' फिरकी किंग ' कुंबले का कमाल, उठाया बीड़ा वन संरक्षण का...
- क्रिकेट से रिटायरमेंट के बाद कुंबले की दूसरी पारी वन संरक्षण की दिशा में कदम।- सन 2009 में कर्नाटक सरकार के स्टेट बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ के बने वाइस चेयरमैन।- कर्नाटक को पहला राज्य बनाया जिसने अपने वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्टिड एरिया को 3.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.2 प्रतिशत किया।- रखी 'द कुंबले फाउंडेशन - जंबो फंड ' की नीव।
अपनी फिरकी से दुनिया भर के स्ट्रेट बैट्समैंन को धराशाही करने वाले भारत के महान क्रिकेट खिलाड़ी अनिल कुंबले के लिए लोगों के मन में काफी सम्मान है। इस सबका कारण यह है कि कुंबले का खेल के प्रति समर्पण। कुंबले ने क्रिकेट को काफी गंभीरता से लिया और वे हर पल देश के लिए जी जान लगाकर खेलते रहे। उनका समर्पण भाव कुंबले के व्यक्तित्व को दर्शाने के लिए काफी है और यह बताने के लिए भी काफी है कि जब वे किसी काम को अपने हाथ में लेते हैं तो जब तक वे उस काम को उसके सही मुकाम तक न पहुंचा दें तब तक वे लगे रहते हैं।
रिटायरमेंट के बाद कुंबले ने अपना दूसरा पैशन ढूंड निकाला है। जिस मेहनत, ईमानदारी व सच्चे मन से उन्होंने क्रिकेट खेला उसी तनमयता व गंभीरता से कुंबले अब वाल्ड लाइफ संरक्षण की दिशा में काम कर रहे हैं।
क्रिकेट के अलावा कुंबले को वन्य जीवन से काफी लगाव रहा है। और अब वे इसी काम में लग गए हैं। उनकी फाउंडेशन 'द कुंबले फाउंडेशन - जंबो फंड' वनों व वन्य जीवों के संरक्षण के लिए काम कर रहा है और साथ ही धन जुटाने के काम में भी लगा है। क्रिकेट फील्ड में कुंबले को जंबो के नाम से जाना जाता है इसी कारण उन्होंने अपने फंड रेजि़ंग कार्यक्रम का नाम 'जंबो फंडÓ रखा। कुंबले बताते हैं कि इस तरह के एनजीओ चलाना कोई आसान काम नहीं। क्योंकि इस कार्य में काफी धन की आवश्यकता होती है। कई बार संस्था चलाने के लिए धन के आभाव में उन्हें कुछ पैसा अपनी सेविंग से भी निकालना पड़ जाता है। सन 2009 में कर्नाटक सरकार ने उन्हें स्टेट बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ में वाइस चेयरमैन बनाया। वाइल्ड लाइफ बोर्ड एक वैधानिक संस्था है जो वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के अंतर्गत काम करती है। कुंबले बताते हैं उनका यह कार्यकाल काफी अच्छा रहा। इस दौरान उन्होंने काफी काम किए और बाकी राज्यों से उलट उन्होंने कर्नाटक में वन क्षेत्र का दायरा बढ़ाया। कुंबले हमेशा से ही समाज को अपने माध्यम से कुछ देना चाहते थे। अपने इस प्रयास से वे आम लोगों तक इस संदेश को देना चाहते हैं कि हमें वन्य जीवों के प्रति, उनके संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए। इसके लिए जरूरी था कि वे इस कार्य को संगठित रूप से एक संगठन के तौर पर करें। इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी चेतना कुंबले के साथ 'कुंबले फाउंडेशनÓ की नीव रखी और सन 2009-2010 में जंबो फंड को इसके साथ जोड़ दिया।
संस्था का मुख्य उद्देश वाइल्ड लाइफ संरक्षण है। साथ ही कई और चीज़ें जैसे कैंसर के लिए भी यह लोग काम कर रहे हैं। वन संरक्षण की दिखा में फाउंडेशन ने कई तरह के कार्य किए हैं। जैसे अपने कार्यक्रमों के दौरान वन्य स्टाफ व ऑफिसर्स को पुरस्कृत करना। ताकि इस दिशा में काम कर रहे लोगों को प्रोत्साहन मिले।
कुंबले फाउंडेशन अब कर्नाटक के साथ-साथ पूरे भारत में अपना विस्तार करना चाहता है। कुंबले बताते हैं कि क्रिकेट की वजह से जो मेरा नाम हुआ उसने मुझे फंड रेज़ करने में बहुत मदद की। लोगों को मुझ पर भरोसा करने में समय नहीं लगा। वे कर्नाटक सरकार के काफी आभारी हैं कि सरकार ने उन्हें बोर्ड में काम करने का मौका दिया। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कर्नाटक को पहला राज्य बनाया जिसने अपने वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्टिड एरिया को 3.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.2 प्रतिशत किया। ऐसा पहली बार किसी राज्य में हुआ और पर्यावरण की दृष्टि से भी काफी फायदेमंद है। कुंबले का यह प्रयास बहुत लाभकारी सिद्ध हुआ।
कुंबले मानते हैं कि अगर वाइल्ड लाइफ को बढ़ाना है तो टूरिज्म को भी बढ़ाना होगा। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग परिवार सहित यहां आए और खुद अपना कनेक्शन प्रकृति के साथ महसूस करें। इसके लिए दो चीज़ों का गठन हो। एक टूरिज्म पर पूरी तरह फोकस करना और दूसरा वन संरक्षण के लिए कार्य करना। चूंकि दोनों एक दूसरे से जुड़े हैं इसलिए दोनों तरह के लोगों को अपने कार्य में निपुण होना होगा।
कुंबले के इस प्रयास को काफी लोगों का समर्थन मिल रहा है और उनका यह प्रयास काफी सराहा भी जा रहा है। उम्मीद है आने वाले समय में बड़ी संख्या में लोग इस कार्यक्रम से जुड़ेंगे और पर्यावरण की दिशा में अपने स्तर पर छोटा सा ही सही लेकिन प्रयास अवश्य करेंगे।