उम्र के 50वें पड़ाव में आकर जिंदगी कैसी हो जाती है, बता रही हैं सुधा मेनन
अपनी नई किताब, 'फीस्टी एट 50 - हाउ आई स्टे फैब्युलेस इन फिफ्टी-प्लस' (Feisty at 50 – How I Stay Fabulous at Fifty-Plus) में, लेखिका सुधा मेनन बता रही हैं कि कैसे 50 की उम्र के बाद उनके जीवन और रिश्तों ने एक नया मोड़ लिया।
सुधा मेनन ने बताया कि उन्होंने ये किताब लिखना क्यों चुना, क्यों उम्रवाद महिलाओं को उन चीजों को करने से रोकता है जो उनका शरीर करना चाहता है, शरीर बुजुर्ग महिलाओं को शर्मिंदा करता है और 50 के बाद जिंदगी आपको क्या सिखाती है।
जब आप 40 साल के हो जाते हैं तब भी लोग जोर देते हैं कि अभी तो 30 ही साल की उम्र हुई है और अभी तो आपके बाल झड़ने और पार्टी करने का समय है, और उम्र तो सिर्फ एक नंबर है। मैं जल्द ही 45 साल की हो जाऊंगी, लेकिन मैं 30 साल की तुलना में पीरियड्स या अन्य शारीरिक कमजोरियों की परवाह किए बगैर अभी अधिक उत्साही महसूस करती हूं। पिछले महीने आयोजित बैंगलोर लिटफेस्ट में प्रसिद्ध लेखिका शोभा डे ने अपनी किताब, सवेन्टी एंड टू हेल विद इट! लॉन्च की, उनकी किताब के अलावा उनको सुनते समय मेरी आंखे टकटकी लगाए उन्हें ही देख रहीं थी। और अब, एक और लोकप्रिय लेखिका सुधा मेनन ने एक किताब लिखी है: फीस्टी एट 50 - हाव आई स्टे फैबुलस एट फिफ्टी-प्लस। जब ये किताब आई तो मैं जानने के लिए उत्सुक थी कि यह किताब किसके बारे में है।
किताब ज्यादा लंबी नहीं है इसे आराम से पढ़ा जा सकता है। ये एक ऐसा संस्मरण है जो लेखिका के जीवन के एक पहलू से दूसरी तरफ जाता है -अपनी मां के साथ रिश्ते बनाने से लेकर सैलून, फैंसी लेडीज इनरवेअर खरीदने, बेडरूम के किस्से, घूमने की कला, कम होती यादाश्त, और 50 के बाद जीवन के कई खुलासे शामिल हैं। किताब में मुख्य रूप से उनके पति हैस्लेड हैरी और उनकी बेटी द फ्लडलिंग है। किताब में छोटी-छोटी घटना के विवरण को बहुत ही मजेदार कटाक्ष और सरकाजम के साथ मसालेदार बनाया गया है।
HerStory के साथ फेसबुक लाइव में, सुधा मेनन ने बताया कि उन्होंने ये किताब लिखना क्यों चुना, क्यों उम्रवाद महिलाओं को उन चीजों को करने से रोकता है जो उनका शरीर करना चाहता है, शरीर बुजुर्ग महिलाओं को शर्मिंदा करता है और 50 के बाद जिंदगी आपको क्या सिखाती है।
ये रहे सुधा मेनन के साथ वार्तालाप से कुछ संपादित अंश:
महिलाओं में "उम्र बढ़ना" इस नैरेटिव को भले ही आप पसंद करते हों या न करते हों, लेकिन निश्चित रूप से ये पहलू हम सबकी लाइफ में जरूर आता है। इसके बहुत सूक्ष्म संकेत होते हैं जैसे- "धीमा हो जाना" (जैसे कि आप बस हैं और किसी गलत लेन में घुस गए हैं), "पेस्टल शेड्स पहनना"......जैसी एक लंबी लिस्ट है जो कभी खत्म नही होगी।
सुधा मेनन कहती हैं, "लगातार इस तरह की बातें होती हैं जिनसे मैं बचती रहती हूं कि मुझे इतना कठिन काम क्यों बंद कर देना चाहिए, मुझे मेरे बालों को रंगना बंद करना चाहिए, केवल पेस्टल रंगों को पहनना चाहिए, और भी तमाम तरह की बातें होती थीं। जैसा कि अब, मैं 50 वर्ष की हूं, मेरी मानसिकता बदल रही थी और मेरा शरीर भी। यही कारण है कि मैंने ये संदेश देने का फैसला किया कि 50 का दशक केवल आपके जीवन के सबसे बड़े साहस की शुरुआत है, और मैं इस पुस्तक के माध्यम से अपने जीवन को जरिया बनाकर ये साबित करने जा रही हूं।" सुधा आगे कहती हैं, "यह मुझे इतना गुस्सा दिलाता है कि एक 40 साल की महिला को बूढ़ा कहा जाता है। एक दिन किसी ने मुझे बताया कि फिफ्टी तो नया थर्टी है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं दोबारा 30 साल की बनना नहीं चाहती हूं। 52 की उम्र में हूं, लेकिन मैंने कभी इतना विमुक्त, सशक्त और इतनी खुशी महसूस नहीं की है।"
