'MoonWalkr' की धमक, क्रिकेट में आई चमक
इस्तेमाल में आसान, दौड़ने में हल्का लेग गार्ड12 शहर और 3 ई-कॉमर्स वेबसाइट पर उपलब्ध10 महीनों की मेहनत के बाद बना लेग गार्डक्रिकेट का समान बनाने वाली 21 कंपनियां हैं जिनमें से 18 भारत की हैं
कहते हैं कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। तभी तो बेंगलौर की ओर से खेलने वाले सलामी बल्लेबाज सनत रेड्डी ने एक ऐसा लेग गार्ड बनाया है जो ना सिर्फ हल्का है बल्कि बल्लेबाज को दौड़ने में मददगार भी होता है। अब तक बल्लेबाज जिस लेग गार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं उसका वजन करीब 3 किलो के आसपास तक होता है इस कारण उनके भागने की गति कम होती है। अगर वो ही बल्लेबाज बिना लेग गार्ड के भागे तो हर रन में तीन फीट का अंतर आसानी से हो सकता है। सनत ने इसी परेशानी को देखते हुए कुछ हट कर करने का फैसला लिया और एक ऐसा लेग गार्ड बनाया जो ना सिर्फ हल्का है बल्कि रनों को तेजी से लेने में भी मददगार है। आम लोगों तक लेग गार्ड की पहुंच बनाने के लिए अब उन्होने MoonWalkr की शुरूआत की है।
सनत एक शानदार क्रिकेटर के अलावा वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर भी हैं। MoonWalkr के क्रांतिकारी बैटिंग पैड से बल्लेबाज की ना सिर्फ सुरक्षा होती है बल्कि रनों को चुराने में भी ये मददगार है। इन पेड्स को बनाने में मिश्रित सामग्री का इस्तेमाल किया गया है इस कारण ये 50 प्रतिशत हल्के और 18 प्रतिशत ज्यादा सुरक्षित हैं। सनत के इस काम में मदद की उनके दोस्त अजय और एक पूर्व क्रिकेटर कृष्णा वशिष्ट ने। अजय ने इंजीनियरिंग करने के बाद एमबीए की पढ़ाई पूरी की और वो टाटा कंसल्टेंसी सर्विस में विश्लेषक के तौर पर काम कर रहे थे लेकिन सनत का साथ पाने के लिए उन्होने अपनी अच्छी खासी नौकरी को छोड़ दिया। इसके बाद कृष्णा जो अमेरिका में स्पोर्ट्स मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहे थे उन्होने भी सनत का साथ देने का फैसला लिया। उन्होने जान लिया था कि खेल का इस समान का इस्तेमाल भविष्य में काफी हो सकता है।
क्या आप जानते हैं कि क्रिकेट का समान बनाने वाली 21 कंपनियां हैं जिनमें से 18 भारत की हैं। ये समान तैयार होता है मेरठ और जालंधर में। लेकिन उत्पाद के डिजाइन पर ज्यादा काम नहीं होता। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सनत और उनके सह-संस्थापकों ने साल 2011 में पहला प्रोटोटाइप तैयार किया। जिसके बाद सचिन तेंदुलकर और और राहुल द्रविड ने इनसे मुलाकात की। इसके बाद इन लोगों ने दिग्गज क्रिकेटरों से मुलाकात की जिन्होने इनके काम को सराहा। जिससे इनको आत्मविश्वास हासिल हुआ। प्रोटोटाइप तैयार करने के लिए इन लोगों ने पारंपरिक सामग्री से हटकर कुछ अलग इस्तेमाल करने का सोचा। इसके लिए इन्होने जर्मनी के एक संस्थान से जुड़ने का फैसला लिया जो नई पौद्योगिकी का इस्तेमाल कर नये जमाने की साम्रगी बनाने का काम करती है और 10 महीनों की लगातार मेहनत रंग लाई और इन लोगों ने उस संस्थान के साथ नया उत्पाद बनाने में सफलता हासिल की।
