भारत और जर्मनी 1 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट पर साथ काम करेंगे

भारत और जर्मनी 1 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट पर साथ काम करेंगे

Friday October 14, 2016,

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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आज कहा कि भारत बंदरगाहों तक संपर्क उपलब्ध कराने के लिये एक लाख करोड़ रपये की परियोजनाओं समेत ढांचागत सुविधाओं के विस्तार के लिये जर्मनी के साथ संबंधों को मजबूत बनाने को तैयार है। जर्मनी के परिवहन मंत्री एलेक्जेंडर डोबरिंड्ट की अगुवाई में वहां से आए एक प्रतिनिधिमंडल ने गडकरी के साथ बुनियादी ढांचा विकास से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की।

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सड़क, परिवहन, राजमार्ग और पोत परिवहन मंत्री गडकरी ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘हमने एक लाख करोड़ रपये की इंडियन पोर्ट रेल कारपोरेशन लि. (आईपीआरसीएल) की परियोजनाओं समेत बुनियादी ढांचे के विकास में जर्मनी से सहयोग मांगा है। इसमें हमारे बंदरगाहों तक रेल संपर्क शामिल है।’’ उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष बंदरगाहों को रेल नेटवर्क से जोड़ने बल्कि जलमार्ग और सड़कों के क्षेत्र में भी सहयोग को तैयार हैं। उल्लेखनीय है कि इस साल की शुरूआत में आईपीआरसीएल तथा जर्मन रेलवे ड्यूश्च बान (डीबी) के बीच मैरीटाइम इंडिया सम्मिट के दौरान एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। यह समझौता रेल बंदरगाह संपर्क तथा भारतीय बंदरगाहों की रेल सुविधाओं के आधुनिकीकरण के लिये है। गडकरी ने कहा, ‘‘हमारी काफी अच्छी बैठक हुई और हमारा सहयोग मजबूत होगा।’’

उधर दूसरी तरफ रेलवे रेल सुरक्षा के लिए जर्मनी के साथ कार्य समूह गठित करना चाहता है। शून्य दुर्घटना का मिशन पूरा करने के प्रयासों के तहत रेलवे अपने परिचालनों में सुरक्षा के मजबूत उपाय करने के लिए जर्मन रेलवे के साथ एक संयुक्त कार्य समूह गठित करेगा। यहां रेल भवन में रेल मंत्री सुरेश प्रभु के साथ जर्मनी के परिवहन मंत्री एलेक्जेंडर दोब्रिंद्त की बातचीत के मुताबिक यह संयुक्त कार्य समूह सुरक्षा में सुधार के लिए प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी उन्नयन और प्रक्रियाओं को देखेगा। जर्मनी के मंत्री की भारत यात्रा से पहले प्रभु ने अप्रैल में जर्मनी की यात्रा की थी जिसमें दोनों देशों के बीच रेल क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था।

दोनों पक्षों ने रेल क्षेत्र में पारस्परिक हित के कई विशेष क्षेत्रों पर चर्चा की जिसमें ट्रेन की गति बढ़ाना, सवारी और माल गाड़ियों की लाइनों पर क्षमता वृद्धि, सुरक्षा, उर्जा प्रभावी रेल परिचालन, शिक्षा और प्रशिक्षण, हाई स्पीड रेल, मानक एवं नियम और स्टेशन का विकास शामिल हैं।जर्मनी के मंत्री ने भारतीय रेलवे के अधिकारियों को जर्मनी की प्रौद्योगिकी और सुरक्षा प्रणालियों को देखने के लिए वहां आने का भी न्यौता दिया। प्रभु ने जर्मन अधिकारियों से मैसूर-बेंगलूरू-चेन्नई गलियारा के हाई स्पीड (300 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक) रेल अध्ययन का प्रस्ताव आंध्र प्रदेश में विजयवाड़ा तक ले जाने का अनुरोध किया। इस पर जर्मनी के मंत्री ने सकारात्मक ढंग से विचार करने का आश्वासन दिया। इस अध्ययन का वित्त पोषण पूरी तरह से जर्मनी की सरकार करेगी और यह अध्ययन जनवरी, 2017 से शुरू होने की संभावना है।

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