जहां भारत काफी हद तक अपनी युवा आबादी का लाभ उठाता है, ऐसे में सुधा मेनन का मानना है कि हमें वृद्ध लोगों, महिलाओं को भी कुछ श्रेय देना होगा। वे कहती हैं, "याद रखें, युवा भी एक दिन बूढ़ा हो जाएगा। मुझे लगता है कि यह संदेश मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से काफी हद तक आता है कि जहां एक 50 वर्षीय किसी 20 वर्षीय से रोमांस करता हुआ दिखाया जाता है लेकिन इसके उल्टा कभी नहीं होता है। मैं एक मॉल में जाती हूं, मेरे पास खरीदने के लिए पैसा है लेकिन मुझे बताया जाता है कि 30 से ऊपर के साइज का जींस का कोई पेयर नहीं है। ये भी अपने आप में उम्रदराज महिलाओं के लिए बॉडी शेमिंग ही है।"
किताब की दिलचस्प बात यह है कि फीस्टी एट 50 में, सुधा विषय पर बात करती हैं जिस पर कुछ ही महिलाएं बोलने की इच्छुक होंगी - बेडरूम में रोमांस या उसकी कमी। ये सच है। 50 की उम्र में सेक्स वैसा नहीं रहता जैसा आप अपने 20 की उम्र में करते थे। लेकिन समस्या क्या है, 50 की उम्र में भी महिलाएं सेक्स करती हैं। सुधा हंसते हुए कहती हैं, "बेडरूम एक्शन में थोड़ी ठंडी आ सकती है, आपकी क्रियाएं धीमी हो जाती हैं लेकिन फिर, आप जानते हैं, धीमा और सीधा जाने वाला ही दौड़ जीतता है। इच्छा होती है, पर कभी-कभी शरीर इच्छाओं का साथ नहीं देता। लेकिन आपकी कामुकता ऐसी चीज है जिसे खत्म नहीं करना चाहिए।"
रिश्ते को समझना
सुधा मेनन के मुताबिक, 20 की उम्र, 30 और 40 की उम्र उनके सपने और महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की उम्र थी, और एक बार जब वे 50 वर्ष की हो गईं, तो उन्होंने बड़ी कहानियों और अखबारों में बाइलाइन के साथ लिखना शुरू कर दिया और रिश्तों को गले लगा लिया। सुधा कहती हैं, "जब मुझे पता चला कि मेरे पिता जी मर चुके हैं तो इस बात ने मुझे झकझोर के रख दिया कि मैंने अपनी पूरी लाइफ अपने सपनों को पूरा करने में लगा दी। जबकि मेरे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण चीजें पीछे छूट गईं। तब मैंने जाना कि जीवन दोस्ती और रिश्ते के बारे में है और अब मैं अपनी बेटी, मां और बहनों के साथ उन्हें खुश रखने में खुश हूं। मुझे लगता है कि हम यह भी महसूस करते हैं कि, 50 की उम्र में भी मनुष्य होना ही ठीक है; आपको हर समय सही नहीं होना चाहिए और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको मूर्खता से पीड़ित नहीं होना पड़ेगा।"
सभी के लिए महत्वपूर्ण संदेश
पचास का होने का मतलब ये नहीं है कि आपकी यात्रा खत्म हो गई। ये उसकी शुरुआत है जिससे आप खुद को खुश रखना चाहते हैं। सुधा मजबूती के साथ सलाह देते हुए कहती हैं, "मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूं कि कोई भी हो या कुछ भी हो उसे खुद को नीचे न ढकेलने दें। किसी को भी आपको ये न बताने दें कि आप ज्यादा अच्छे नहीं हैं, क्या उचित है क्या नहीं। हर दिन दिमागीपन के कुछ मिनटों का अभ्यास करें। आपके पास बैंक में बहुत सारे पैसे हो सकते हैं, लेकिन यह आपके जीवन में रिश्तों को रिप्लेस नहीं कर सकता है।"
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