'स्वच्छ भारत' के लिए स्कूली छात्रों का गंदगी के खिलाफ नया हथियार, “द बैग इट चैलेंज”
स्कूली छात्र की स्वच्छ भारत के लिए कोशिश....
गंदगी के खिलाफ नया हथियार “द बैग इट चैलेंज”....
स्कूली छात्रों को सफाई के प्रति करता है उत्साहित...
देशभर के 15 सौ स्कूलों को शामिल करने की योजना...
स्वच्छता के प्रति स्कूलों को आपस में जोड़ने का एक अनोखा अभियान शुरू किया है, दिल्ली से लगे इंदिरापुरम डीपीएस के छात्र अक्षत प्रकाश ने। अपने इस अभियान को उन्होने नाम दिया है “द बैग इट चैलेंज”। इस अभियान के तहत स्कूल के छात्र किसी खास जगह का चयन करते हैं, उस जगह को साफ करते हैं, कूड़े को बैगों में भरते हैं और तीन दूसरे स्कूलों को सफाई के साथ इस बात का चैलेंज देते हैं कि वो उनसे ज्यादा गंदगी को बैगों में भरें।
अक्षत ने इस अभियान की प्रेरणा ‘एएलसी द आइस बैकेट चैलेंज’ से ली, जो पिछले साल इंटरनेट में काफी वाइरल हुआ था। उसमें चैलेंज पूरा करने वाला व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को नॉमिनेट करता था। अक्षत का कहना है कि हर रोज जब वो स्कूल से अपने घर जाते हैं तो रास्ते में हिंडन नदी पड़ती है। जो काफी मैली हो गई है और गंदगी का ढेर लगनी लगी है। उनका कहना है कि “मुझे ये नजारा देखकर बुरा लगता था कि किस तरह हमारी नदियां प्रदूषित हो रही हैं।” तभी प्रधानमंत्री मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत की। तब अक्षत ने सोचा कि ये हमारे समाज में बड़ी समस्या है। जिसके बाद अक्षत को आइडिया आया कि क्यों ना सफाई अभियान को इस तरह के चैलेंज से जोड़ दिया जाये।
अक्षत प्रकाश ने अपने इस अभियान की शुरूआत सबसे पहले अपने स्कूल से की और आज 18 स्कूल “द बैग इट चैलेंज” को पूरा कर चुके हैं। इन स्कूलों में डीपीएस स्कूल इंदिरापुरम तो है ही साथ ही कैम्ब्रिज स्कूल, जयपुरिया स्कूल और कई दूसरे स्कूल भी शामिल हैं। अपने अभियान के बारे में अक्षत का कहना है कि इसके तहत स्कूल के छात्र अपने आसपास के एक इलाके का चयन करते हैं और उसे साफ करते हैं। इतना ही नहीं सफाई को लेकर स्कूलों के बीच मुकाबला हो, इसके लिए “द बैग इट चैलेंज” के तहत स्कूल के छात्र ना सिर्फ दूसरे स्कूल को सफाई का चैलेंज देते हैं बल्कि उनको इस बात की भी चुनौती देते हैं कि उन्होने जितने बैगों में कूड़ा भरा वो उससे अधिक बैगों में कूड़ा भरें। इससे दूसरे स्कूलों के सामने मुख्य चुनौती ज्यादा से ज्यादा गंदगी को साफ करने की हो जाती है।
“द बैग इट चैलेंज” के आइडिया पर काम अक्षत ने ग्यारवीं क्लास में ही शुरू कर दिया था। जिसके बाद उन्होने अपना ये आइडिया केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति इरानी के सामने रखा। तब उन्होने अक्षत को इस काम के लिए प्रोत्साहित किया। जिसके बाद अक्षत को अपने इस आइडिया पर भरोसा हो गया। इसके अलावा अक्षत के स्कूल की प्रिंसिपल ने भी उनका काफी उत्साह बढ़ाया और हर स्तर पर मदद भी की। अक्षत के मुताबिक “हमारी प्रिसिंपल ने हर मौके पर ना सिर्फ हमारा समर्थन किया बल्कि इस काम को लेकर हमारा आत्मविश्वास भी बढ़ाया है। हालांकि शुरूआत में कुछ लोगों को हम पर विश्वास नहीं था कि हम ये काम कर भी पाएंगे, लेकिन हमारी प्रिसिंपल ने हम पर विश्वास जताया। इस कारण हम इस तरह का अभियान शुरू कर पाए।”
आज अक्षत का ये अभियान इंदिरा पुरम, जयपुरिया मार्केट और दूसरी कई जगहों की सफाई कर चुका है जबकि कई ऐसी जगह हैं जहां पर उनका ये अभियान चल रहा है। अक्षत बताते हैं कि उनके इस अभियान में डीपीएस नेटवर्क के काफी स्कूल जुड़ रहे हैं। इसी के तहत हाल ही में डीपीएस कल्याणपुर ने उनके चैलेंज को स्वीकार किया है। अक्षत का मानना है कि “अगर एक स्कूल तीन और स्कूलों को सफाई की चुनौती देता है तो उससे हम ज्यादा से ज्यादा स्कूलों तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं। यही वजह है कि 18 स्कूलों ने इस चैलेंज को पूरा किया है।”
अक्षत अपने इस अभियान का आइडिया स्वच्छ भारत अभियान के निदेशक के सामने भी पेश कर चुके हैं जिसे उन्होने काफी पसंद किया है। इसके अलावा शहरी विकास मंत्रालय ने उनको एक पत्र सौंपा है जिसमें उन्होने mygov.in पोर्टल से इस अभियान को जोड़ने की बात कही है। इसके अलावा शहरी विकास मंत्रालय ने उनको आश्वासन दिया है कि जो भी स्कूल “किंग बैगर्स अवार्ड” को जीतेगा उसे विभाग की ओर से सम्मानित किया जाएगा। फिलहाल “द बैग इट चैलेंज” के तहत देश भर के कम से कम 15 सौ स्कूलों को शामिल करने की है। इनमें कई सारे सरकारी स्कूल भी शामिल हैं। आज अक्षत और इनकी टीम किसी भी सफाई अभियान की सारी जानकारी रखती है। इसमें किस स्कूल ने कितने बैग कूड़ा इकट्ठा किया, कूड़ उठाने के दौरान उनकी फोटो और वीडियो भी बनाई जाती है साथ ही अगले तीन स्कूल का हिसाब किताब भी रखा जाता है। अक्षत ने अपने इस इस अभियान को सफल बनाने के लिए वेबसाइट और फेसबुक पेज भी बनाया है। ताकि जो स्कूल इस अभियान में शामिल होना चाहते हैं उनको वहां से तमाम जानकारी हासिल हो सके। बारहवीं क्लास में पढ़ने वाले अक्षत मानते हैं कि उनके इस अभियान का उनकी पढ़ाई पर असर नहीं पड़ता है क्योंकि वो पढ़ाई से इस काम के लिए वक्त निकाल ही लेते हैं।
Website : www.thebagitchallenge.org