किरण डेमब्ला, जिन्हें देखकर अपना तन और मन ख़ूबसूरत बनाने के लिए प्रेरित हुई हैं लाखों महिलाएँ
भारतीय महिला कितनी ताक़तवर हो सकती है, इसकी एक शानदार और बढ़िया मिसाल हैं किरन डेमब्ला। किरन की कहानी गज़ब की है। उपलब्धियों से भरी है। ये कहानी सिखाती है कि ज़िंदगी से उदासी और मायूसी को दूर कर उसमें खुशी और खुशहाली कैसे भरी जा सकती है। ये कहानी इस धारणा को भी मिटा देती है कि शादी के बाद महिलाओं की तरक्की के रास्ते बंद हो जाते हैं। किरन ने अपनी कामयाबियों से ये साबित कर दिया है कि अगर इरादे बुलंद हों, हिम्मत से काम किया जाय, रचनात्मक शक्ति का सही इस्तेमाल किया जाय, तन और मन चुस्त और दुरुस्त रहें तो शादी के बाद भी औरतें बुलंदियों को छू सकती हैं। पुरुषों से आगे निकल सकती हैं। किरन डेमब्ला ने अपनी ज़िंदगी की बड़ी कामयाबियाँ शादी के बाद ही हासिल की हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण बात ये भी है कि इन कामयाबियों को हासिल करने के लिए किरन ने रूढ़िवादी परम्पराओं को तोड़ा। दकियानूसी ख्यालों का विरोध किया। अपने तौर-तरीके बनाये और अपने अंदाज़ के ज़िंदगी की जी। वैसे भी किरन का अंदाज़ बिंदास है और वो बेहिचक कहती हैं कि इस दुनिया में जो दिखता है वही बिकता है। किरन डेमब्ला की कहानी चार दीवारी के बंधनों से बाहर निकलकर दुनिया में अपनी ख़ास छाप छोड़ने की भी है। ये कहानी एक मायने में शादीशुदा भारतीय महिला की ताकत दर्शाने वाली भी है। हकीकत में ये कहानी 75 किलो वजह से 6 पैक एब्स की है। ये कहानी होम मेकर से सेलेब्रिटी फिटनेस ट्रेनर बनने की है। ये कहानी हताशा और निराशा से घिरे एक मामूली शख्स से लोगों को प्रेरणा और प्रोत्साहन देने वाली बड़ी शख्सियत बनने की भी है।
कई उतार-चढ़ावों से भरे जीवन और कई दिलचस्प और प्रेरणादायक किस्सों से भरी किरन की इस कहानी की शुरुआत आगरा से होती है। वही आगरा जो दुनिया के अजूबों में एक ताजमहल के लिए मशहूर है। यहीं इस शानदार और गज़ब की कहानी भी शुरू हुई। कहानी इस वजह से यहाँ शुरू होती है, क्योंकि किरन का जन्म आगरा शहर में हुआ। पिता केनरा बैंक में काम करते थे। माता गृहिणी थीं। किरन के परिवार में उनके माता-पिता के अलावा दो भाई और एक बहन थे। भाइयों-बहनों में किरन का नंबर दूसरा था। उनके एक बड़े भाई, एक छोटा भाई और एक छोटी बहन थे।
किरन बचपन में गायक-कलाकार बनना चाहती थीं। इसकी वजह थी कि घर-परिवार में सभी को संगीत का शौक था। किरन बताती हैं, “मेरी माँ गायिका थीं। उनका सुर बहुत अच्छा था, हमारे घर में सभी सुर में गाते थे। बुआ, भाई-बहन सभी सुर में गाते थे। हममें कोई भी बेसुरा नहीं था। मुझे भी बचपन से ही गाने का शौक पड़ गया।" बचपन में किरन की आवाज़ भी बहुत मधुर और आकर्षक थी। चार साल की छोटी सी उम्र में उन्होंने स्टेज-शो करने शुरू कर दिए थे। कुछ ही दिनों में किरन अपनी गायकी की वजह से काफी मशहूर भी हो गयीं। लोग उन्हें 'बेबी किरन' के नाम से जानने लगे।
