क्या आपको भी हर वक्त थकान और कमजोरी महसूस होती है? ये है उसकी कुछ वजहें और निदान
डॉ. सू पेम्बरटम और डॉ. कैथरीन बेरी अपनी किताब “फाइटिंग फटीग” में बताती हैं क्रॉनिक फटीग की वजह और उसे दूर करने के उपाय.
पता है, आज की भागती-दौड़ती जिंदगी में सबसे ज्यादा कहा और सुना जाने वाला वाक्य क्या है- “आय एम फीलिंग टायर्ड.” बहुत थकान महसूस हो रही है. दिन भर की मशक्कत, दफ्तर और घर की जिम्मेदारियां निभाने के बाद देर शाम थकान महसूस हो तो उसमें कुछ भी चिंताजनक नहीं है. लेकिन अकसर ऐसा होता है कि हमारी सुबह की शुरुआत ही थकान के साथ होती है. दिन भर शरीर थका-थका और सुस्त महसूस होता है.
अकसर महिलाएं मेकअप में चेहरे की थकान को छिपाने और कई कप चाय और कॉफी के साथ उससे निजात पाने की कोशिश करती हैं. लेकिन यकीन मानिए, अगर चाय-कॉफी के बाद भी आपको थकान से छुटकारा नहीं मिल रहा तो यह एक गंभीर बात है और इसकी अनदेखी करना ठीक नहीं.
डॉ. सू पेम्बरटम और डॉ. कैथरीन बेरी की एक किताब है- “फाइटिंग फटीग: ए प्रैक्टिकल गाइड टू मैनेजिंग द सिम्पटम्स ऑफ सीएफएस.” इस नाम में सीएफएस (CFS) का अर्थ है क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम, जो कि एक मेडिकल कंडीशन है. इस किताब में वे थकान को कई चरणों में समझाती हैं.
डॉ. पेम्बरटम लिखती हैं कि सामान्य स्थिति में शरीर का थकान महसूस करना न सिर्फ अच्छा, बल्कि एक सकारात्मक संकेत है. थकान के रूप में शरीर हमें यह मैसेज दे रहा है कि अब उसे आराम की जरूरत है. दिक्कत तब शुरू होती है, जब आराम करने, सोने के बाद भी शरीर की थकान दूर नहीं होती. आप पूरे समय थकान, कमजोरी और उनींदा सा महसूस करते हैं. डॉ. पेम्बरटम के मुताबिक यह क्रॉनिक फटीग का लक्षण है.
इस किताब में फटीग के लक्षणों को विस्तार से समझाया गया है. साथ ही वे यह भी बताती हैं कि क्रॉनिक इलनेस न होने की स्थिति में यदि फटीग रहता है तो उसे दूर करने के लिए हम अपने स्तर पर क्या कदम उठा सकते हैं.
यहां हम आपको क्रॉनिक थकान की पांच वजहें और उसे दूर करने के पांच उपाय बता रहे हैं.
नींद पूरी न होना
कई बार रात में 7 से 8 घंटे की नींद लेने के बावजूद सुबह शरीर में ऊर्जा नहीं महसूस होती और थकान बनी रहती है. हमें लगता है कि नींद तो पूरी ली है, फिर इस थकान की क्या वजह है. कई बार हमें ऐसा भी लगता है कि हम आठ घंटा सोए हैं, लेकिन वास्तव में शरीर सिर्फ दो से तीन घंटे की गहन निद्रा की अवस्था में रहता है. बाकी समय हमारा अवचेतन मस्तिष्क सक्रिय रहता है यानि आंखें बंद होने के बावजूद हम दरअसल सो नहीं रहे होते. नींद के दौरान शरीर में होने वाला रिपेयर वर्क और ऊर्जा का संरक्षण सिर्फ उतनी देर ही होता है, जब शरीर बिलकुल गहन निद्रा की अवस्था में होता है.
गहरी नींद न आने की बहुत सारी वजहें हो सकती हैं. इंसोम्निया, स्लीप एप्निया वगैरह के अलावा तनाव, अवसाद, कैफीन इंटेक, स्मोकिंग और शरीर में पनप रही कोई बीमारी भी इसका कारण हो सकती है.
खाने में शुगर और कार्ब की अतिरिक्त मात्रा
यदि हमारे दिन भर के भोजन में शुगर और कार्ब की कुल मात्रा 100 ग्राम से ज्यादा है तो यह शरीर में थकान और कमजोरी का एहसास पैदा करती है. कार्ब और शुगर इंसुलिन को ट्रिगर करता है और इंसुलिन भूख बढ़ाता है. शुगर ज्यादा खाने का नतीजा ये होता है कि भूख ज्यादा लगती है और हम ज्यादा खाते हैं. रक्त वाहिनियों में इंसुलिन की मौजूदगी शरीर को थकाने का काम करती है.
