मुफ्त सिलाई मशीन योजना ने नसीम जैसी महिलाएं को बनाया आत्म-निर्भर और खुशहाल
यह लेख छत्तीसगढ़ स्टोरी सीरीज़ का हिस्सा है...
नसीम हुसैन ने जिंदगी में बहुत तकलीफें झेली हैं। उन्होंने गरीबी को बहुत करीब से देखा है। उनकी हालत ये थी कि जब कभी उन्हें गरीबी के थपेड़ों की याद आती है उन्हें आँखों में आंसू आ जाते हैं।
उन्होंने सिलाई का काम सीखा हुआ था, इसी वजह से एक पुरानी सिलाई मशीन खरीदी और सिलाई का काम करने लगीं। लड़कियों और महिलाओं के लिए सलवार, कमीज, कुर्ता-कुर्ती, ब्लौज़ आदि सिलना शुरू किया।
छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में शहरी इलाके में रहने वालीं नसीम हुसैन ने जिंदगी में बहुत तकलीफें झेली हैं। उन्होंने गरीबी को बहुत करीब से देखा है। उनकी हालत ये थी कि जब कभी उन्हें गरीबी के थपेड़ों की याद आती है उन्हें आँखों में आंसू आ जाते हैं। नसीम हुसैन के पति बस ड्राइवर हैं और उन्हें बस चलाने के लिए दिन के 200 रुपये मिलते हैं। नसीम के तीन बच्चे हैं। एक समय ऐसा था जब घर-परिवार चलाना बहुत मुश्किल हो रहा था। पति की आमदनी से घर-परिवार की जरूरतें पूरी नहीं हो रही थीं। बच्चों की सही परवरिश और स्कूली शिक्षा के लिए नसीम ने दूसरों के घर-मकान में झाड़ू-पोछा लगाने का भी काम किया। ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थीं इस वजह से कहीं नौकरी मिलना भी मुश्किल था।
लेकिन नसीम ने कभी हिम्मत नहीं हारी, मेहनत नहीं छोड़ी। उन्होंने सिलाई का काम सीखा हुआ था, इसी वजह से एक पुरानी सिलाई मशीन खरीदी और सिलाई का काम करने लगीं। लड़कियों और महिलाओं के लिए सलवार, कमीज, कुर्ता-कुर्ती, ब्लौज़ आदि सिलना शुरू किया। इससे थोड़ी बहुत आमदनी होने लगी। उन्हें खुशी इस बात की भी थी कि काम सम्मानजनक है और दूसरे के यहाँ काम करने की जरूरत या मजबूरी भी नहीं है। घर की हालत थोड़ी सुधरी। इसी बीच उन्हें पता चला कि छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से महिलाओं को सिलाई की ट्रेनिंग दी जा रही है और वह भी निःशुल्क। नसीम ने भी सिलाई की ट्रेनिंग ली और उन्होंने ट्रेनिंग के दौरान अलग-अलग कपड़ों के सिलने ने नए-नए तरीके सीखे।
ट्रेनिंग के दौरान ही उन्हें बताया गया कि मुख्यमंत्री संगठित कर्मकार सहायता योजना के तहत उन्हें निःशुल्क सिलाई मशीन दी जाएगी। पहले तो नसीम को यकीन नहीं हुआ, लेकिन जब सरकार की ओर से उन्हें निःशुल्क नई सिलाई मशीन मिली तो उनकी खुशी की कोई सीमा न रही। इसके बाद नसीम ने सिलाई के काम को तेज़ी से आगे बढ़ाया, जिसकी वजह से उनकी आमदनी भी बढ़ी। जैसे-जैसे दिन बीतते गए, नसीम के हौसले बुलंद होते गए, उनका आत्म-विश्वास बढ़ता गया। नसीम ने आगे चलकर दूसरी औरतों को सिलाई की ट्रेनिंग भी देने शुरू की। एक-एक करके नयी सिलाई मशीनें भी खरीदीं और अब उनके पास पांच सिलाई मशीने हैं।
कुछ महिलाएं उनके पास सिलाई का काम करती हैं और कुछ सिलाई का काम सीखती हैं। नसीम को अब सिलाई की वजह से 10 हजार रूपये की आमदनी हो रही है। उनकी बड़ी लड़की कॉलेज में पढ़ती भी हैं और स्कूली बच्चों को पढ़ाती भी हैं। दोनों लड़के स्कूल में पढ़ रहे हैं। नसीम के जीवन में अब खुशियाँ है और तरक्की भी। परिवार भी खुश है। नसीम सरकार की तारीफ़ करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ती हैं। वे कहती हैं कि सरकार ने अगर उनकी मदद न ही होती तो परिवार गरीब भी रहता और बच्चे शायद अच्छी तालीम न ले पाते। बड़ी बात यह है कि नसीम जैसी कई महिलाओं को छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से मुफ्त सिलाई मशीन योजना के तहत सिलाई मशीन दी गयी है। इन्हीं सिलाई मशीनों पर कपड़े सिलते हुए कई महिलाएं अपनी जिंदगी को मजबूत और खुशहाल बनाने में जुटी हैं।
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