Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

69 साल का शख्स मटकों में पानी भर बुझाता है दिल्ली के राहगीरों की प्यास

हजारों की प्यास बुझाने वाले मटकामैन...

69 साल का शख्स मटकों में पानी भर बुझाता है दिल्ली के राहगीरों की प्यास

Tuesday April 17, 2018 , 4 min Read

आजकल के इस भागते-दौड़ते जीवन में हम भूल गए कि पानी जैसी चीजें तो हमारे लिए सुलभ होनी चाहिए। लेकिन आज अगर किसी के जेब में पैसे न हों तो उसे प्यास से तड़पना पड़ सकता है। 

अपनी गाड़ी के साथ नटराजन

अपनी गाड़ी के साथ नटराजन


प्यास की तड़प को शांत करने के लिए दिल्ली का एक 69 वर्षीय इंसान रोज सुबह 4.30 बजे उठता है और दक्षिणी दिल्ली में रखे 60 से ज्यादा मटकों में पानी भरता है।

गर्मी के इस मौसम में दिल्ली जैसे शहर में अगर किसी को प्यास लग जाए तो वो क्या करेगा? पूरी संभावना है कि काफी खोजबीन करने के बाद भी उसे कोई सार्वजनिक प्याऊ या नल नहीं मिलेगा। उसे मजबूरन पानी की बोतल खरीदनी पड़ेगी। आजकल के इस भागते-दौड़ते जीवन में हम भूल गए कि पानी जैसी चीजें तो हमारे लिए सुलभ होनी चाहिए। लेकिन अगर किसी के जेब में पैसे न हों तो उसे प्यास से तड़पना पड़ सकता है। इस तड़प को शांत करने के लिए दिल्ली का एक 69 वर्षीय इंसान रोज सुबह 4.30 बजे उठता है और दक्षिणी दिल्ली में रखे 60 से ज्यादा मटकों में पानी भरता है।

उस शख्स का नाम है अलग नटराजन। नटराजन को इस काम को करने में लगभग एक घंटे लगते हैं। पेशे से इंजीनियर नटराजन की जिंदगी दिलचस्प है। उन्होंने अपनी जिंदगी के 40 साल लंदन में बिताए हैं। वे अपनी बहन के साथ टूरिस्ट वीजा पर यूके गए थे और फिर काम मिलने पर वहीं बस गए। वहां पर उन्होंने बिजनेस शुरू कर दिया। दस साल पहले पता चला कि उन्हें कैंसर है। इसके बाद वे वापस भारत लौट आए। कैंसर तो उनका ठीक हो गया। लेकिन इसके बाद उन्हें लगा कि दिल्ली के लिए कुछ करना चाहिए। उन्होंने कैंसर अस्पताल और अनाथालयों में जाकर लोगों की सेवा की।

नटराजन ने चांदनी चौक में भूखों को खाना खिलाया। जिन लोगों के पास अपने परिजनों के अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं होते थे नटराजन ने उन्हें पैसे दिए। 2014 की गर्मियों में उन्हें अहसास हुआ कि राह चलते काफी लोगों को प्यास लगती है, लेकिन ऐसा कोई इंतजाम नहीं है जहां से वे अपनी प्यास बुझा सकें। उन्होंने सोचना शुरू किया कि कैसे लोगों की प्यास बुझाई जा सकती है। नटराजन ने शुरू में दक्षिणी दिल्ली के पंचशील पार्क, ग्रीन पार्क, आईआईटी, चिराग दिल्ली जैसी जगहों में 15 मटका स्थापित किए और रोज सुबह वे उनमें जाकर पानी भरने लगे। वे तीन प्राइवेट बोरवेल से पानी भरते हैं, जिनके मालिक उनके काम से काफी प्रभावित हैं और मुफ्त में पानी देते हैं।

इस काम को बढ़ाने के लिए नटराजन ने एक कार खरीदी और उसे मोडिफाई करवाकर उसमें जेनरेटर लगवाया और 500 और 200 लीटर के दो टैंक भी फिट करवाए। अब वे अपने वॉलंटीयर के साथ दिन भर में चार से पांच चक्कर लगाते हैं और सभी मटकों को पानी से भर देते हैं। उनके इस काम में हाउस हेल्प, बगीचे की देखभाल करने वाले जैसे लोग रहते हैं। वे मटकों पर अपना नंबर भी लिख के रखते हैं, ताकि खाली होने पर लोग उन्हें फोन करके सूचित कर सकें। इन मटकों में हर रोज लगभग 2,000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।

नटराजन कहते हैं कि उन्हें और पानी की जरूरत होती है। अगर दिल्ली के लोग चाहें तो उनकी मदद कर सकते हैं। वे कहते हैं, 'मैं इस काम के जरिए दूर हो चुके लोगों को करीब लाने का प्रयास कर रहा हूं।' नटराजन की परवरिश बेंगलुरु में हुई लेकिन लंदन में बस जाने के बाद वे जब भारत लौटे तो दिल्ली को रहने के लिए चुना। नटराजन बताते हैं कि पशु-पक्षी, इंसान और पर्यावरण सब एक दूसरे से जुड़े हैं और हमें एक दूसरे के बारे में सोचना चाहिए।

(अगर आप नटराजन के काम में किसी भी तरह की सहायता करना चाहते हैं तो उनसे इस नंबर पर संपर्क करें- +919910411779, +919910401101)

यह भी पढ़ें: 200 कलाकारों ने श्रमदान से मधुबनी पेंटिंग द्वारा दिलाई स्टेशन को नई पहचान