संगीत का जूनून किरन पर कुछ तरह से सवार था कि वे बड़ी होकर मशहूर गायिका ही बनना चाहती थीं। इसी मक़सद से किरन ने आगे चलकर शास्त्रीय संगीत भी सीखा। उन्होंने मशहूर आगरा घराने से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के गुर सीखे। राग-रागनियों पर अपनी पकड़ मजबूत की। अपनी आवाज़ को परिपक्वता दी और उसमें विविधता भी लाई, लेकिन कुछ कारणों से उन्हें संगीत से दूर होना पड़ा। इसकी एक बड़ी वजह ये भी थी कि 1997 में उनकी शादी हो गयी। शादी के बाद उन्हें आगरा से मुंबई जाना पड़ा। ससुराल में घर-परिवार की जिम्मेदारियाँ संभालनी पड़ी। ससुराल में किरन सबसे छोटी बहु थीं, इस वजह से भी जिम्मेदारियाँ बड़ी और बहुत सारी थीं। इन्हीं जिम्मेदारियों के चलते संगीत से किरन का साथ छूट गया, लेकिन संगीत से उनका प्यार बरकरार रहा।
1999 में किरन को लड़की हुई। कामकाज और भी बढ़ गया। इसी दौरान किरन के पति अजीत का तबादला बैंगलोर हो गया। पति और बेटी के साथ किरन भी बैंगलोर आ गयीं । साल 2003 में किरन को लड़का हुआ। अब दो संतानें हो गई थीं, तो ज़िम्मेदारी और कामकाज और भी बढ़ गया, लेकिन इन सब के बीच किरन को दुनिया के अलग-अलग देश घूमने और वहाँ के लोगों के रहन-सहन को देखने-समझने का भी मौका मिला। किरन के पति को अपनी कंपनी के अलग-अलग असाइनमेंट्स पर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, हंगरी जैसे देश जाना पड़ा। अक्सर किरन और बच्चे भी साथ जाते। चूँकि लगातार हो रहीं विदेश-यात्राओं का असर बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर पड़ने लगा था, किरन और उनके पति ने बैंगलोर में ही रहने का मन बना लिया। भारत लौटने के बाद किरन के पति को हैदराबाद में काम करने का मौका मिला तो वे परिवार के साथ यहाँ आ गयीं।
हैदराबाद आने के बाद किरन की ज़िंदगी में बहुत बदलाव आये। नए शौक पैदा हुए। वे नए-नए लोगों से मिलने लगीं। काम कुछ ऐसा होने लगा कि वे बहुत ही मशहूर हो गयीं। शायद किस्मत ही उन्हें हैदराबाद लायी थी। और हैदराबाद में बदलाव ऐसे ही नहीं आये थे। बदलाव के पीछे कई घटनाएँ थी। हर घटना ने किरन को बहुत सोचने और कुछ नया करने के लिए मजबूर किया था, लेकिन ज्यादा सोचने की वजह से भी किरन को एक बड़ी मुसीबत से घिरना पड़ा।
उनके सर में बहुत दर्द होने लगा। दर्द इतना ज्यादा होता कि वे उठ-बैठ भी नहीं पातीं। उन्हें एक ही जगह पर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा। जब डाक्टर को दिखाया गया और परीक्षण किये गए, जब पता चला कि ज्यादा सोचने और तनाव में रहने की वजह से उनके ब्रेन में ब्लड क्लॉट हो गया है। इसके बाद इलाज शुरू हुआ। किरन बताती हैं, “शुरू में तो दवाइयों की वजह से बहुत नींद आती थी। मैं ज्यादातर समय बिस्तर पर ही पड़ी रहती। दवाइयों की वजह से मेरा वजन भी लगातार बढ़ने लगा। सर में दर्द इतना ज्यादा होता था कि मैं अपना सर हिला भी नहीं सकती थी, मुझे इंजेक्शन भी दिए जाने लगे थे और इनकी वजह से भी नींद खूब आती थी ।” हालत ये हुई कि किरन का वज़न 51 किलो से बढ़कर 75 हो गया। जब वज़न 75 किलो हो गया, तब किरन की चिंता और भी बढ़ गयी।
मन बहलाने के लिए किरन ने बच्चों को संगीत सिखाना शुरू किया था। जब बच्चों की माताएँ उन्हें किरन के पास छोड़ने आती थीं तब उन्हें देखकर किरन के मन में तरह-तरह के ख़याल आने लगे। किरन ने कहा, “मैं सोचने लगी, क्या मेरी ज़िंदगी ऐसे ही रहेगी। हर दिन एक जैसा ही रहेगा। सुबह को उठना, बच्चों को तैयार कर स्कूल भेजना, खाना बनाना, घर के दूसरे काम करना। दस साल से मैं यही करती आयी थी। बच्चों की माँ को देखकर मैं अपने आपसे से पूछने लगी थी कि क्या मैं उनकी तरह खूबसूरत बन पाऊँगी?”
