इसरो, अंतरिक्ष विभाग के साथ दो वर्षों में 55 से अधिक स्टार्टअप रजिस्टर हुए: डॉ जितेंद्र सिंह
केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि प्राप्त 55 प्रस्तावों में से 29 सैटेलाइट सम्बन्धी, 10 अंतरिक्ष अनुप्रयोगों और उत्पादों के लिए, 8 लॉन्च वाहन और 8 ग्राउंड सिस्टम और अनुसंधान से संबंधित हैं तथा स्टार्टअप्स के इनमें से 9 प्रस्तावों के 2022-23 तक पूरा होने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के व्यक्तिगत हस्तक्षेप के बाद भारतीय अंतरिक्ष विभाग (Indian Space Department) और इसरो (Indian Space Research Organisation - ISRO) को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोले जाने के लगभग दो वर्षों में 55 से अधिक स्टार्टअप्स को इसरो, अंतरिक्ष विभाग के साथ रजिस्टर किया गया है। इसके अलावा, इस वर्ष भारत की आजादी के 75वें वर्ष के अवसर पर आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान 75 छात्रों के सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग निर्धारित है।
यह जानकारी केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री, डॉ जितेंद्र सिंह सभी विज्ञान मंत्रालयों और विभागों की चौथी संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस तथ्य पर विचार करते हुए कि इन सभी वर्षों के दौरान अंतरिक्ष विभाग और इसरो दूसरों के लिए सुलभ हुए बिना अपना काम कर रहे थे जब दो साल पहले उन्हें प्राइवेट सेक्टर के लिए खोलने की घोषणा का मीडिया ने भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र के "अनलॉकिंग" के रूप में स्वागत किया था जो अपने आप में एक महान और एक अभूतपूर्व प्रगति है। उन्होंने कहा कि ऐसा केवल इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी में अतीत की अप्रचलित वर्जनाओं को तोड़कर राष्ट्र के हित में परम्परा से हटकर फैसले लेने का साहस और दृढ़ विश्वास है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने आगे बताया कि प्राप्त 55 प्रस्तावों में से 29 उपग्रह (सैटेलाइट) सम्बन्धी, 10 अंतरिक्ष अनुप्रयोगों और उत्पादों के लिए, 8 प्रक्षेपण (लॉन्च) वाहन और 8 ग्राउंड सिस्टम और अनुसंधान से संबंधित हैं तथा स्टार्टअप्स के इनमें से 9 प्रस्तावों के 2022-23 तक पूरा होने की उम्मीद है।
अंतरिक्ष विभाग के सचिव, एस. सोमनाथ ने 75 छात्रों के उपग्रहों और आज़ादीसैट (Azadisat) का विवरण दिया, जो इस वर्ष भारत की स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष का समारोह मनाने के लिए आयोजित आज़ादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर लॉन्च होने वाले हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने संयुक्त बैठक में यह भी बताया कि CSIR द्वारा समन्वित सभी छह साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी (S&T विभागों) को 38 लाइन मंत्रालयों से प्राप्त 204 विषम समस्याओं के वैज्ञानिक अनुप्रयोगों और तकनीकी समाधानों को प्राथमिकता से लागू करने के लिए अनुरोध प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा, सभी विभागों से भागीदारी के क्षेत्रों पर इनपुट प्राप्त हुए हैं, जबकि जैव-प्रौद्योगिकी बिभाग (DBT) और इसरो ने कुछ चुनौतियों के लिए समाधान विकास / तैनाती में अग्रणी होने के लिए अपनी प्राथमिकता प्रस्तुत की है। उन्होंने कहा कि कृषि, खाद्य, शिक्षा, कौशल, रेलवे, सड़क, जल शक्ति, बिजली और कोयला जैसे क्षेत्रों के लिए पिछले साल सितंबर में इस पहल के शुरू होने के बाद से विभिन्न वैज्ञानिक अनुप्रयोगों पर काम किया जा रहा है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि CSIR ने पूर्वोत्तर परिषद (NEC) की मदद से उत्तर पूर्वी राज्यों में S & T हस्तक्षेप की आवश्यकता वाली 50 समस्याओं की पहचान की है और इसे साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के साथ ही इसे उत्तरी पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय के साथ साझा किया जा रहा है। 8 पूर्वोत्तर राज्यों में से 5 ने पहले ही STI नीति निर्माण शुरू कर दिया है। मंत्री ने यह भी कहा जहां तक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के STI मानचित्रण का संबंध है तो सभी 28 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में यह प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।
सभी फेलोशिप और छात्रवृत्ति योजनाओं के लिए इंटीग्रेटेड पोर्टल के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री को बताया गया कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसन्धान परिषद के महानिदेशक (DGCSIR) अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश के आधार पर DST और DBT से कार्य समूह के सदस्यों की प्रारंभिक बैठक 4 अप्रैल को हुई थी जिसमें वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसन्धान परिषद के महानिदेशक (DGCSIR) अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश के आधार पर साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी मंत्रालय के तहत छात्रवृत्ति / फैलोशिप योजनाओं की मैपिंग की शुरुआत कर ली गई है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने एक साइंस मीडिया सेंटर का भी प्रस्ताव रखा, जो सभी साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट्स के लिए एक अंतर-मंत्रालयी एकीकृत मीडिया सेल के रूप में कार्य करेगा और इसमें विज्ञान प्रसार का विलय किया जाएगा। उन्होंने उपस्थित विभागों और अधिकारियों से विभागों और स्टार्टअप की सफलता की कहानियों को सामने लाने करने और जहां भी संभव हो उन्हें बढ़ावा देने के लिए कहा। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि सफलता की कहानियों पर नियमित अंतराल पर वर्कशॉप का आयोजन किया जाना चाहिए।
बैठक के दौरान, डॉ जितेंद्र सिंह ने निकट भविष्य में होने वाले राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रियों के सम्मेलन के मसौदे की गहन समीक्षा की और श्रीनगर, शिमला, बेंगलुरु और अहमदाबाद जैसे स्थानों पर पहली बार राष्ट्रीय विज्ञान सम्मेलन (National Science Conclave) के लिए भी चर्चा की गई। केंद्रीय मंत्री ने सुझाव दिया कि राज्यों, उद्योग प्रतिनिधियों और अन्य हितधारकों को शामिल करते हुए विषयगत और राज्य-विशिष्ट चर्चाओं को इस कॉन्क्लेव में शामिल किया जा सकता है।
इस बैठक में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, सचिव, अंतरिक्ष विभाग, सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, सचिव, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, सचिव, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड और अन्य विज्ञान विभागों के प्रतिनिधि और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।