छत्तीसगढ़: स्मार्ट महिला बनने की तैयारी में जुटी सावित्री बाई जैसी अनेक महिलाएँ
यह लेख छत्तीसगढ़ स्टोरी सीरीज़ का हिस्सा है...
साठ साल की सावित्री बाई के हाथों जब माइक्रोमैक्स का मोबाइलफोन आया तब उनकी खुशी की कोई सीमा नहीं रही। ऐसा नहीं था कि सावित्री बाई ने कभी स्मार्टफोन देखा नहीं था, लेकिन इस्तेमाल करना उनकी पहुंच से बाहर था, ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार की 'मोबाइल तिहार' योजना ने उनकी और उनके ही जैसी तमाम औरतों की इस ज़रूरत को पूरा करने का काम किया है...
सावित्री बाई कहती हैं कि वे अपने बेटे और बहु की मदद से स्मार्ट फोन इस्तेमाल करना सीखेंगी और सबसे पहले उससे अपने बच्चों की फोटो खीचेंगी और फिर बाद में वीडियो कॉल करेंगी। वे स्मार्ट फोन के जरिये दुनिया देखना चाहती हैं, अपनी जिन्दगी को नए सिरे से जीना चाहती हैं।
साठ साल की सावित्री बाई के हाथों जब माइक्रोमैक्स का मोबाइलफोन आया तब उनकी खुशी की कोई सीमा नहीं रही। ऐसा भी नहीं था कि सावित्री बाई ने कभी स्मार्ट फोन देखा नहीं था या फिर उसका इस्तेमाल नहीं किया था, लेकिन पहली बार उनके हाथ में उनका खुद का स्मार्ट फोन था। अपना खुद का स्मार्ट फोन पाकर सावित्री बाई फूली नहीं समा रही थीं। वे कहती हैं, "मैं भी अब फोटो लूंगी। वीडियो कॉल करूंगी।" स्मार्ट फोन को लेकर उनके अपने और भी सपने हैं और वे इन सपनों को आने वाले दिनों में जीना चाहती हैं।
वैसे भी सावित्री बाई के जीवन में काफी संघर्ष रहा। शादी के कुछ सालों बाद ही उनके पति का निधन हो गया। 32 साल की उम्र में घर-परिवार चलाने की सारी जिम्मेदारी सावित्री बाई के कंधों पर आ गयी। पति अपने पीछे 5 छोटे बच्चे छोड़कर गये थे। सावित्री बाई ने रायपुर के अलग-अलग बाजारों में सब्जियाँ बेचकर अपने बच्चों का भरण पोषण किया। बच्चे को पढ़वाया-लिखवाया। बच्चे जब बड़े हुए तो उनकी शादी करवाई। एकलौती लड़की के लिए भी अच्छा रिश्ता तय किया। सारी जमा पूंजी बेटी की शादी में लगा दी। चारों लड़के बड़े हुए तो अपने-अपने काम पर लग गये। अपना-अपना घर-परिवार बसा लिया। सावित्री बाई अपने तीसरे नंबर वाले बच्चे के साथ रहने लगीं। उनका यह लड़का कपड़ों की दुकान में काम करता है। एक और लड़का भी कपड़े की दुकान में काम करता है। एक लड़का ऑटो चलाकर अपना जीवन-यापन कर रहा तो एक और एक दफ्तर में नौकरी कर।
सावित्री बाई ने 60 साल के अपने जीवन में कभी भी अपने लिए मोबाइल फोन नहीं खरीदा। अपने अपने बच्चों से मोबाइल फोन मांग सकती थीं, लेकिन बच्चों पर बोझ पड़ेगा, इस वजह से कभी किसी से फोन दिलवाने को नहीं कहा। चूँकि बच्चे अपने पत्नी-बच्चों के साथ अलग-अलग रहते हैं, जब कभी अपने बेटों और पोतों से बात करने का मन करता है तब सावित्री बाई अपनी बहु का फोन इस्तेमाल करती हैं। बहु के पास फीचर फोन है न कि स्मार्ट फोन। कभी-कबार अपने बेटे के स्मार्टफोन से सावित्री बाई अपने दूसरे बच्चों से बात कर लेती हैं।