किरन को अजीब-अजीब सोच में डूबी और परेशानहाल देखकर उनके पति ने उन्हें योग क्लास ज्वाइन करने की सलाह दी। किरन को ये सलाह अच्छी भी लगी। उन्होंने अपनी एक दोस्त के साथ योग क्लास ज्वाइ कर ली। वे सुबह 6 बजे उठकर योग क्लास जाने लगी। उनका मन योग में लग गया और उन्हें विश्वास होने लगा कि उनका वज़न कम हो जाएगा और वे फिर से दूसरी महिलाओं की तरह खूबसूरत हो जाएँगी, लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। सपने टूट गए। किरन के ज्वाइन करने के दो महीने बाद ही कुछ कारणों से योग की कक्षाएँ बंद हो गयीं। किरन को बहुत धक्का पहुंचा। उन्हें लगा कि उनकी ज़िंदगी संवरने वाली है, योग से उनका तन और मन दोनों सुन्दर बनने वाले हैं, लेकिन क्लासेस के बंद होने के साथ ही उनकी उम्मीदों का रास्ता भी बंद हो गया।
किरन फिर से उन्हीं सोचों में डूब गयीं, जिनकी वजह से उनकी सेहत बिगड़ी थी। इस बार उनकी एक पड़ोसी ने उन्हें वज़न कम करने की एक तरकीब याद दिलाई। पड़ोसी ने किरन को स्विमिंग करने की सलाह दी। इस सलाह में किरन को नयी उम्मीद नज़र आयी। किरन स्विमिंग पूल जाने लगीं, लेकिन पानी में उतरने के बाद उनके सर का दर्द अचानक बढ़ जाता। उन्हें लगा कि ये शायद उन दवाइयों का साइड इफ़ेक्ट है, जो वे अपने ब्रेन में हुए ब्लड क्लॉट को दूर करने के लिए ले रही हैं। स्विमिंग पूल में उतरने से होने वाला दर्द इतना भयानक था कि किरन को पानी से ही डर लगने लगा। वे पानी देखते ही घबरा जातीं।
इसी डर की वजह से उन्होंने स्विमिंग पूल जाना भी बंद कर दिया । इसके बाद उनकी बेचैनी और भी बहुत बढ़ गयी। वे पहले से ज्यादा परेशान रहने लगीं। किरन ने बताया, “उन दिनों मुझे नींद में भी ये सपना आने लगा कि मैं स्विमिंग कर रहूँ।... और भी अजीब-अजीब सपने आते थे मुझे। मैं बहुत सोचती थी। मेरा मन इसी सवाल का जवाब ढूँढ रहा था कि मोटापा दूर करने के लिए मैं क्या कर सकती हूँ?”
