कुपोषण दूर करने के लिए छत्तीसगढ़ की आंगनबाड़ी में शुरू हुई 'सुपोषण बाड़ी योजना'
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छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में प्रशासन महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में या आंगनबाड़ी केंद्र के समीप किसी बाड़ी (सब्जियों के छोटे खेत) में कुपोषण से निपटने के लिए सब्जियों की बाड़ी लगाने का अनूठा प्रयोग हो रहा है।
सुपोषण सब्जी-बाड़ी योजना का सफल क्रियान्वयन करने के कारण राज्य स्तर पर योजना को सराहना मिली तथा इस योजना को पूरे राज्य के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में लागू करने की कार्ययोजना बनाई जा रही है।
किसी काम को सामुहिक रूप से करने से काम सरल हो जाता है। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में प्रशासन महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में या आंगनबाड़ी केंद्र के समीप किसी बाड़ी (सब्जियों के छोटे खेत) में कुपोषण से निपटने के लिए सब्जियों की बाड़ी लगाने का अनूठा प्रयोग कर रहा है। इस प्रयोग के मूल में जिला प्रशासन की यह मंशा है कि हरी सब्जियों के उत्पादन से आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और शिशुवती माताओं को रोज ताजी सब्जी मिल सकेगी।
सुपोषण बाड़ी नाम की इस पहल के चलते महिला बाल विकास विभाग ने विगत दो वर्षों में अपने लगभग 250 आंगनबाड़ी केन्द्रों व उसके परिक्षेत्र में हरी सब्जी लगाई है। इससे साल भर में लगभग 100 दिन तक आंगनबाड़ी केन्द्रों के हितग्राहियों को हरी सब्जी मिली रही है। इन हरी सब्जियों में लौकी, भिन्डी, बैगन, कददू, करेला, सेमी एवं पालक,लालभाजी, मेथी की सब्जी और भाजी लगाईं गई है। इस कार्य में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता स्वयं केंद्र में तथा गर्भवती व शिशुवती माता के घर में सब्जी लगाने में सहयोग करती हैं।
बच्चों की कुपोषण दर में जिला सुकमा छत्तीसगढ़ राज्य के प्रमुख जिलों में से है सुकमा में कुपोषण के कई कारण है जिसमे पोषण के प्रति समुदाय में जागरूकता की कमी, स्वच्छता व साफ-सफाई की आदतों के प्रति उदासीनता, खान-पान में हरी सब्जी का कम उपयोग प्रमुख है। महिला एवं बाल विकास विभाग के मैदानी अमलों ने कुपोषण की लड़ाई में सब्जी-बाड़ी के लिए स्वयं लीड लिया। प्रत्येक कार्यकर्ता को विभाग के अधिकारियों ने कहा कि अपने आंगनबाड़ी के साथ-साथ 5 गर्भवती, शिशुवती माताओं के घर पर सब्जी बाड़ी लगाने में सहयोग करें। उद्देश्य समुदाय को पोषण के प्रति जागरूक करना, हरी सब्जियों को उनके खान-पान की आदतों में शामिल करना, समुदाय को आंगनबाड़ी से जोड़ना, आंगनबाड़ी में गर्मभोजन के लिए सामुदायिक सहयोग से हरी सब्जी की व्यवस्था करना आदि और साथ ही यह भी तय किया कि एक घर में अगर दो लौकी फले तो एक हितग्राही स्वयं खाए और एक आंगनबाड़ी केंद्र में दे।
इसी प्रयास में सामुदायिक सहयोग का उत्कृष्ट उदाहरण देखने को मिला सुकमा परियोजना बुरदी सेक्टर के पुसपल्ली ग्राम में जहाँ ग्रामीणों ने कार्यकर्ता श्रीमती रिजवाना बेगम के अनुरोध पर स्थानीय मटेरियल (लकड़ी ,टहनी) से आंगनबाड़ी केंद्र में सुपोषण बाड़ी तैयार करने में कार्यकर्ता का सहयोग किया और लगभग दो हजार वर्गफीट की बाड़ी तैयार की है। इस कार्यकर्ता को सुकमा कलेक्टर जय प्रकाश मौर्य ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की जिला स्तरीय बैठक में उत्कृष्ट कार्यकर्ता के रूप में सम्मानित किया था।
सुपोषण सब्जी-बाड़ी योजना का सफल क्रियान्वयन करने के कारण राज्य स्तर पर योजना को सराहना मिली तथा इस योजना को पूरे राज्य के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में लागू करने की कार्ययोजना बनाई जा रही है कुपोषण से लड़ाई में एक प्रयास के रूप में इसी कार्ययोजना को भोपाल में आयोजित पोषण एवं नवाचार पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में सुकमा के जिला कार्यक्रम अधिकारी सुधाकर बोदले ने प्रस्तुति भी दी।
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