"सपने देखो, हार मत मानों," एक छोटे से गांव से MNC की उपाध्यक्ष
कंप्यूटर विज्ञान के प्रेम में पड़ी अंबरनाथ की लड़की
एक छोटे शहर से अपनी जीवन यात्रा शुरू करके एक बहुत बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी का उपाध्यक्ष बनना कोई आसान काम नहीं है। इस लीडर को कौन-सी चीज खास बनाती है। शीनम ओहरी की कहानी क्या कहती है? एक बेबाक बातचीत में उन्हीं से पता करते हैं।
संपादित उद्धरण :
अंबरनाथ की स्मृतियां
मैं अंबरनाथ नामक एक बहुत छोटे शहर में पैदा हुई थी। अधिकांश लोगों ने इसके बारे में सुना भी नहीं होगा। यह महाराष्ट्र के थाणे का एक हिस्सा है। मैंने सातवीं कक्षा तक की पढ़ाई अंबरनाथ के इनरह्वील पब्लिक स्कूल में की।
अंबरनाथ में मात्र दो आॅटो थे जो मुझे स्कूल ले जा सकते थे। तो ऐसा था मेरा बचपन का ठिकाना जिसके बारे में बात कर रही हूं। आठवीं कक्षा में मैं थाणे चली गई क्योंकि मेरे पिताजी एक अन्य काम में लग गए। मैंने दसवीं तक थाणे से पढ़ाई की। बाद में मेरे पिता एक अन्य काम में बंगलोर शिफ्ट हो गए। मैंने ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा की पढ़ाई माउंट कारमेल से की और इंजीनियरिंग बंगलोर विश्वविद्यालय से। सेट (सीईटी) में मेरा रैंक 286वां था। मैंने बैंगलोर विश्वविद्यालय से इलक्ट्राॅनिक्स में पढ़ाई की।
एक छोटे शहर से बंगलोर जैसे बड़े शहर में आना भयावह था। मेरे लिए काॅलेज के पहले छः महीने अत्यंत कठिन थे। हालांकि मैंने पढ़ाई से भिन्न ढेर सारी गतिविधियों में भाग लेना शुरू किया और अपने आत्मविश्वास में जबर्दस्त सुधार किया।
मेरे पिता के पालन-पोषण ने मेरी काफी सहायता की। उन्होंने मुझे किसी भी प्रकार की विपरीत परिस्थिति में हार नहीं मानने की सीख दी थी। अगर आपको किसी चीज में विश्वास है] तो आप उसे अवश्य हासिल कर सकते हैं। मेरे पिता ने मेरे सामने उदाहरण प्रस्तुत किया। उनकी उम्र 72 वर्ष है लेकिन वह अभी भी कंपनियों के संपर्क में हैं।
गणित और विज्ञान में मैं बहुत अच्छी थी। इसीलिए मैंने इलक्ट्राॅनिक्स पढ़ने का फैसला किया। यह 1987 की बात है। तब कंप्यूटर विज्ञान की पढ़ाई शुरू ही हुई थी और निश्चित नहीं था कि उस क्षेत्र में स्थिति कैसी रहेगी।
कंप्यूटर विज्ञान से परिचय
अपने काॅलेज में तीसरे वर्ष में फोट्रन से मेरा परिचय हुआ। यह मुझे पसंद आया। लेकिन मैं और भी संभावनाओं की तलाश करना चाहती थी इसलिए मैंने खुद से 'सी’ और पास्कल सीखा। मुझे पता चला कि मैं इसमें बहुत अच्छा कर सकती हूं और मैंने सृजनात्मक प्रक्रिया का सचमुच पूरा आनंद लिया। मैंने सोचा कि साॅफ्टवेयर के क्षेत्र में हाथ क्यों नहीं आजमाया जाय।
वर्ष 1992 में आइ-फ्लेक्स, जिसका बाद में ओरेकल ने अधिग्रहण कर लिया, एक प्रत्यक्ष साक्षात्कार संचालित कर रही थी। मैं भी उसमें गई और उस वर्ष उनके द्वारा चुने गए 20 लोगों में मैं भी शामिल थी। मैंने ओरेकल के साथ लगभग 15 साल काम किया और अपना समय मजे से बिताया। मैंने साॅफ्टवेयर विकास के जीवन चक्र में जरूरतें तय करने और कोड लिखने से लेकर ग्राहकों, भागीदारों और टीम का प्रबंधन करने तक, सारा कुछ किया। वर्ष 2007 में मैं बिजिनस आॅब्जेक्ट्स में निदेशक के बतौर चली गई। बाद में, 2009 में बिजिनस आॅब्जेक्ट्स का अधिग्रहण सैप ने कर लिया। मैं भारत में सैप टेस्ट सेंटर के लिए नेतृत्व का एक अंग बन गई।
सैप इंडिया में नेतृत्व