इसी अजीबोगरीब हालत में किरन ने बड़ा फैसला लिया। फैसला लिया वापस स्विमिंग पूल जाने का और हर दिन स्विमिंग करने का। किरन ने इस बात की भी परवाह नहीं की कि दवाइयों का असर दुबारा दर्द पैदा कर सकता है। डाक्टर की इस सलाह को भी नज़रंदाज़ किया कि इलाज के ख़त्म होने तक उन्हें स्विमिंग नहीं करनी चाहिए।
इस बार किरन पर नया जुनून सवार था। वे स्वीमिंग के फायदे समझ चुकी थीं। उन्होंने ठान लिया था कि स्विमिंग से अपना वज़न कम कर लेंगी। इरादा इतना बुलंद था कि स्विमिंग पूल वापस लौटने के तीसरे दिन बाद ही वे आठ फीट की ऊंचाई से पानी में छलांग लगाने लगीं। धीरे-धीरे ही सही उन्हें स्विमिंग से मदद भी मिलने लगी। उनका वजन कम होने लगा। वजन कम होने के कई फायदे भी हुए। उनकी खूबसूरती निखरने लगी। वे चुस्त रहने लगीं। उनका आत्म-विश्वास बढ़ा, और यही स्विमिंग से उनको सबसे बड़ा फायदा हुआ। फिर से किरन की ख़ूबसूरती की तारीफ़ होने लगी । सभी को किरन ने अपने तन-मन में लाये बदलाव से चौंका दिया। सभी किरन के बुलंद हौसले, मेहनत और कामयाबी से बहुत प्रभावित थे। पति इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने शारीरिक रूप से और भी दुरुस्त करने के लिए जिम ज्वाइन करने की सलाह दी। इस बार भी पति की सलाह किरन को बहुत पसंद आयी।
किरन जिम क्या गयीं, उनकी ज़िंदगी कुछ ऐसे बदली कि वे एक हाउस वाइफ से सेलेब्रिटी जिम ट्रेनर बन गयीं। 75 किलो वज़न वाली मोटी महिला से 6 पैक एब्स वाली चुस्त-दुरुस्त-तंदुरुस्त महिला बन गयीं। बदलाव कुछ ऐसा था कि अजीब-अजीब ख्यालों से घिरी रहने वाली किरन अब हमेशा खुश और खुशहाल रहने लगीं। उदास, निराश और हताश रहने वाली यह सामान्य महिला अब लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गयीं।
जिम जाकर किरन ने न सिर्फ अपने जिस्म को तराशा बल्कि अपनी किस्मत भी संवारी। जिम से ही कामयाबी की नई कहानी की भी शुरुआत की । वे भारत में सिक्स पैक एब्स बनाने वाली पहली महिला बनीं। उन्होंने महिलाओं की वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में भी हिस्सा लिया और छठा स्थान पाकर कामयाबी का डंका दुनिया भर में बजाया। जिम में मेहनत से तराशे हुए शानदार बदन से किरन ने लाखों लोगों को अपना मुरीद बनाया। बड़े-बड़े नामचीन लोग भी उनके दीवाने हो गए। मशहूर लोग अपने शरीर तो तराशने किरन के पास ट्रेनिंग के लिए आने लगे। अनुष्का शेट्टी, तमन्ना भाटिया, तापसी जैसी अदाकाराएँ भी किरन से तन-मन को सुन्दर बनाये रखने के गुर सीखने लगीं। सिर्फ महिलाएँ ही नहीं, बल्कि पुरुषों की भी लाइन लग गयी किरन से ट्रेनिंग लेने के लिए। दुनिया को 'बाहुबली' जैसी कामयाब और नायाब फिल्म बनाने वाले निदेशक और फिल्मकार राजमौली, हरफनमौला कलाकार प्रकाश राज भी किरन से ही फिटनेस की ट्रेनिंग लेने लगे। किरन की गिनती भारत की सबसे ताकतवर महिलाओं में होने लगी। वे लाखों महिलाओं की रोल मॉडल बन गयीं।
