यादा से ज्यादा लोग उनकी कलाकृतियों को देख सकेंगे। इससे कलाकार के नाम के साथ-साथ काम का भी प्रचार होगा।
आज आर्ट एन्थ्यूज़ के माध्यम से देश भर के लगभग दो सौ ऑफिसों में कई कलाकारों की कलाकृतियां लगी हुई हैं। जिससे कंपनी प्रतिमाह दो से तीन लाख रुपए कमा रही है। श्रवनी बताती हैं कि कई बार ऐसा भी होता है कि कंपनियां अपने यहां लगी कलाकृतियों को खरीद भी लेती हैं।
भारत में कला प्रेमियों की संख्या बहुत ज्यादा है और इस दिशा में जितना काम होना चाहिए उतना नहीं हो पा रहा है। इसलिए इस क्षेत्र में अभी बहुत कुछ नया किया जा सकता है। यह क्षेत्र अपार संभावनाओं वाला क्षेत्र है।