MoonWalkr की कोशिश सुरक्षा में इस्तेमाल क्रिकेट उत्पादों के परिदृश्य को बदलना है। ये सिर्फ सामग्री के बदलने से नहीं आ सकता बल्कि इस काम के लिए निर्माताओं और तकनीक के साथ सबका समर्थन चाहिए। MoonWalkr का लक्ष्य ना सिर्फ पैड बल्कि क्रिकेट से जुड़े दूसरे उत्पाद ग्लब्स, हेलमेट और सुरक्षा से जुड़ी दूसरी चीजों में भी बदलाव लाना है। MoonWalkr के सह-संस्थापक अजय का कहना है कि “बाजार में मिलने वाले लेग गार्ड बेहतर बचाव तो करते हैं लेकिन हमारी कोशिश सुरक्षा के साथ साथ उनको और गतिशील बनाना है।” यही वजह है कि MoonWalkr के बनाये लेग गार्ड को अमेरिकन कंपनी ने अपने यहां जांच में पाया कि ये अपने समकक्ष दूसरे उत्पादों के मुकाबले 20 प्रतिशत ज्यादा बेहतर है। अजय के मुताबिक जब इन लोगों ने अपने बनाये लेग गार्ड को एक नामी क्रिकेटर को पहनने के लिये दिया तो उसने अपने अनुभव के आधार पर बताया कि उसे लगा कि जैसे उसने पैरों में कुछ पहना ही नहीं है। ये इन लोगों की एक छोटी सी जीत थी। लेकिन अब भी इन लोगों को खिलाड़ियों का ना सिर्फ विश्वास जीतना है बल्कि उनके डर को भी दूर करना है।
MoonWalkr की शुरूआत के बाद कंपनी इस बात को लेकर दुविधा में थी कि क्या मौजूदा खिलाड़ियों को इसके इस्तेमाल के लिए लाइसेंस दिये जाएं या फिर विभिन्न वितरण माध्यमों के जरिये इसका प्रसार किया जाए। जब इनकी टीम ने इस बात पर चर्चा की तो दोनों ही विकल्पों पर काम करने का फैसला लिया गया। जिसके बाद कंपनी ने ये सुनिश्चित किया कि उसके बनाये उत्पाद ना सिर्फ भारत में बल्कि ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका के रिटेल स्टोर पर भी उपलब्ध हों। भारत में उनकी नजर फिलहाल 12 शहरों में है। इसके अलावा महीने के अंत तक तीन ई-कॉमर्स वेबसाइट पर इनके उत्पाद मिलने लगेंगे। अपने उत्पाद को खिलाड़ियों के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए इनकी टीम नवोदित क्रिकेटर, कोचिंग कैम्प में अपने उत्पाद की जानकारी दे रही हैं तो दूसरी ओर ये लोग क्रिकेट खिलाड़ियों के साथ भी लगातार सम्पर्क बनाये हुए हैं। कीमत को लेकर भी टीम के बीच काफी माथापच्ची हुई। ये इन लोगों के लिए एक ऐसी चुनौती थी जैसे इनको एफ1 गाड़ी का निर्माण करना हो। काफी बातचीत करने के बाद तय हुआ की इसके दाम 2999 रुपये रखें जाएं। देश में मिलने वाले अच्छी किस्म के लेग गार्ड विदेशों से आयात किये जाते हैं। जिनकी कीमत 8 हजार रुपये या उससे ज्यादा होती है जबकि MoonWalkr का ये उत्पाद ना सिर्फ कम दाम में बल्कि आयातित गार्ड से हल्का भी है।
सनत रेड्डी के MoonWalkr एक चुनौती के रूप में सामने आया लेकिन वो हर चुनौती का एक के बाद एक सामना करते गए। आज उनकी कंपनी में एक दूसरी कंपनी एडीडी ने डेढ़ करोड़ रुपये का निवेश किया है। जानकार इसे एडीडी का कारोबारी बुद्धिमानी का प्रमाण मान रहे हैं। यही वजह है कि MoonWalkr के संस्थापक भी अपने डोमेन को अमूल्य मान रहे हैं।