किरन की एक और पहल ने उनकी प्रसिद्धि में चार चाँद लगाये। किरन ने गृहिणियों की सेहत सुधारने और उन्हें भी तन-मन से चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। फेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम आदि का सहारा लेकर उन महिलाओं को घर पर रहकर ही कसरत करना सिखाया, जो ट्रेनिंग लेने लिए उनके पास नहीं आ सकती थीं। सोशल मीडिया की मदद लेकर किरन ने लाखों महिलाओं की ज़िंदगी को रोशन किया। उन्हें अपनी ख़ूबसूरती निखारने के तरीके सिखाये।
किरन ने लाखों महिलाओं में नए विश्वास का संचार किया। लड़कियों और महिलाओं में आत्म-विश्वास भरा। निराशा और मायूसी दूर की। खुशियों और कामयाबियाँ पाने का नया रास्ता दिखाया। लेकिन, ये सब करना आसान नहीं था। इन सब के पीछे दिन-रात की मेहनत थी। दृढ़ संकल्प था। सपनों को साकार करने की प्रबल इच्छा थी। यही वजह थी कि किरन ने कई रुढ़िवादी परम्पराओं को तोड़ा था। पुराने और दकियानूसी विचारों को गलत साबित किया था। नये मापदंड तय किये थे। जिस जिम की वजह से किरन को नायाब शोहरत मिली थी, मर्दों से भरी रहने वाली उसी जिम में महिलाओं को आने और अपना बदन ताकतवर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया था। इस काम में कई चुनौतियां थीं। जिम में पुरुषों का जो घेरा था किरन ने उसे तोड़ा था।
किरन ने जिम में अपने शुरुआती दिनों की यादें भी हमारे साथ साझा कीं। पहले दिन की यादें ताज़ा करते हुए उन्होंने बताया, “जैसे ही मैंने जिम में कदम रखा, मुझे सिर्फ और सिर्फ मर्द नज़र आये। एक अजीब-सी आवाज़ गूँज रही थी जिम में। ट्रेड मिल मर मर्दों के चलने और दौड़ने से जो आवाज़ निकल रही थी, वो मुझे आज भी याद है। कसरत करते मर्दों को देखकर मैं घबरा गयी। जिम ज्वाइन करने से पहले मैंने जिम वाले से पूछा भी था कि उनके जिम में महिलाएं भी आती हैं या नहीं। जिम वाले ने बताया था कि महिलाएँ आती हैं। इसी भरोसे के साथ मैं जिम गयी थी कि वहाँ महिलाएं होंगी। जब मैंने देखा कि सिर्फ मर्द ही मर्द हैं, मैंने मेनेजर से पूछा कि जिम में महिलाएँ नहीं आयी हैं क्या, जब वो मुझे जिम के एक कोने में ले गया और बताया कि ये जगह महिलाओं की है। किसी तरह से शर्म को दूर भगाकर मैंने ट्रेनिंग शुरू की।”
किरन ने आगे कहा, “उस दिन इंस्ट्रक्टर ने छोटी-छोटी कुछ-कुछ चीज़ें बताई थीं। ऐसा करना, वैसा करना है कहकर वो चला गया था। मुझे आज भी याद है उसने मुझे बीस मिनट तक ट्रेड मिल पर चलने को कहा था। शुरुआत में मुझे कुछ अटपटा लगा, लेकिन धीरे-धीरे मैं खुल गयी थी।” किरन ने जब जिम में डम्बल उठाने शुरू किये, तब सारे मर्द उन्हें आश्चर्य से देखने लगे थे। किरन को जिम में बहुत कुछ सीखने को मिला था । यहाँ उन्होंने सिर्फ बदन तराशने के तौर-तरीके ही नहीं सीखे बल्कि विपरीत परिस्थितियों को अनुकूल कैसे बनाया जा सकता है, ये भी सीखा । किरन बताती हैं कि जब उन्होंने जिम में काम करना शुरू किया था, तब कई सीनियर ट्रेनर्स और दूसरे मर्दों ने उन्हें बहुत हतोत्साहित किया था । सीनियर्स किरन से कहते थे कि जिम जैसी जगह पुरुषों की है और यहाँ औरतों का ज्यादा काम नहीं है । इतना ही नहीं कई सीनियर ये भी कहते थे कि लेडी ट्रेनर्स