'विकास' और 'जुनून' के बीच स्वादिष्ट खाने वालों की लंबी लाइन
भारतीय व्यंजनों का वैश्विक स्तर पर प्रतिनिधित्व करने वाले ,अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आयोजित रात्रि भोज में खाना बनाने वाले अंतर्राष्ट्रीय सेलिब्रेटी विकास खन्ना की योरस्टोरी से खास बातचीत
छः वर्ष की उम्र में हममें से अधिकांश लोग जब किसी पार्क में दौड़ने, अपने हाथ गंदे करने या खिलौनों को लेकर भाई-बहनों से झगड़ने में मशगुल थे, विकास खन्ना अमृतसर के अपने सामान्य घर के रसोईघर में अपनी दादी की मदद कर रहे थे। उनके विकृत पांव उनकी गतिविधियों को सीमित कर सकते थे लेकिन उन्होंने इसे कभी भी अपने पर हावी नहीं होने दिया। विकास बड़े हुए तो अमृतसर में स्वर्णमंदिर के रसोईघर में लंगर (गुरुद्वारा का रसोईघर जिससे मुफ्त खाना खिलाया जाता है) के दौरान स्वैच्छिक सेवा देने लगे। और 17 वर्ष की उम्र में तो उन्होंने लॉरेंस गार्डन में अपना खुद का कैटरिंग बिजनस शुरू कर दिया!
आज न्यूयॉर्क और दुबई में मिशलिन-स्टार वाले रेस्तरां जुनून के मुख्य शेफ और ब्रांड अंबेसडर के बतौर वह भारतीय व्यंजनों का वैश्विक स्तर पर प्रतिनिधित्व करने वाले अंतर्राष्ट्रीय सेलिब्रेटी हैं। विकास अनेक उत्साही शेफ और आहार जगत में कुछ करने का प्रयास कर रहे उद्यमियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
योरस्टोरी को हाल ही में उनसे मिलने का अवसर मिला और अमृतसर से न्यूयॉर्क तक की उनकी यात्रा के बारे में बातचीत हुई।
यह पूछने पर कि वैश्विक स्तर पर मशहूर शेफ बनने के लिए किन चीजों की जरूरत है, उन्होंने कहा, "इसके लिए जो चीजें जरूरी हैं वह हैं दृढ़ता, ईमानदारी, मौलिकता और रीइन्वेंशन।"
दृढ़ता
"मुझसे छोटे स्तर पर किसी ने भी शुरुआत नहीं की होगी," विकास कहते हैं जिन्हें अमेरिका में पांव रखने के बाद से असंभव जैसा काम करना पड़ा था। उन्होंने बर्तन धोने वाले जैसे अत्यंत निम्न स्तर के काम से शुरुआत की और न्यूयॉर्क के वाल स्ट्रीट के समीप तंदूर पैलेस नाम का अपना रेस्तरां शुरू करने के पहले तक अपने ढंग से काम किया। तंदूर पैलेस बहुत छोटे स्तर का काम था लेकिन उसके बाद से विकास व्यंजन के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने लगे थे। उन्होंने 2007 में न्यूयॉर्क में संकटग्रस्त रेस्तरां डिल्लन्स के पुनर्निर्माण के लिए कंसल्टेंट शेफ के बतौर काम करते हुए शेफ गॉर्डन रामसे के ‘किचन नाइटमेयर्स’ में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। डिल्लन्स का पुर्ननिर्माण करके पूर्णिमा नाम दिया गया जिसमें वह प्रभारी थे। उन्होंने उसे कोई डेढ़ वर्षों तक चलाया और उसके बाद रेस्तरां मालिक राजेश भारद्वाज के साथ अपनी अगली बड़ी परियोजना में काम करने चले गए। अनेक वर्षों के योजना निर्माण और कठिन परिश्रम के बाद 2 दिसंबर 2010 को जुनून का व्यावसायिक काम शुरू किया गया। ‘‘ढेर सारे लोगों ने कहा कि जुनून कोई सक्षम संकल्पना नहीं है। उनलोगों ने कहा कि यह नहीं चलेगा। वस्तुतः जुनून की आलोचना इतना साधारण डिजाइन वाला होने के कारण की गई।"
निस्संदेह, वे लोग गलत थे। जुनून को पहला मिशलिन स्टार 22 अक्तूबर 2011 को महज 10 महीने की रिकॉर्ड अवधि में मिला। "मुझे उस वर्ष अमेरिका का हॉटेस्ट शेफ माना गया और अचानक लोग और मीडिया भारत के इस भूरी चमड़ी वाले लड़के को देखने के लिए भीड़ लगाने लगे," वह कहते हैं। उसके बाद से जुनून को लगातार चार वर्षों तक मिशलिन स्टार मिला है। इस सप्ताह जुनून ने दुबई में एक शाखा शुरू की है।
