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घर बैठे 1 सप्ताह में कमा लिए 4 लाख

बनायें घर बैठे जायज तरीके से ऐसा आर्थिक सोर्स, जिससे बेरोजगारी के अभावों का नहीं करना पड़ेगा सामना...

घर बैठे 1 सप्ताह में कमा लिए 4 लाख

Friday March 23, 2018 , 7 min Read

जब घर बैठे कोई परेशान हाल महिला एक दिन में लाखों रुपए कमा ले, वाकई बड़ी हैरत की बात है, लेकिन आधुनिक भारत में ऐसा हो रहा है। ऑनलाइन सेवाओं ने ऐसा संभव किया है। बस जरूरत है तो खुद की बेहतर फाइनेंशियल प्लॉनिंग में निपुण और कम्यूटर तकनीक में बस काम भर दक्ष होने की।

सांकेतिक तस्वीर, फोटो साभार: शटरस्टॉक।

सांकेतिक तस्वीर, फोटो साभार: शटरस्टॉक।


अपने सपने साधने के लिए महिलाओं को भी पैसों की जरूरत पड़ती है। इसके लिए अब वे सिर्फ पुरुषों पर निर्भर नहीं। अब उन पर सीधे घर-परिवार की भी जिम्मेदारियां आने लगी हैं। ऐसे में स्वयं का वित्तीय प्रबंधन और नियोजन महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है।

आज के जमाने में अगर घर बैठे जायज तरीके से कोई ऐसा आर्थिक सोर्स बन जाए, जिससे बेरोजगारी के अभावों का सामना न करना पड़े, और खासतौर से वह विकल्प वुमन फाइनेंशियल प्लानिंग से जुड़ा हो, और ऐसी महिलाएं स्वयं अपनी सफलता की कहानी कहें तो उससे निश्चित ही औरों के लिए एक आसान राह मिल जाती है। अपने सपने साधने के लिए महिलाओं को भी पैसों की जरूरत पड़ती है। इसके लिए अब वे सिर्फ पुरुषों पर निर्भर नहीं। अब उन पर सीधे घर-परिवार की भी जिम्मेदारियां आने लगी हैं। ऐसे में स्वयं का वित्तीय प्रबंधन और नियोजन महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है। घरेलू और सामाजिक जीवन में संगति बनाना उन्हें अपनी कामयाबी का एक हिस्सा लगता है। ऐसी ही एक सफल महिला हैं मुंबई के मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मीं और अभावों से जूझती रहीं शालिनी आहूजा, जिनके पिता ट्रक ड्राइवर रहे और मां नर्स। '

परिस्थितियों से बहुत सीख लेने वाली शालिनी को अपने बौद्धिक प्रयासों से गजब की कामयाबी मिली है। वह बताती हैं कि उनकी राह चलकर कोई भी व्यक्ति घर बैठे आराम से तीस-चालीस हजार रुपए कमा सकता है। वह बताती हैं कि बारहवीं क्लास तक पढ़ने के बाद उनके घर की जिंदगी कठिन हो रही थी। मां-बाप रिटायर हो चुके और महंगाई ने घर चलाना और ज्यादा दुश्वार कर दिया तो वह पढ़ाई छोड़कर बेरोजगारी से टकराती हुई कपड़े की दुकान पर काम करने लगीं। उसी दौरान उन्होंने ऑन लाइन किसी ऐसे युवक की कामयाबी की कहानी पढ़ी, जिसने नेट की मदद से घर बैठे छह लाख रुपए कमा लिए थे। माध्यम थी बाइनरी विकल्पों की सट्टेबाजी। इसके बाद वह ऑनलाइन अर्थोपार्जन की तकनीक जानने में जुट गईं। 

वह बताती हैं कि बाइनरी विकल्प वित्तीय बाजारों में कमाई का एक क्रांतिकारी तरीका है। वित्तीय बाज़ारों में डॉलर, यूरो या पाउंड आदि की सट्टेबाजी की जाती है। सबसे पहले किसी बाइनरी विकल्प वेबसाइट पर अपना मुफ़्त खाता खोलें, पैसे जमा करें, निवेश के लिए एक रकम चुनें, कुछ घंटे में रकम दोगुनी हो जाती है। इसके लिए इंटरनेट कनेक्शन जुड़ा कंप्यूटर जरूरी है। इसे आजमाने के लिए उन्होंने भी एक मुफ़्त खाता बनाया। नकली पैसों से सट्टेबाजी शुरू की और एक ही घंटे में ग्यारह हजार रुपए की कमाई हो गई। वह बताती हैं कि यह काम पहले छोटी सी रकम दो हजार रुपए तक से शुरू करना चाहिए। पैसे लगाते ही शुरू में उनकी रकम चार हजार हो गई। अगले दिन उनके खाते में लगभग साढ़े बारह हजार रुपए आ चुके थे। कुछ ही घंटों में वह राशि लगभग पचास हजार तक पहुंच गई। उसमें से जब उन्होंने अपने काम के लिए 45 हजार रुपए निकाल कर अपनी कोशिश आजमानी चाही तो उसमें भी सफलता मिल गई। इस तरह एक सप्ताह में ही उन्होंने चार लाख रुपए कमा लिए। दो महीनो में वह रकम बढ़ कर साठ लाख हो गई। यह सब उनके लिए जादू जैसा था। सपने पंख भरने लगे। उस राशि से उन्होंने महंगी कार के 35 लाख का लोन चुकता किया।