की वैल्यू ज्यादा नहीं है और उनके लिए यहाँ आगे बढ़ने के मौके भी कम हैं । लेकिन, आज जब किरन जिम में कसरत करती हैं, मर्द उन्हें देखते हैं, लेकिन आश्चर्य से नहीं बल्कि कुछ सीखने के लिए। किरन कहती हैं," मैं कहती हूँ कि लोग अगर एंकरेज नहीं कर सकते तो उन्हें डिसकरेज भी नहीं करना चाहिए। दूसरी ओर अगर लोग एनकरेज नहीं भी करते हैं तब लोगों को उनकी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए और अपना काम मन लगाकर करना चाहिए। " ख़ास बात ये भी है कि किरन ने जिम में न सिर्फ अपने आप को शारीरिक रूप से ही मजबूत बनाया था बल्कि उन्होंने मानसिक रूप से भी अपने आपको बहुत ताक़तवर बना लिया ।
इसी बीच किरन ने कॉरेस्पोंडेंस के ज़रिये अमेरिकन मसल फिटनेस सर्टिफिकेशन कोर्स कर लिया और फिटनेस ट्रेनर भी बन गयीं। किरन ने अपने एक दोस्त और साथी के साथ मिलकर जिम भी खोला। आगे चलकर किरन ने कुल छह 6 स्टूडियो और जिम चलाये, लेकिन बाद में वे इसके संचालन से बाहर आ गयीं।
ये पूछे जाने पर कि सिक्स पैक एब्स बनाने का ख्याल कब और कैसे आया, किरन ने बताया, “एक दिन मैंने जिम में एक बॉडी बिल्डर को देखा। मुझे वो बहुत अजीब लगा। उसकी हर चीज़ अलग थी। बॉडी में मुझे उसके कई स्पीड ब्रेकर दिखाई दिए। बदन उसका इतना सख्त था कि शायद ही कोई उसे छूना पसंद करता। उसे देखकर ही मेरे मन में ये ख़याल आया कि बॉडी बिल्डिंग करनी चाहिए।" किरन ने आगे कहा, “मैं शुरू से ही क्रिएटिव रही हूँ। हर बार कुछ अच्छा और नया करने की सोचती रहती हूँ। एक बार मैंने सिक्स पैक के बारे में सोचा तो मुझ पर उसकी धुन सवार हो गयी। यही वजह थी कि मैंने ऐसे काम किया कि छह महीने में मैंने सिक्स पैक बना लिए।”
सिक्स पैक बनना कोई सामान्य बात नहीं थी। वो बड़ी उपलब्धि थी। भारत में सिक्स पैक बनाने वाली वो पहली भारतीय महिला बनीं। और ये कामयाबी भी उन्होंने उस समय हासिल कीं, जब वो दो बच्चों की माँ थीं। उनकी उम्र 37 थी। जिस उम्र में कोई महिला यह सोच भी नहीं सकती थी, उस उम्र में उन्होंने सिक्स पैक बनाने की सोची और अपनी मेहनत और लगन से ये नायाब कामयाबी हासिल की।
आगे चलकर किरन ने वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में भी हिस्सा लिया और छठा स्थान प्राप्त कर दुनियाभर में अपना लोहा मनवाया. वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के लिए किरन को कई सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग कम्पटीशन में हिस्सा लेने के लिए महिलाओं को अपने बदन के अलग-अलग हिस्सों की कठोरता को दर्शाना पड़ता था। प्रदर्शन भी कई लोगों के सामने करना पड़ता। इस प्रदर्शन के लिए कपड़े भी काफी कम पहनने पड़ते हैं। कईयों को ये बिलकुल नापसंद था। घर में स्कर्ट पहनने पर भी मनाही थी,लेकिन किरन ने नियमों को तोड़ा। रुढ़िवादी परम्पराओं को धुत्कारा। असंभव को संभव बनाया। वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग कम्पटीशन में हिस्सा लिया और साबित किया कि भारतीय महिला की ताक़त किसी ने कम नहीं है। पति ने शुरू में इस चैंपियनशिप में शामिल होने से मना किया था, लेकिन किरन उन्हें मनाने में कामयाब रही थीं ।