लेकिन जब छत्तीसगढ़ सरकार ने संचार क्रांति योजना शूरू की और इस क्रांतिकारी योजना के तहत 'मोबाइल तिहार' आयोजित करते हुए जरूरतमंद महिलाओं में स्मार्ट फोन बांटने शूरू किये तो सावित्री बाई के हिस्से में भी एक स्मार्टफोन आया। 18 अगस्त को रायपुर के एक डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर से अपना स्मार्ट फोन लेने के बाद जो खुशी का भाव सावित्री बाई के चेहरे पर था, वह देखते ही बनता था। सावित्री बाई कहती हैं कि वे अपने बेटे और बहु की मदद से स्मार्ट फोन इस्तेमाल करना सीखेंगी और सबसे पहले उससे अपने बच्चों की फोटो खीचेंगी और फिर बाद में वीडियो कॉल करेंगी। वे स्मार्ट फोन के जरिये दुनिया देखना चाहती हैं, अपनी जिन्दगी को नए सिरे से जीना चाहती हैं। सावित्री बाई की उम्र भले की 60 साल हो चुकी है, लेकिन संचार क्रांति योजना का लाभ उठाती हुई महिलाओं को देखकर उन्हें भी लगता है कि वे भी ‘स्मार्ट महिला’ बन सकती हैं।
सावित्री बाई अकेली नहीं हैं, उनके जैसी कई महिलाएँ छत्तीसगढ़ सरकार ने संचार क्रांति योजना का लाब पाकर स्मार्ट फोन को अपना बना रही हैं। सावित्री बाई जैसी लाखों महिलाओं को अब किसी से फोन पर बात करने के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। उन्हें दूसरों के फोन इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अपने काम अपने फोन के ज़रिये कर पाएंगी।
संचार क्रांति योजना के तहत 50 लाख लोगों के बीच स्मार्टफोन का वितरण करने का फैसला लिया गया है। 50 लाख लाभार्थियों में 45 लाख महिलाएँ हैं और 5 लाख विद्यार्थी। छत्तीसगढ़ सरकार ने न सिर्फ मुफ्त में स्मार्ट फोन बांटने का फैसला किया है बल्कि 1500 नए टावर भी लगाकर मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी बढ़ाने की ठानी है।
संचार क्रांति योजना का एक बड़ा उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत भी बनाना है इसी वजह से महिलाओं को ही प्रधान रूप से लाभार्थी बनाया गया है। राज्य सरकार चाहती है कि महिलाएँ स्मार्ट फोन के जरिये जनधन योजना, उज्ज्वला योजना, मुद्रा योजना, आधार जैसी केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाओं का लाभ सीधे पाएँ।
सरकार ये मानती है कि महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत बनाये बगैर देश के बहुमुखी विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है। वैसे भी भारत में रोजगार करने वाली महिलाओं की संख्या विश्व-औसत से कम है। चीन के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में महिलाओं की हिस्सेदारी करीब 42 फीसदी है, जबकि भारत की जीडीपी में महिलाओं का योगदान 20 फीसदी के आसपास है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि भारत में कामकाजी महिलाओं की संख्या उनकी कुल संख्या में 26 फीसदी है जबकि यही संख्या चीन में 50 फीसदी से ज्यादा है। जानकारों का मानना है कि अगर भारत में महिलाएं भी पुरुषों के बराबर काम करें तो देश की सकल घरुलू आय यानी जीडीपी 27 प्रतिशत से आगे बढ़नी शूरू होगी। संचार क्रांति योजना के जरिये 45 लाख महिलाओं को स्मार्टफोन देकर छत्तीसगढ़ सरकार न सिर्फ महिलाओं के सपनों को नए पंख लगाना चाहती है बल्कि उन्हें रोजगार और कमाई के नए अवसर दिखाकर उन्हें मजबूत बनने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित भी करना चाहती है।
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