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इस पूर्व IAS अधिकारी ने स्वच्छ भारत अभियान का जिम्मा संभालने के लिए छोड़ा अमेरिका

इस पूर्व IAS अधिकारी ने स्वच्छ भारत अभियान का जिम्मा संभालने के लिए छोड़ा अमेरिका

Friday April 13, 2018 , 3 min Read

 अय्यर उत्तर प्रदेश कैडर के 1981 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। 1998 में उन्हें वर्ल्ड बैंक के साथ काम करने का मौका मिला था, जिसके बाद से वे वर्ल्ड बैंक के साथ ही काम करते रहे।

परमेश्वरन अय्यर

परमेश्वरन अय्यर


अय्यर ने वर्ल्ड बैंक के साथ 1998 से सितंबर 2007 तक काम किया और फिर 2009 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। इसके बाद उन्होंने फिर से वर्ल्ड बैंक के साथ काम करना शुरू किया। 

सोमवार को प्रधानमंत्री चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष के समापन समारोह के दौरान बिहार में जनता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस वक्त स्वच्छ भारत से जुड़ी कई बातें देश से साझा कीं। इस दौरान उन्होंने पूर्व आईएएस अधिकारी और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के सेक्रेटरी परमेश्वरन अय्यर की भी तारीफ की जिन्होंने स्वच्छ भारत मिशन को संभालने के लिए अमेरिका छोड़ा था। अय्यर उत्तर प्रदेश कैडर के 1981 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। 1998 में उन्हें वर्ल्ड बैंक के साथ काम करने का मौका मिला था। जिसके बाद से वे वर्ल्ड बैंक के साथ ही काम करते रहे।

अय्यर ने वर्ल्ड बैंक के साथ 1998 से सितंबर 2007 तक काम किया और फिर 2009 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। इसके बाद उन्होंने फिर से वर्ल्ड बैंक के साथ काम करना शुरू किया। वे जून 2012 से जल एवं स्वच्छता विशेषज्ञ के तौर पर विएतनाम के हनोई में प्रोग्राम लीडर की तरह काम कर रहे थे। अय्यर वर्ल्ड बैंक के वॉटर एंकर प्रोग्राम का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने अमेरिका के वॉशिंगटन में रहते हुए इजिप्ट और लेबनान के लिए काम किया था। 2016 में प्रधानमंत्री मोदी के कहने पर वे भारत लौट आए और स्वच्छ भारत अभियान की जिम्मेदारी संभाल ली।

ग्राउंड लेवल पर जाकर कार्यक्रम की सफलता देखते परमेश्वरन अय़्यर

ग्राउंड लेवल पर जाकर कार्यक्रम की सफलता देखते परमेश्वरन अय़्यर


हालांकि आमतौर पर वरिष्ठतम आईएएस ऑफिसरों को ही सेक्रेटरी बनाया जाता है, लेकिन परमेश्वरन अय्यर को सेवानिवृत्ति के बाद सेक्रेटरी बनाया जाना अपने आप में अनोखा मामला है। अय्यर को स्वच्छता एवं पेयजल से जुड़े मामलों में महारत हासिल है। इसलिए उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई। स्वच्छ भारत अभियान को 2015 में वर्ल्ड बैंक ने सहायता देने की घोषणा की थी। अय्यर कहते हैं, 'विएतनाम में मैंने सबसे बड़ी बात सीखी कि किसी भी देश में खुले में शौच पर पाबंदी सिर्फ शौचालय बनवाकर नहीं की जा सकती। उसके लिए लोगों की आदतों और मानसिकता में बदलाव लाना पड़ेगा।'

अय्यर ने अपने 20 साल के अनुभवों को स्वच्छ भारत अभियान में लगा दिया। पूरे देश में स्वच्छता की लहर लाने वाले कार्यक्रम को कितनी सफलता मिली है इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन अय्यर को भरोसा है कि वे भारत को स्वच्छ बनाने का लक्ष्य हासिल कर लेंगे। स्वच्छ भारत अभियान कार्यक्रम को वर्ल्ड बैंक ने 1.5 अरब डॉलर रुपये देने की घोषणा की थी। स्वच्छ भारत अभियान के तहत भारत को 2019 तक खुले में शौच से मुक्त करना है। आज पूरी दुनिया में 2.4 अरब लोगों के पास स्वच्छता के संसाधन उपलब्ध नहीं हैं। भारत के ग्रामीण इलाकों में अधिकतर घरों में शौचालय नहीं होते। इस अभियान ने गांवों में शौचालय बनवाने को एक नई गति दी है।

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