सिर्फ दस दिन के लिए कार्ब और शुगर खाना छोड़ दीजिए. बदलाव आपको खुद महसूस होगा.
तनाव या स्ट्रेस
डॉ. पेम्बरटम और डॉ. कैथरीन अपनी किताब में तनाव या स्ट्रेस को फटीग के सबसे प्रमुख कारकों में से एक बताती हैं. उनके मुताबिक तनाव कई बार इनविजिबल होता है यानि स्ट्रेस में जी रहे व्यक्ति को इस बात का एहसास भी नहीं होता कि वह दरअसल तनाव में है. स्ट्रेस शरीर की पूरी फंक्शनिंग को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है. मेटाबॉलिज्म को सुस्त करता है, कॉन्सटिपेशन करता है, इंसोम्निया की वजह बनता है. कोई ठोस बाहरी कारण न दिखने के बावजूद यदि आप हर वक्त थकान महसूस कर रहे हैं तो अपने तनाव को समझें, परखें, उसके कारणों की पड़ताल करें और उसे दूर करने की कोशिश करें.
डायबिटीज और थायरॉइड
ये दोनों लाइफ स्टाइल डिजीज सबसे देर से पकड़ में आने वाली बीमारियां हैं और यह क्रॉनिक फटीग की सबसे बड़ी वजह हैं. डायबिटीज के लक्षण शरीर में तब तक दिखाई देने शुरू नहीं होते, जब तक रक्त में शुगर का स्तर सामान्य की सीमा से बहुत आगे न निकल जाए. लेकिन फटीग या थकान के रूप में डायबिटीज का लक्षण एकदम शुरू में ही दिखाई देने लगता है. हम आमतौर लगातार महसूस हो रही थकान की अनदेखी करते हैं क्योंकि थकान हमारे लिए कोई बीमारी और बीमारी का लक्षण नहीं होता.
ठीक यही स्थिति थायरॉइड के साथ भी है. थायरॉइड का पहला लक्षण ही फटीग है. अगर कभी भी आपको लगातार बहुत दिनों तक थकान महसूस हो, दिन भर सुस्ती और कमजोरी लगे तो सबसे पहले अपना शुगर और थायरॉइड टेस्ट करवाएं.
अनकॉन्शस डिप्रेशन
डॉ. पैम्बरटम अपनी किताब में कुछ लक्षणों के बारे में विस्तार से लिखती हैं और कहती हैं, यदि आप में इसमें से कोई भी लक्षण है तो आप अपने अवचेतन में अवसाद का शिकार हैं और यह अवसाद यानी डिप्रेशन लंबे समय तक रहने पर क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम को जन्म दे सकता है.
उनमें से कुछ लक्षण इस प्रकार हैं-
1. हमेशा दुखी, उदास, चिंतित महसूस करना
2. निराशावाद
3. बात-बात पर चिढ़ना, गुस्सा आना
4. गिल्ट का, व्यर्थता का, असहायता का भाव
5. किसी काम में मन न लगना
6. हमेशा अकेले रहने की इच्छा
7. लोगों से मिलने में कतराना
8. बातें भूलना
9. वजन का अचानक तेजी से बढ़ना या घटना
10. सुसाइडल विचार
11. शरीर के किसी भी हिस्से में लगातार लंबे समय तक बना रहने वाला क्रॉनिक पेन
भोजन में न्यूट्रीएंट्स की कमी
यूं तो सभी जरूरी विटामिन्स की शरीर में संतुलित मात्रा में मौजूदगी जरूरी है, लेकिन कुछ विटामिन्स की कमी का नतीजा क्रॉनिक फटीग हो सकता है. जैसेकि विटामिन बी 12, विटामिन डी और विटामिन सी. विटामिन डी की कमी शरीर के ऊर्जा के स्तर को सबसे ज्यादा नकारात्मक ढंग से प्रभावित करती है और भारत जैसे देश में जहां 70 फीसदी आबादी विटामिन डी की कमी से ग्रस्त है, वहां क्रॉनिक फटीग का यह सबसे बुनियादी कारण भी है.
इसके अलावा विटामिन बी 12 की कमी भी बहुत आम है क्योंकि यह ज्यादा भोज्य पदार्थों में नहीं पाया जाता. विटामिन सी की कमी का सबसे बड़ा कारण यह है कि हमारा शरीर बाकी विटामिन्स की तरह इसे स्टोर नहीं कर सकता. एक बार में शरीर अधिकतम 72 घंटों के लिए जरूरी विटामिन सी को ही स्टोर कर सकता है. इसलिए रोजमर्रा के भोजन में विटामिन सी होना जरूरी है.
Edited by Manisha Pandey