आज आर्थिक चुनौतियों की दृष्टि से देखें तो महिलाओं की जिम्मेदारियां बढ़ती जा रही हैं। समाज में उनकी भूमिका काफी बदल रही है और ऐसे में वह चाहती हैं कि रिटायरमेंट की उम्र से पहले उन्हे पैसे के लिए किसी का मोहताज न होना पड़े। इस दौरान चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसी ही एक टीवी कलाकार आश्का की सफलता की कहानी है। आश्का दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर में बिजनेस पार्टनर हैं। उनकी सलाह है कि 'अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर फंड्स का चुनाव करें। किसी फंड़ में निवेश करने के पहले उसकी पूरी जानकारी लें। अपने पैसे एफडी से निकाल कर लिक्विड फंड में रखें, जिससे इमरजेंसी फंड भी तैयार हो जाएगा। बड़ी रकम सेविंग एकाउंट में न रखें, एमएफ में एसआईपी के जरिए निवेश करें।' आधुनिक वक्त में किचन हर घर का एक नया चैलेंज बनकर सामने आया है। ऐसे में महिलाएं अपनी अर्थव्यवस्था के लिए किसी परिजन पर आश्रित रखने की बजाए स्वयं बनाने में जुटने लगी हैं। अश्का करियर की शुरुआत से ही निवेश करने लगी हैं। इमरजेंसी फंड और हेल्थ इंश्योरेंस पर उनका खास फोकस रहता है। कर्ज है तो सबसे पहले उसे चुकाना चाहती हैं। इसके अलावा खुद का घर और रिटायरमेंट प्लान भी उनकी निजी अर्थव्यवस्था का अहम लक्ष्य रहता है। वह अपने निवेश और खर्चों में तालमेल बैठाकर चलती हैं। वह शादी-शुदा हैं तो सिर्फ पति से अपने निवेश की जानकारी साझा करती हैं। आय जरूरत भर हो रही है तो वह किसी भी तरह का कर्ज लेने से बचती हैं लेकिन निवेश करना कभी नहीं भूलती हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले आठ-दस सालों में 25 से 35 साल की तलाकशुदा महिलाओं की संख्या पचास प्रतिशत तक बढ़ गई है, जबकि पचास साल से अधिक आयुवर्ग की तलाकशुदा महिलाओं की संख्या दोगुनी हो गई है। बताया जाता है कि उनमें से मात्र एक तिहाई महिलाओं अपनी बेहतर फाइनेंशियल प्लानिंग से अपना भविष्य सुरक्षित कर सकी हैं। तलाक लेने वाली ज्यादातर महिलाएं अन्य पर निर्भर रह रही हैं। इसलिए आज के वक्त में महिलाओं का स्वयं के निवेश और फाइनेंशियल प्लानिंग के प्रति सजग होना बहुत आवश्यक हो चला है। यह भी उल्लेखनीय है कि महिलाओं की कुछ बीमारियां अलग होती हैं, जिससे स्वास्थ्य पर उन्हें ज्यादा खर्च करना होता है। उन पर परिवार की देखभाल की भी अतिरिक्त जिम्मेदारियां होती हैं। गर्भावस्था में उन पर अतिरिक्त वित्तीय जिम्मेदारियों का बोझ आ जाता है। ज्यादातर महिलाएं मातृत्व की जरूरतों को पूरा करने तथा नौकरी व घर के बीच तालमेल स्थापित करने के लिए कम वेतन वाली नौकरी स्वीकार कर लेती हैं। ऐसे में उनका ध्यान हमेशा निजी फाइनेंशियल प्लानिंग पर होना बहुत जरूरी हो गया है।

सबसे महत्वपूर्ण है यह जान लेना कि आजकल फाइनेंशियल प्लानर का अलग से करियर भी शुरू हो चुका है। प्राइवेट बैंकों की तो बुनियाद ही फाइनेंशियल प्लानर पर निर्भर रह रही है।इंटरनेशनल फाइनेंसिंग, मल्टी करेंसी ट्रेनिंग, अरेंजिंग स्वेप, इंटरनेशनल लीज, फाइनेंसिंग आदि में फाइनेंशियल प्लानरों की भूमिका अहम हो चली है। सीए, सीएस, सीएमए व सीएफए करने के बाद फाइनेंशियल प्लानिंग का काम किया जा सकता है। एमबीए व पीजी डिप्लोमा में प्रवेश कैट, मैट व अन्य मैनेजमेंट प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद मिलता है। कई ऐसे पाठय़क्रम हैं, जिनमें प्राइवेट संस्थान वर्ष भर में दो बार दाखिला लेते हैं। अधिकांश पाठयक्रम ऐसे हैं, जो वर्किंग प्रोफेशनल्स को ध्यान में रख कर शुरू किए गए हैं। अब फाइनेंशियल प्लानर के लिए रोजगार के भरपूर अवसर हैं। फाइनेंशियल प्लानिंग फर्म्स- फाइनेंशियल प्लानिंग मैनेजर, रिलेशनशिप मैनेजर तथा एसोसिएट ऑडिटर बनकर शिक्षित महिलाएं अपना भविष्य सुरक्षित कर रही हैं। इंश्योरेंस कंपनियों में महिलाओं के लिए भी ब्रांच मैनेजर, सेल्स मैनेजर, ऑपरेशन मैनेजर, प्रोडक्ट मैनेजर, एजेंसी मैनेजर के रूप में कई तरह के काम पैदा हो चुके हैं। फाइनेंशियल कोर्स के पश्चात महिलाएं डाटा एनालिस्ट, मार्केट रिसर्चर, क्लाइंट डेवलपमेंट एनालिस्ट, बिजनेस एनालिस्ट, फाइनेंशियल एनालिस्ट तथा रिसर्च एसोसिएट बन सकती हैं। इसी तरह वह नॉन बैंकिंग में रिलेशनशिप मैनेजर, फाइनेंशियल प्लानिंग मैनेजर आदि के रूप में अपनी अलग पहचान बना सकती हैं।

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