सैप इंडिया में मैंने इंडिया टेस्ट सेंटर के निदेशक के बतौर काम शुरू किया। मैं तीन प्रोडक्ट लाइन का सीधा प्रबंधन कर रही थी और कोई 130 लोगों के साथ काम कर रही थी। वहां से मैं चीफ प्रोडक्ट ओनर की भूमिका में चली गई जहां मैं किसी नए उत्पाद के लिए जवाबदेह थी। ग्राहकों के जीवन में संभावित बदलाव लाने वाले उन उत्पादों का निर्माण हमलोग बिना किसी पूर्व अनुभव के कर रहे थे। उसके बाद, 2011 में, मैंने कार्यसंचलान का जिम्मा संभाला। टेस्ट इंजीनियरिंग के लिए सीओओ के बतौर मेरा काम कार्यकुशलता बढ़ाना था। सैप में मेरा वह दौर अभी तक के कार्यकाल के सबसे अच्छे दौर में से एक था। इस दौर में मैं अनेक सार्थक बाहरी गठबंधनों पर काम करती थी। अभी भी भारत में यूजैबिलिटी टेस्ट लैब की देखरेख करती हूं और कोई 170 लोगों का प्रबंधन करती हूं।
मेरे लिए खुद को लगातार चुनौती देना और अपना अन्वेषण करना हमेशा का काम रहा है ताकि मैं जो बन सकती हूं, वह सर्वोत्तम रूप में बनूं।
सैप इंडिया में विविधता और समावेशिता लाना
लैंगिक विविधता पर हमारा मुख्य रूप से ध्यान है। हमलोगों ने इग्नाइट नाम से एक मेंटरशिप प्लेटफार्म बनाया है जहां प्रतिभाशाली महिला प्रबंधकों को नेतृत्वकारी सहकर्मियों द्वारा विश्वसनीय परामर्श दिया जा रहा है। तत्काल नेतृत्व संभालने के लिए तैयार महिलाओं की कोचिंग हमारे आंतरिक लीडरशिप कोच कर रहे हैं। हमलोगों के साथ ऐसी कोई 30 महिलाएं हैं।
हमलोगों ने सांस्कृतिक विविधता और पीढि़यों की विविधता के मामले में टीमों के संवदेनीकरण पर भी ध्यान केंद्रित कर रखा है। हमारी टीम में स्वलीन अर्थात आॅटिज्म से ग्रस्त लोग भी हैं। अभी कुछ समय पहले हमलोगों ने दो दृष्टिबाधित लोगों को भी काम में रखा है। जिस एक अन्य बड़ी चीज पर हमलोग काम कर रहे हैं, वह है हमारी लीडरशिप के बीच एलजीबीटी के मुद्दों पर जागरूकता पैदा करना। बाहरी लीडर बुलाए जा रहे हैं जो हमारी टीमों से बातचीत कर रहे हैं। हमारे साथ वरिष्ठ टेक्नोलाॅजी लीडर, कलाकार, लेखक, सक्रियकर्मी, डिजाइनर - सभी हैं जो अपने अनुभवों को शेयर कर रहे हैं कि उनकी दुनिया में क्या हो रहा है। हमलोग आश्वस्त है कि हमारे लोग बाहरी और आंतरिक लीडरों से लगातार सीख रहे हैं।
मेरा अधिक ध्यान अभी पीढि़यों की विविधता पर है। इस मामले में ढेर सारे काम करने की जरूरत है। प्रबंधकों का संवेदनीकरण करना कि युवा पीढ़ी के साथ कैसे काम करें और देखें कि रिवर्स मेंटरिंग जैसे साधन का उपयोग किया जा सकता है या नहीं, जिसमें वरिष्ठ प्रबंधकों द्वारा ही युवा पीढ़ी को विश्वसनीय परामर्श नहीं दिया जाता है, उसका उलटा भी सुनिश्चित किया जाता है। अपनी महिला कर्मचारी कार्यस्थल पर अधिकाधिक सहज कैसे महसूस करें, इसे सुनिश्चित करने के लिए हमलोग जोरदार प्रयास कर रहे हैं। अब हमलोगों के पास एक प्ले स्कूल भी है। अधिक महिलाओं को नेतृत्व में कैसे लाया जाय, इस पर हमलोग लगातार सोच रहे हैं।
महिलाओं को जब बच्चा होने वाला होता है, तो उस चरण में उनमें रुझान होता है कि या तो वे अपना कैरियर छोड़ दें या अपने उम्रदराज माता-पिता को देखरेख के लिए अपने पास रखें। महिलाओं को कार्यस्थल पर टिकाए रखने के लिए हमलोगों को सामाजिक और सांगठनिक स्तर पर परिवर्तन लाने की जरूरत है। वे असीम प्रतिभा के साथ आती हैं और इस मुद्दे का तत्काल समाधान आवश्यक है।
व्यक्तिगत अभियान और सुझाव
मूल्यबोध का विकास मुझे व्यक्तिगत रूप से प्रेरित करता है और सच तो यह है कि मैं लगातार सीख रही हूं। साथ ही, यह भी जरूरी है कि खुद तक ही सीमित नहीं रहकर मैं अपने वातावरण में भी लगातार मूल्यवर्धन करती जाऊं। अपने वातावरण में मूल्यवर्धन के लिए खुद को बेहतर बनाने मे नए तरीके खोजना ऐसी चीज है जो मुझे प्रेरित करती है।
अपनी जीवनयात्रा में लगे सभी युवा-युवतियों के लिए, शीनम की जीवनयात्रा का एक पाथेय है: ‘‘सपने देखो। कभी हार मत मानो। अपनी जड़ों और अपनी शिक्षाओं को मत भूलो और लगे रहो।’’
आगामी जीवन की अनेकानेक सफलताओं के लिए हम शीनम को शुभकामनाएं देते हैं।