रीइन्वेंशन
"मैंने खाद्य सामग्रियों के साथ काफी अलग ढंग से काम किया है," विकास जी कहते हैं। उन्होंने पाक कला के अपने कैरियर को भारत के खाने की खोज और अपनी पुस्तकों, शो और डॉक्यूमेंटरी फिल्मों के माध्यम से रीइन्वेंट करने के प्रति समर्पित कर दिया है।
"खाद्य सामग्रियों के ढेर सारे आयाम हैं जिन्हें मेरी किताबों के नामों में देखा जा सकता है," वह बताते हैं। इस पुरस्कार प्राप्त शेफ ने 17 पुस्तकें लिखी हैं जिनमें से हरएक विभिन्न सामग्रियों और व्यंजनों की कहानियों को शामिल करते हुए नियमित कुकबुक की संकल्पना को चरितार्थ करता है। उन्होंने ‘द मैजिक रॉलिंग पिन’ शीर्षक से बच्चों के लिए भी एक किताब लिखी है जिसमें खाद्य सामग्रियों की खोज करने वाले जुगनू नामक एक लड़के की कहानी कही गई है। उनको केंद्र करके बनी डॉक्यूमेंटरी फिल्म शृंखला ‘होली किचेन्स’ में आध्यात्मिक संदर्भ में खाना शेयर करने की परंपरा की छानबीन की गई है।
ईमानदारी
जब हमने विकास जी से रसोईघर में प्रौद्योगिकी के बढ़ते प्रभाव की बात की, तो उन्होंने तत्काल उत्तर दिया, ’’खाना संबंधी प्रौद्योगिकी की सबसे बड़ी चीजें हाथ हैं। मैं मशीनों से यथासंभव दूर रहता हूं। प्रौद्योगिकी की कोई जरूरत नहीं है। जरूरत है तो बस तकनीक की है।’’
नवाचार
विकास जी प्रासंगिक बने रहने के लिए लगातार इन्नोवेट करते रहने में विश्वास रखते हैं। यह संकल्पना जुनून के मेनू में सही काम करती दिखती है जिसमें नई सामग्रियों, स्वादों और अनुभवों को शामिल करने के चलते परिवर्तन होता रहता है।
‘‘अमेरिका में टेम्प्लेट मेनू अब कारगर नहीं हैं। शेफ लोगों का एक नया दौर आया है जो खाने की चीजों के साथ सृजनात्मक तरीके से बहुत कुछ करते रहते हैं। लोग ऐसे अनुभवों की तलाश में रहते हैं जो नया और इनवेंटिव हो।’’
इससे सबक लेते हुए विकास जी ने भारतीय व्यंजनों को ‘आप्रवासियों द्वारा अमेरिका आने वाले अन्य भारतीय लोगों को परोसे जाने वाले भोजन’ से हटकर रिब्रांड करने के लिए कुछ करने का फैसला किया। "हमलोग चाहते हैं कि लोग भारतीय भोजन की गहराई को उन स्टीरियोटाइप्ड व्यंजनों से आगे जाकर महसूस करें जिनको लेकर यह मशहूर है," विकास जी बताते हैं।
प्रेरणा
विकास खन्ना ने अनेक लोगों को प्रेरित किया है कि वे रसोईघर को अपना कैरियर बनाएं। मास्टरशेफ इंडिया शृंखला के दौरान लोगों पर पड़ने वाला उनका प्रभाव इसकी बेहतर मिसाल है। उसमें वह स्वयं बिल यूसुफ, डैनियल बॉलुद, संजीव कपूर, विनीत भाटिया और अतुल कोचर जैसे कुछ मशहूर शेफ की प्रशंसा करते हैं। इस सूची में सबसे बड़ा नाम जूलिया चाइल्ड का था जिनकी विकास जी से मिलने के लिए तय समय से कुछ पहले ही मृत्यु हो गई।
अगर आप उनके सुदर्शन व्यक्तित्व से नजर हटाकर शेफ के वस्त्रों से भिन्न व्यक्ति पर ध्यान दें, तो विकास खन्ना, सामान्य, तड़क-भड़क से दूर रहने वाले सेलिब्रेटी हैं जो मिलने वालों को समय और ध्यान देने के मामले में उदार हैं। उन्हें किताबों पर हस्ताक्षर करके, सेल्फी खिंचवाकर और आयोजन में उपस्थित सभी लोगों से बातचीत करके खुशी होती है। वह ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जिससे एक ही बार मिलना संभव हो। अगले दिन अगले आयोजन में मिलने पर भी हम उन्हें उसी स्थिति में पाते हैं।
यहां शेफ विकास खन्ना के साथ हमारी बातचीत के कुछ और उद्धरण प्रस्तुत हैं। उसका आनंद उठाइए।
(एच. राजा द्वारा खींचा गया और अंजलि अचल द्वारा संपादित वीडियो)