बड़ी बात ये भी है कि किरन को वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग कम्पटीशन में अपनी तैयारी के लिए सिर्फ तीन महीने ही मिले थे। और तो और इस कम्पटीशन से पहले उनके परिवार में बड़ा हादसा हो गया था। इस हादसे की वजह से उन्हें कठिनाईयों के दौर से गुज़ारना पड़ा। जैसे ही ये दौर ख़त्म हुआ किरन ने फिर से जी-जान लगाकर तैयारी शुरू कर दी।
किरन बताती हैं, “वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग कम्पटीशन के लिए काफी तैयारी करनी पड़ती हैं। एक फिक्स्ड टाईमटेबल होता है, जिसे फॉलो किये बगैर आप जीत नहीं सकते। क्या खाना है-कितना खाना है, क्या करना है-कब करना है, कसरत कितनी और कब करनी है और कब आराम करना है ये सब तय होता है, लेकिन मेरा सारा प्रोग्राम डिस्टर्ब हो गया था। फिर भी मैंने तीन महीने में ही तैयारी की और कम्पटीशन में हिस्सा लिया।”
किरन मानती हैं कि अगर उनके परिवार में हादसा न हुआ होता और वे अपना पूरा समय तैयारी में लगा पातीं तो वे शायद कम्पटीशन जीत जातीं। सेलेब्रिटी फिटनेस ट्रेनर बनने का किस्सा सुनाते हुए किरन ने बताया कि तेलुगु फिल्मों के स्टार राम चरण तेज ने उन्हें सबसे पहले चुना। जब चरण की शादी हुई थी तब वे अपनी पत्नी उपासना के लिए फिटनेस ट्रेनर तलाश कर रहे थे। चरण ने उपासना की ज़िम्मेदारी किरन को सौंपी। इसके बाद किरन एक के बाद एक बड़े बड़े सेलेब्रिटी की फिटनेस ट्रेनर बनती चली गयीं।
एक सवाल के जवाब में किरन ने कहा, “मैंने जो कुछ हासिल किया, उससे मैं बहुत खुश हूँ। मैं चाहती हूँ कि और भी ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को प्रेरित करूँ। वे भी कसरत करें या फिर एरोबिक्स या फिर योग या कुछ और ताकि हमेशा स्वस्थ रहें, तंदुरुस्त रहें। मैंने देखा है कि मोटापे और शेप बिगड़ जाने की वजह से कई महिलाएं डिप्रेशन में चली जाती हैं। उनका विश्वास कमज़ोर पड़ जाता है। ये दुखी रहती हैं। मैं इसी दुःख को दूर करना चाहती हूँ।”
इसी सन्दर्भ में किरन ने ये भी कहा, “मैं तो यही मानती हूँ कि जो दिखता है वही बिकता है। यही वजह है कि मैं सभी महिलाओं से कहती हूँ अपनी बॉडी को अच्छी बनाये रखें। शेप में रहें। एक्टिव रहें। मैंने पिछले कई सालों से यही किया है। मैंने कंसिस्टेंसी मेन्टेन की है। अगर मैं कंसिस्टेंट नहीं होती तो दुनिया मुझे गिरा देती। वैसे भी गिराने के लिए लोग इंतज़ार में बैठे रहते हैं।”
हैदराबाद में उनके घर पर हुई इस बेहद ख़ास बातचीत के दौरान किरन ने कई बार कहा कि वे आज जो कुछ भी हैं अपने पति - अजीत और दोनों बच्चों - प्रियंका और क्षितिज की वजह से ही हैं। उनका मानना है कि पति और बच्चों की मदद नहीं मिली होती तो वे शायद ही कामयाब हो पातीं । यही वजह है कि वे अपना ज्यादा से ज्यादा समय परिवार के साथ ही बिताना चाहती हैं। परिवार की खुशी में ही अपनी खुशी देखने वालीं किरन बताती हैं कि आज भी बच्चे उन्हीं के हाथों का बना खाना पसंद करते हैं।